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अंतरराष्ट्रीय अपमान? अमेरिका ने दूसरी फ्लाइट में 119 भारतीयों को किया निर्वासित

हाल ही में अमेरिका से 119 भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर एक विशेष उड़ान के ज़रिए भारत भेजा गया। यह विमान श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, अमृतसर पर शनिवार को उतरेगा। यह घटना केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति और सरकार की विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

यह दूसरा मौका है जब अमेरिका ने इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों को निर्वासित किया है। क्या यह भारत की कूटनीतिक ताकत पर सवालिया निशान नहीं है? क्या मोदी सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित और सम्मानजनक स्थिति देने में नाकाम हो रही है?

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय नागरिकों के लिए बढ़ती चुनौतियां

अमेरिका में आव्रजन नीतियों के कड़े होने के चलते बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासियों को वहां से निकाला जा रहा है। इस विशेष उड़ान में 67 लोग पंजाब से, 33 हरियाणा से, 8 गुजरात से, 3 उत्तर प्रदेश से, और 2-2 लोग महाराष्ट्र, राजस्थान और गोवा से हैं। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से भी एक-एक नागरिक निर्वासित कर भेजे गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका में यह बयान दिया था कि "भारत अपने अवैध प्रवासियों को वापस लेने के लिए तैयार है।" लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत के नागरिक अवैध प्रवासी बनने को मजबूर ही क्यों होते हैं?

  • क्या भारत में रोज़गार के अवसरों की कमी है, जिसके कारण युवा विदेश जाने को मजबूर हैं?
  • क्या सरकार भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भविष्य देने में असफल हो रही है?
  • क्या भारत की अंतरराष्ट्रीय साख इतनी कमजोर हो गई है कि अन्य देश हमारे नागरिकों को टिकने तक नहीं देना चाहते?

भारत की कूटनीति पर सवाल

मोदी सरकार ने बीते वर्षों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने के बड़े-बड़े दावे किए हैं। विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मंच साझा करना, विदेशी दौरों के जरिए वैश्विक नेतृत्व की छवि बनाना—इन सभी प्रयासों के बावजूद भारतीय नागरिकों को विदेशों में सम्मानजनक स्थिति दिलाने में भारत कितना सफल रहा है?

  • यदि भारत वास्तव में एक ‘वैश्विक शक्ति’ बन रहा है, तो भारतीय नागरिकों को अन्य देशों से जबरन निकाला क्यों जा रहा है?
  • अगर भारत की विदेश नीति इतनी सफल है, तो अमेरिका जैसे सहयोगी देश हमारे नागरिकों को जबरन निर्वासित क्यों कर रहे हैं?
  • क्या मोदी सरकार केवल ‘इमेज बिल्डिंग’ में व्यस्त है और वास्तविक समस्याओं की अनदेखी कर रही है?

अमृतसर में सख्त सुरक्षा, लेकिन कोई पुनर्वास योजना नहीं

अमृतसर एयरपोर्ट पर इन निर्वासित नागरिकों के आगमन के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। पुलिस, इमिग्रेशन अधिकारी और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे, लेकिन सरकार की ओर से इन नागरिकों के पुनर्वास के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है।

क्या इन नागरिकों को सिर्फ वापस लाने से सरकार की ज़िम्मेदारी खत्म हो जाती है? या सरकार को उनके लिए उचित पुनर्वास और आजीविका की व्यवस्था करनी चाहिए?

भगवंत मान का विरोध: "पंजाब को ही क्यों बनाया जा रहा है निर्वासन केंद्र?"

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस डिपोर्टी फ्लाइट के अमृतसर में उतरने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से सवाल किया कि “भारत के अन्य हवाई अड्डों की बजाय केवल अमृतसर को ही निर्वासित नागरिकों की वापसी का केंद्र क्यों बनाया जा रहा है?”

भगवंत मान ने विदेश मंत्रालय को एक विरोध पत्र भेजकर कहा कि अगर अमेरिका भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर रहा है, तो भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें उनके गृह राज्यों तक उचित तरीके से पहुंचाया जाए।

क्या यह भारत की विदेश नीति के लिए चेतावनी है?

भारत की जनता को यह सवाल उठाना चाहिए कि—

क्या सरकार भारतीय नागरिकों को विदेशों में सम्मानजनक स्थिति दिलाने में सफल हो रही है?
क्या सरकार केवल राजनीतिक प्रचार और वैश्विक मंचों पर अपनी छवि चमकाने तक सीमित है?
क्या निर्वासित भारतीयों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है?

सरकार को इस मुद्दे पर ठोस रणनीति बनानी होगी, ताकि भविष्य में भारतीय नागरिकों को इस तरह के अपमानजनक हालात का सामना न करना पड़े। विदेशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना किसी भी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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