चेन्नई | 28 मार्च 2025 – स्टैंड-अप कॉमेडियन कुनाल कामरा को मद्रास हाईकोर्ट से 7 अप्रैल तक के लिए अंतरिम अग्रिम जमानत मिल गई है। यह राहत उन्हें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज FIR के मामले में दी गई है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि कामरा को अदालत के क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत बॉन्ड जमा करना होगा।
मद्रास हाईकोर्ट ने क्यों दी अंतरिम जमानत?
हालांकि एफआईआर मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, लेकिन तमिलनाडु के विलुप्पुरम निवासी होने के कारण कुनाल कामरा ने मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।
कामरा की ओर से उनके वकील वी. सुरेश ने अदालत में तर्क दिया कि उनके 'नया भारत' नामक स्टैंड-अप वीडियो के प्रसारण के बाद से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
इस पर न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कहा कि अदालत प्रारंभिक रूप से संतुष्ट है कि कामरा को महाराष्ट्र में सुरक्षा के लिए न्यायालयों तक पहुंचने में कठिनाई हो सकती है। इस आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत देने का निर्णय लिया गया। अदालत ने मुंबई के खार पुलिस स्टेशन को नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक मुरारी पटेल ने मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में कुनाल कामरा के खिलाफ शून्य एफआईआर (Zero FIR) दर्ज कराई थी।
एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(1)(b) [सार्वजनिक उपद्रव], 353(2) और 356(2) [मानहानि] के तहत दर्ज की गई थी, जिसे बाद में मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया।
हालांकि, कामरा ने अपने वीडियो में एकनाथ शिंदे का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया। लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने शिंदे को 'गद्दार' कहा, जो शिवसेना के विभाजन के संदर्भ में था।
इस बयान के बाद, शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई में 'हैबिटेट स्टूडियो' पर हमला कर दिया, जहां कामरा ने परफॉर्म किया था। इस हिंसा में 12 शिवसेना कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें बाद में जमानत मिल गई।
मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का या राजनीतिक बदले का?
इस पूरे विवाद को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं:
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क्या सरकार की आलोचना करने वालों को निशाना बनाया जा रहा है?
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क्या यह कानून के दुरुपयोग का मामला है?
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क्या सरकार अपने विरोधियों की आवाज दबाने के लिए पुलिस और न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग कर रही है?
यह पहली बार नहीं है जब सरकार के आलोचकों पर कानूनी कार्रवाई हुई हो। इससे पहले पत्रकार, एक्टिविस्ट और विपक्षी नेता भी इसी तरह की FIR और गिरफ्तारियों का सामना कर चुके हैं।
कामरा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर कई कानूनी विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं। उनके अनुसार, अगर किसी स्टैंड-अप कॉमेडियन के व्यंग्य को देशद्रोह या मानहानि का मामला बना दिया जाए, तो यह लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत होगा।
क्या होगा आगे?
7 अप्रैल तक कामरा को मिली अंतरिम अग्रिम जमानत प्रभावी रहेगी।मुंबई पुलिस को इस मामले में अदालत को जवाब देना होगा।शिवसेना (शिंदे गुट) का अगला कदम क्या होगा?इस पूरे मामले में अब सभी की नजरें मद्रास हाईकोर्ट और मुंबई पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई है या राजनीतिक दबाव का मामला? इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकता है।
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