साल 2024 में भारत में नफरत भरे भाषणों में खतरनाक और अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई, जिसने बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन और राजनीतिक एवं धार्मिक नेताओं द्वारा विभाजनकारी बयानबाजी के योजनाबद्ध उपयोग को उजागर किया। इंडिया हेट लैब (IHL) 2024 रिपोर्ट ने इस वृद्धि को विस्तार से दर्ज किया है, जिसमें 1,165 सत्यापित व्यक्तिगत हेट स्पीच घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया—जो 2023 में दर्ज 668 घटनाओं की तुलना में 74.4% की वृद्धि है।
ये घटनाएं केवल कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई नफरत भरी बयानबाज़ी नहीं थीं, बल्कि ये एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा थीं, जिसे मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उससे जुड़े हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा अंजाम दिया गया। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में हेट स्पीच केवल व्यक्तिगत पूर्वाग्रह का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक संगठित, वित्तपोषित और राजनीतिक रूप से प्रायोजित परियोजना है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलना और धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है।
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2024 में हेट स्पीच के प्रमुख कारक
साल 2024 में नफरत भरे भाषणों के उभार के पीछे दो प्रमुख कारण रहे:
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सामान्य और राज्य चुनाव: सामान्य चुनाव (अप्रैल-जून 2024) और महाराष्ट्र एवं झारखंड के राज्य चुनाव सांप्रदायिक बयानबाजी के प्रमुख केंद्र बन गए। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने वोटरों को लामबंद करने के लिए हेट स्पीच को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिसमें विशेष रूप से मुस्लिम और ईसाई विरोधी नैरेटिव का सहारा लिया गया।
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भू-राजनीतिक तनाव: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन (अगस्त 2024) के बाद वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई। हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया, जिससे भारत में मुस्लिम विरोधी भावनाएं और अधिक भड़क उठीं।
इन घटनाओं ने हेट स्पीच की दो बड़ी लहरें पैदा कीं, जिनमें भाजपा नेताओं और दक्षिणपंथी संगठनों ने जनता की चिंताओं का लाभ उठाकर भारतीय मुस्लिम समुदाय को एक अस्तित्वगत खतरे के रूप में प्रस्तुत किया।
भाजपा और हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की भूमिका
पिछले वर्षों की तुलना में, जब हेट स्पीच मुख्य रूप से राज्य स्तरीय राजनेताओं और उग्रवादी समूहों तक सीमित थी, 2024 में इसे राष्ट्रीय नेतृत्व के उच्चतम स्तर से आक्रामक रूप से बढ़ावा दिया गया।
मुख्य निष्कर्ष:
- भाजपा ने 340 हेट स्पीच घटनाओं को सीधे संगठित किया (कुल घटनाओं का 29.2%)—जो 2023 की तुलना में 580% की वृद्धि है।
- भाजपा द्वारा आयोजित 76.7% हेट स्पीच घटनाएं आम चुनाव के दौरान हुईं, जो दर्शाता है कि यह एक सुविचारित चुनावी रणनीति थी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे प्रमुख हेट स्पीच प्रवर्तकों में शामिल रहे, जिन्होंने अपने राष्ट्रीय मंचों का उपयोग विभाजनकारी नैरेटिव को बढ़ावा देने के लिए किया।
- विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल, सकल हिंदू समाज (SHS) और हिंदू राष्ट्र सेना (HRS) जैसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने सामूहिक रूप से 350 से अधिक हेट स्पीच घटनाओं का आयोजन किया।
यह स्पष्ट करता है कि भारत में हेट स्पीच अब एक राजनीतिक हथियार बन चुका है, जिसका उद्देश्य सत्ता बनाए रखना और अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलना है।
चुनावी मौसम: एक रणनीतिक हथियार के रूप में हेट स्पीच
2024 के आम चुनाव और महाराष्ट्र व झारखंड के विधानसभा चुनाव हेट स्पीच में तेज़ी लाने वाले प्रमुख कारक रहे। चुनावी अवधि के दौरान 373 हेट स्पीच घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और झारखंड सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहे।
प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और उनकी बयानबाजी:
- नरेंद्र मोदी: मुसलमानों को "घुसपैठिए" करार दिया और हिंदू संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया (21 अप्रैल, बांसवाड़ा, राजस्थान)।
- अमित शाह: 58 हेट स्पीच दिए, जिनमें "वोट जिहाद" और "लैंड जिहाद" जैसे दावे किए गए।
- योगी आदित्यनाथ: 86 हेट स्पीच दिए, जिनका औसत चार दिनों में एक था।
- अन्य भाजपा नेता: हिमंता बिस्वा सरमा, टी. राजा सिंह, नितेश राणे और पुष्कर सिंह धामी ने मुसलमानों और ईसाइयों को निशाना बनाया।
भाजपा की चुनावी रणनीति डर पैदा करने पर आधारित थी, जिसमें यह नैरेटिव फैलाया गया कि विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और INDIA गठबंधन, हिंदुओं के अधिकार छीनकर मुसलमानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।
सोशल मीडिया: हेट स्पीच का विस्तारक माध्यम
2024 में हेट स्पीच केवल सार्वजनिक सभाओं तक सीमित नहीं रही। सोशल मीडिया ने इसे बड़े पैमाने पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य डिजिटल रुझान:
- 995 हेट स्पीच वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए।
- फेसबुक पर 495 वीडियो, जबकि यूट्यूब पर 211 वीडियो अपलोड किए गए।
- भाजपा नेताओं द्वारा 266 हेट स्पीच लाइव-स्ट्रीम किए गए।
- व्हाट्सएप और टेलीग्राम का उपयोग बड़े पैमाने पर किया गया।
हालांकि फेसबुक और यूट्यूब के पास हेट स्पीच के खिलाफ नीतियां हैं, फिर भी वे इसे रोकने में विफल रहे और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने में सहायक बने।
निष्कर्ष: भारतीय राजनीति में हेट स्पीच का सामान्यीकरण
इंडिया हेट लैब रिपोर्ट 2024 यह दर्शाती है कि हेट स्पीच अब भारत में एक मुख्यधारा की राजनीतिक रणनीति बन चुकी है। राज्य प्रायोजित भेदभाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा एक आम घटना बनती जा रही है, जिससे भारत के लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर खतरा मंडरा रहा है।
यदि हेट स्पीच को रोकने के लिए त्वरित कानूनी और नीतिगत कदम नहीं उठाए गए, तो भारतीय लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को गंभीर संकट का सामना करना पड़ेगा।
अब जवाबदेही तय करने का समय है।
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