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विदामुयार्ची मूवी रिव्यू: अजित की नई फिल्म एक अलग ही दुनिया में ले जाती है

 तमिल सिनेमा में सुपरस्टार की छवि को तोड़ने वाली फिल्मों की कमी नहीं है, लेकिन जब कोई बड़ा सितारा खुद को पूरी तरह से एक नई शैली में ढाल लेता है, तो यह दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव बन जाता है। मैगिज़ थिरुमेनी निर्देशित विदामुयार्ची (Vidaamuyarchi) में अजीत कुमार कुछ अलग करने का प्रयास करते हैं, और इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने अपने फैंस को चौंका दिया है। इस फिल्म में अजीत न तो किसी ताकतवर पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं और न ही वे किसी गैंगस्टर या रॉबिनहुड जैसी छवि में हैं। बल्कि, वह एक साधारण आदमी बने हैं, जो परिस्थितियों के सामने बेबस नजर आता है। यह फिल्म तमिल सिनेमा में सुपरस्टार फिल्मों की पारंपरिक परिभाषा को चुनौती देती है।



कहानी की झलक

विदामुयार्ची की कहानी 1997 की हॉलीवुड फिल्म Breakdown से प्रेरित है, लेकिन इसमें भारतीय दर्शकों के अनुसार जरूरी बदलाव किए गए हैं। फिल्म की शुरुआत अरुण (अजीत कुमार) और उनकी पत्नी कायल (त्रिशा) के रिश्ते से होती है। यह जोड़ी प्यार में होती है, लेकिन समय के साथ उनके बीच मतभेद उभरने लगते हैं। निर्देशक मैगिज़ थिरुमेनी ने इन पलों को दो खूबसूरत अनिरुद्ध रविचंदर गानों के जरिए प्रस्तुत किया है, जिससे रोमांस का पहलू संतुलित रहता है और फिल्म की गति धीमी नहीं होती।

जल्द ही, फिल्म रोमांस से हटकर जबरदस्त थ्रिलर मोड में चली जाती है। अरुण और कायल की जिंदगी में रक्षित (अर्जुन), दीपिका (रेजिना कैसेंड्रा) और माइकल (आरव) की एंट्री होती है, जिससे कहानी में रोमांचक मोड़ आता है। फिल्म में अजीत कुमार को एक आम इंसान के रूप में दिखाया गया है, जो परिस्थितियों से जूझ रहा है। वह अचानक से एक्शन हीरो नहीं बन जाता, बल्कि समय लेकर सोचता है, प्रतिक्रिया देता है और कई बार भागता भी है। यह पहलू फिल्म को ज्यादा वास्तविक बनाता है।


अभिनय और निर्देशन

अजीत कुमार ने इस फिल्म में अपनी पारंपरिक छवि से हटकर शानदार अभिनय किया है। वह हर सीन में एक आम आदमी की तरह लगते हैं, जो परेशानी से बचने की कोशिश कर रहा है। वहीं, अर्जुन और रेजिना कैसेंड्रा अपने किरदारों में जान डालते हैं। आरव भी अपने रोल में प्रभावशाली हैं, जबकि त्रिशा का किरदार कुछ सीमित लगता है।

निर्देशक मैगिज़ थिरुमेनी ने फिल्म को स्टाइलिश और वास्तविक बनाए रखने का पूरा प्रयास किया है। अज़रबैजान में शूट किए गए सीन्स, स्थानीय भाषा में संवाद और किरदारों की गहराई इस फिल्म को और खास बनाते हैं। हालांकि, फिल्म का अंतिम भाग थोड़ा जल्दबाजी में खत्म होता है और इसमें खलनायकों की पृष्ठभूमि पर अधिक ध्यान दिया गया है, जिससे मुख्य किरदार थोड़े पीछे छूट जाते हैं।


संगीत और एक्शन

अनिरुद्ध रविचंदर का संगीत फिल्म को ऊंचाइयों तक ले जाता है। गाने सिर्फ अजीत को चमकाने के लिए नहीं बनाए गए, बल्कि वे फिल्म के मूड को सही तरीके से प्रस्तुत करते हैं। एक्शन सीन्स भी ज्यादा ओवर-द-टॉप नहीं हैं। इसमें क्लोज-क्वार्टर फाइटिंग, जबरदस्त कार फाइट सीक्वेंस और डेजर्ट चेज़ जैसे दृश्य शामिल हैं, जो फिल्म को भव्य बनाते हैं।


क्या यह फिल्म देखने लायक है?

विदामुयार्ची, तमिल सुपरस्टार फिल्मों के पारंपरिक ढांचे से अलग हटकर बनाई गई है। यह दिखाती है कि जब बड़े सितारे अपनी छवि से हटकर नए तरह के किरदार निभाते हैं और निर्देशकों के विजन के अनुरूप काम करते हैं, तो परिणाम शानदार हो सकता है। यह फिल्म मंकथा या विस्वासम जैसी नहीं है, लेकिन यही इसकी खूबसूरती है – इसे वैसा होने की जरूरत भी नहीं है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)

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