Type Here to Get Search Results !

ADS5

ADS2

क्या कुनाल कामरा को सरकार की आलोचना करने की सजा दी जा रही है?

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुनाल कामरा, जो अपने तीखे व्यंग्य और सरकार की आलोचना के लिए मशहूर हैं, अब सत्तारूढ़ दल के निशाने पर आ गए हैं। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल कणल ने कामरा पर ‘आतंकी फंडिंग’ का सनसनीखेज आरोप लगाया है, लेकिन क्या यह महज एक राजनीतिक साजिश है? सरकार की आलोचना करने वाले हर व्यक्ति को देशद्रोही साबित करने की इस रणनीति के पीछे का सच क्या है?


कुनाल कामरा - एक साहसी आवाज़ को दबाने की कोशिश? कुनाल कामरा ने अपने स्टैंड-अप कॉमेडी के माध्यम से कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और अन्य नेताओं की नीतियों की आलोचना की है। क्या यही कारण है कि अब उन्हें ‘आतंकी फंडिंग’ जैसे गंभीर आरोपों में फंसाने की कोशिश हो रही है?

राहुल कणल का दावा - कोई ठोस सबूत नहीं! शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल कणल का कहना है कि वे खार पुलिस स्टेशन में 300 से अधिक स्क्रीनशॉट जमा करेंगे, जिनसे साबित होगा कि कुनाल कामरा को विदेशों से धन प्राप्त हो रहा है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब सरकार के आलोचकों को फंसाने के लिए ऐसे आरोप लगाए गए हों। अरविंद केजरीवाल से लेकर अन्य विपक्षी नेताओं तक, सत्तारूढ़ दल ने हमेशा ऐसे झूठे आरोपों का सहारा लिया है।

सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग - 200 बार झूठे आरोप! अब तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) का 200 से अधिक बार इस्तेमाल किया जा चुका है, लेकिन किसी भी मामले में 1% भी आरोप साबित नहीं हुए हैं। बीजेपी सरकार का यह ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए मीडिया ट्रायल और सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करती है। कुनाल कामरा भी इसी रणनीति का नया शिकार बन रहे हैं।

यूट्यूब चैनल बंद करने की मांग - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला? राहुल कणल का कहना है कि वे यूट्यूब से संपर्क करेंगे ताकि कुनाल कामरा का चैनल बंद किया जाए और इसे ‘डीमॉनेटाइज’ किया जाए। क्या अब सरकार की आलोचना करना इतना बड़ा अपराध हो गया है कि किसी का पूरा करियर ही खत्म कर दिया जाए? अगर ऐसा होता रहा तो क्या भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बचेगी?

बीजेपी सरकार की रणनीति - विरोधियों की छवि धूमिल करना? बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की यह रणनीति रही है कि जो भी उनके खिलाफ बोलता है, उस पर इतने आरोप लगा दिए जाएं कि वह जीवन भर अपनी छवि सुधारने में ही लगा रहे। अरविंद केजरीवाल से लेकर कई अन्य विपक्षी नेताओं तक, सभी को झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश की गई। अब कुनाल कामरा को भी इसी खेल में फंसाया जा रहा है।

निष्कर्ष - क्या यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है? 

कुनाल कामरा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन फिर भी इसे मीडिया में बड़े पैमाने पर फैलाया जा रहा है। यह वही रणनीति है जिसका इस्तेमाल अरविंद केजरीवाल और अन्य विपक्षी नेताओं के खिलाफ किया गया था। क्या यह देश अब विरोध की हर आवाज़ को कुचलने के रास्ते पर चल पड़ा है? जनता को यह समझना होगा कि ऐसे झूठे आरोपों के पीछे कौन-से राजनीतिक इरादे छुपे हैं।

ये भी पढ़े 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

ADS3

ADS4