महाराष्ट्र के नागपुर शहर में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की कब्र को हटाने की मांग के चलते भड़की हिंसा के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है। सोमवार रात को हुई इस हिंसा में कई वाहन जला दिए गए और पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
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Aurangzeb ki Mazar |
क्या है पूरा मामला?
नागपुर के महल क्षेत्र में उस समय हिंसा भड़क उठी जब हिंदू संगठनों विहिप (VHP) और बजरंग दल ने औरंगज़ेब की प्रतीकात्मक पुतला दहन किया और उनकी कब्र को हटाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। इसके बाद अफवाहें फैल गईं कि कुछ धार्मिक प्रतीकों का अपमान किया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि इसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया और हिंसा शुरू हो गई।
कैसे भड़की हिंसा?
मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि शाम की नमाज़ के बाद करीब 250 मुस्लिम प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद जब कुछ लोगों ने कहा कि वे वाहनों को आग लगा देंगे, तो पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए बल प्रयोग किया।
हिंसा के परिणाम
- पुलिस के अनुसार, 33 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
- 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
- नागपुर के केंद्रीय इलाकों में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं।
- पूरे शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
औरंगज़ेब की कब्र विवाद का केंद्र क्यों बनी?
औरंगज़ेब की कब्र महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित है, जो नागपुर से 500 किमी दूर है। हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि इस कब्र को हटा दिया जाए क्योंकि औरंगज़ेब को हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने और जबरन इस्लामी कानून लागू करने के लिए जाना जाता है।
इस मुद्दे को और हवा तब मिली जब एक हालिया बॉलीवुड फिल्म में मराठा योद्धा संभाजी महाराज की हत्या को ग्राफिक तरीके से दिखाया गया। संभाजी महाराज को औरंगज़ेब ने क्रूर यातनाएं देकर मार दिया था। इस फिल्म ने जनता के गुस्से को भड़का दिया और औरंगज़ेब की कब्र को हटाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी।
इतिहासकार राम पुनियानी का नजरिया
जहां एक ओर औरंगज़ेब की नीतियों को हिंदू संगठनों द्वारा कट्टरपंथी बताया जाता है, वहीं कुछ इतिहासकार इसे अलग नजरिए से देखते हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार राम पुनियानी के अनुसार, औरंगज़ेब एक बेहतरीन शासक और प्रशासक थे। उनके शासनकाल में 33% से अधिक हिंदू अधिकारी उनकी सरकार का हिस्सा थे।
इतना ही नहीं, राम पुनियानी के अनुसार, औरंगज़ेब ने कई हिंदू मंदिरों को बड़े-बड़े दान दिए और उनके शासन में धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं राजनीतिक कारणों से हुईं, न कि किसी धार्मिक कट्टरता के कारण। पुनियानी यह भी बताते हैं कि औरंगज़ेब ने कभी भी किसी शहर, स्थान या अपनी राजधानी का नाम बदलकर इस्लामीकरण नहीं किया।
राजनीतिक विवाद और सरकार पर सवाल
इस हिंसा के बाद विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो चुकी है और सांप्रदायिक तनाव को भड़काया जा रहा है।
इस विवाद को और हवा तब मिली जब समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने बयान दिया कि "औरंगज़ेब क्रूर शासक नहीं थे, बल्कि उन्होंने कई मंदिर भी बनवाए थे।" इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि औरंगज़ेब के शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कुल जीडीपी का 25% थी। इस बयान के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए।
औरंगज़ेब: कौन थे, क्यों विवादित हैं?
- औरंगज़ेब मुग़ल साम्राज्य के छठे शासक थे, जिन्होंने 1658 से 1707 तक भारत पर शासन किया।
- उन्हें एक कट्टर इस्लामी शासक के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने शरिया कानून लागू किया और कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया।
- हालांकि, इतिहासकारों का एक वर्ग यह मानता है कि उन्होंने कुछ मंदिरों को संरक्षण भी दिया और उनकी नीतियां केवल राजनीतिक लाभ के लिए थीं, धार्मिक नहीं।
- उनके शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य ने सबसे बड़ा विस्तार देखा, लेकिन उनकी नीतियों के कारण अंततः साम्राज्य कमजोर हो गया।
2022 में भी औरंगज़ेब का नाम सुर्खियों में क्यों था?
- 2022 में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के दौरान औरंगज़ेब का नाम चर्चा में आया।
- हिंदू संगठनों ने दावा किया कि यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
- इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान औरंगज़ेब की आलोचना करते हुए कहा था कि "उसने तलवार के दम पर सभ्यता को बदलने की कोशिश की और संस्कृति को कुचलने का प्रयास किया।"
आगे क्या?
इस विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार के सामने कानून व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। औरंगज़ेब की कब्र को लेकर जारी विवाद के चलते सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, इसलिए प्रशासन हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है।
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