परिचय
एक समय की बात है, एक राजा था, जो खुद को बहुत बड़ा योद्धा समझता था। उसके पास तलवार तो नहीं थी, लेकिन जुमलों का तोपखाना जरूर था! राजा ने जनता से कहा, "अच्छे दिन आने वाले हैं!" जनता खुश हो गई। फिर बोला, "हर नागरिक के खाते में 15 लाख आएंगे!" जनता ने अपना खाता खोल लिया। फिर बोला, "हर साल 2 करोड़ नौकरियां मिलेंगी!" जनता ने अपने रिज्यूमे अपडेट कर लिए।
फिर 10 साल बीत गए... जनता आज भी अच्छे दिनों के इंतजार में व्हाट्सएप पर 'जय श्रीराम' के गुड मॉर्निंग मैसेज भेज रही है। 😂
मोदी जी की ब्रांडिंग: ‘फेंकने’ में नंबर वन!
मोदी जी के भक्तों से पूछो कि मोदी जी ने 10 साल में क्या किया? जवाब मिलेगा:
👉 "भाईसाब, मोदी जी सुबह 4 बजे उठते हैं!"
👉 "मोदी जी 18 घंटे काम करते हैं!"
👉 "मोदी जी कभी छुट्टी नहीं लेते!"
अरे भाई, हमें इससे मतलब नहीं कि मोदी जी 18 घंटे काम करते हैं या 18 घंटे सेल्फी लेते हैं। हमें तो ये बताओ कि अच्छे दिन कब आएंगे?
- 2 करोड़ नौकरियां? – हां भाई, चाय और पकौड़े बेचने वालों की संख्या जरूर बढ़ी है!
- GDP कहां पहुंची? – भक्त बोले, "अंतरिक्ष में!" लेकिन असलियत में, जमीन में धंस चुकी है!
- महंगाई कम हुई? – नहीं, अब पेट्रोल खरीदने जाओ तो पहले बैंक से लोन अप्रूव करवाना पड़ता है!
- चीन हमारी जमीन घुसकर ले गया? – हां, लेकिन भक्त कहेंगे, "देखो, पाकिस्तान तो डरता है!"
😂 भक्तों के लिए हर प्रॉब्लम का एक ही सॉल्यूशन है – "कांग्रेस वाले तो इससे भी बुरे थे!"
प्रेस कॉन्फ्रेंस? – भूल जाइए! 10 साल में एक भी नहीं!
लोकतंत्र में जनता और मीडिया को सरकार से सवाल पूछने का हक होता है। लेकिन मोदी जी ने लोकतंत्र में नया ट्रेंड सेट कर दिया है –
👉 "प्रेस कॉन्फ्रेंस? क्या होता है?"
👉 "पत्रकार सवाल पूछें? ये गुस्ताखी कैसे कर सकते हैं?"
मोदी जी ने 10 साल के कार्यकाल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की! हाँ, "मन की बात" जरूर की, जिसमें जनता के मन की कोई बात नहीं होती।
- बेरोजगारी बढ़ रही है? – मोदी जी गाय के गोबर के फायदे बता रहे होंगे!
- महंगाई आसमान छू रही है? – मोदी जी चर्चा करेंगे कि चाय कैसे बनानी चाहिए!
- चीन हमारी जमीन खा गया? – मोदी जी बताएंगे कि कैसे योग करने से मानसिक शांति मिलती है!
- मणिपुर जल रहा है? – मोदी जी आपको ‘वृक्षारोपण’ पर ज्ञान देंगे!
😂 यह रेडियो शो जनता के सवालों के जवाब नहीं देता, बल्कि भक्तों के लिए ध्यान भटकाने की दवा है!
भक्तों का लव अफेयर: व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और गोदी मीडिया
अब भक्तों की भी बात कर लेते हैं। ये लोग न बुद्धि से सोचते हैं, न आंखों से देखते हैं – इनका सारा ज्ञान सिर्फ व्हाट्सएप पर टिका हुआ है।
इनसे पूछो कि "प्याज 100 रुपये किलो क्यों हो गया?"
👉 जवाब मिलेगा: "अरे भाई, पाकिस्तान में तो 150 रुपये किलो है!"
इनसे पूछो कि "बेरोजगारी क्यों बढ़ गई?"
👉 भक्त कहेगा: "कम से कम मोदी जी देशभक्त हैं!"
अब गोदी मीडिया की बात करें तो वहां हर दिन एक ही न्यूज होती है – "मोदी जी ने आज क्या खाया, मोदी जी ने आज क्या पहना, मोदी जी कैसे सांस लेते हैं!"
😂 पूरा देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा है, लेकिन न्यूज चैनल पर खबर चलती है – "मोदी जी के कुर्ते का रंग आज नीला क्यों?"
मोदी जी की ‘विश्वगुरु’ वाली नौटंकी
मोदी जी को ‘विश्वगुरु’ बनने का इतना शौक है कि उन्होंने हमारे देश को ‘विश्वगुरु’ बना भी दिया – लेकिन सिर्फ भक्तों की कल्पना में!
- विदेश में भारत की इज्जत बढ़ी? – नहीं, लेकिन भक्तों को यकीन है कि मोदी जी के भाषण सुनकर अमेरिका और रूस कांपने लगते हैं!
- बुलेट ट्रेन आई? – नहीं, लेकिन भक्तों को लगता है कि मोदी जी हवा में दौड़ते हैं!
- भारत महाशक्ति बना? – हां, लेकिन सिर्फ व्हाट्सएप फॉरवर्ड में!
जब भी कोई पूछे कि "भाई, ये विकास कहां हो रहा है?" भक्त बोलेगा: "देखो भाई, कम से कम पाकिस्तान से अच्छा कर रहे हैं!" 😂
निष्कर्ष: भक्तों का ‘माइंड वॉश’ और जनता की भूलने की आदत
अब देखना यह है कि देश 2029 में भी ‘जुमलों’ को वोट देगा या असली मुद्दों पर सोचेगा!