नासा की प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर नौ महीने से अधिक समय तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए हैं। उनका अंतरिक्ष यान, स्पेसएक्स ड्रैगन फ्रीडम कैप्सूल, मंगलवार शाम 5:57 बजे (भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 4:27 बजे) फ्लोरिडा के तट के पास तालहासी में समुद्र में सुरक्षित लैंड हुआ।
नौ महीने की चुनौतीपूर्ण यात्रा और सफल वापसी
इस मिशन में कई अप्रत्याशित देरी हुईं, जिसके चलते यह अपेक्षित समय से कहीं अधिक लंबा हो गया। मूल रूप से, सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को सिर्फ एक सप्ताह के लिए ISS पर रहना था, लेकिन उनके यान बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी के कारण उन्हें महीनों तक ISS पर रहना पड़ा। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया और विभिन्न तकनीकी चुनौतियों का सामना किया।
स्वागत और वैश्विक प्रतिक्रिया
सुनीता विलियम्स की वापसी पर पूरी दुनिया में खुशी की लहर दौड़ गई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को "अद्भुत धैर्य और संकल्प का प्रतीक" बताया, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे "अंतरिक्ष अन्वेषण की अटूट भावना का प्रमाण" कहा।
महाराष्ट्र विधान परिषद, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी उन्हें बधाई दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनकी वापसी को "भारतीयों के लिए राहत और उत्साह का क्षण" बताया। राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने उन्हें "हमारी बेटी" कहकर संबोधित किया और उनकी सुरक्षित वापसी पर संतोष व्यक्त किया।
सुनीता के पैतृक गाँव झूलासन, गुजरात में जश्न का माहौल रहा, जहाँ उनके सम्मान में विशेष पूजा और समारोह आयोजित किए गए। स्थानीय लोग नासा के लाइव स्ट्रीम के माध्यम से उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे थे।
स्वास्थ्य और पुनर्वास प्रक्रिया
लंबे समय तक शून्य गुरुत्वाकर्षण में रहने के कारण सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अब एक कठोर पुनर्वास प्रक्रिया शुरू होगी। नासा के अनुसार, वे 45 दिनों की विस्तृत पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरेंगे, जिसमें उनकी हड्डियों, मांसपेशियों और संज्ञानात्मक क्षमताओं को सामान्य स्थिति में लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण शामिल होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी लंबी अवधि तक अंतरिक्ष में रहने के कारण उनके शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिनमें बोन डेंसिटी में कमी, मांसपेशियों की कमजोरी और हृदय संबंधी समस्याएँ शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा, मानसिक और भावनात्मक पुनर्वास भी इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
दुनिया भर से प्रतिक्रियाएँ
इस ऐतिहासिक मिशन और सुरक्षित वापसी पर दुनिया भर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि विलियम्स और विलमोर जल्द ही व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे। इस बीच, इसरो ने भी उन्हें बधाई दी और भारत में अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में उनके अनुभवों का लाभ उठाने की इच्छा जताई।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने भी इस मिशन को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल और मिशन की सफलता
स्पेसएक्स द्वारा विकसित ड्रैगन कैप्सूल इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। यह अंतरिक्ष यान न केवल मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाने और वापस लाने में सक्षम है, बल्कि यह वैज्ञानिक उपकरणों और प्रयोगों को पृथ्वी पर वापस लाने की भी क्षमता रखता है।
ड्रैगन फ्रीडम कैप्सूल ने अत्याधुनिक थर्मल शील्डिंग तकनीक और प्रिसिजन लैंडिंग सिस्टम का सफल परीक्षण किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा को और सुरक्षित बनाएगा।
अंतरिक्ष में बिताए गए 286 दिन
नासा के अनुसार, सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने ISS पर 286 दिन बिताए, 4500 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की, और 121 मिलियन मील की दूरी तय की। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर पर प्रभाव, अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि, और नई सामग्री विज्ञान संबंधी परीक्षण शामिल थे। उन्होंने ISS के रखरखाव और मरम्मत कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
यह मिशन अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में तकनीकी तैयारियों में और अधिक सुधार करने की आवश्यकता होगी, ताकि ऐसी अप्रत्याशित देरी से बचा जा सके।
इस ऐतिहासिक वापसी ने न केवल नासा और स्पेसएक्स के लिए, बल्कि पूरे विश्व के अंतरिक्ष अन्वेषण समुदाय के लिए एक नई प्रेरणा दी है। इस मिशन से प्राप्त डेटा का उपयोग भविष्य में मंगल और अन्य गहरे अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी में किया जाएगा।
सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में अपने समय को एक "अद्वितीय अनुभव" बताया और भविष्य में चंद्रमा और मंगल मिशनों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। उनकी यह यात्रा अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई दिशा और उन्नत वैज्ञानिक समझ को जन्म देगी।
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