भारत के युवा ग्रैंडमास्टर ने शतरंज की दुनिया में रचा इतिहास
विज्क आन जी, नीदरलैंड | 3 फरवरी 2025 – भारतीय शतरंज प्रेमियों के लिए यह एक गौरवशाली क्षण है! ग्रैंडमास्टर आर. प्रगनानंद ने रविवार को प्रतिष्ठित टाटा स्टील मास्टर्स 2025 खिताब जीतकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। फाइनल में उन्होंने अपने हमवतन डी. गुकेश को कड़े मुकाबले में हराया और इस प्रतिष्ठित खिताब को पहली बार अपने नाम किया। यह मुकाबला न केवल भारतीय शतरंज के लिए ऐतिहासिक था, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की शतरंज शक्ति का भी प्रमाण बना।
फाइनल मुकाबले का रोमांच: जब दो भारतीय ग्रैंडमास्टर आमने-सामने थे
इस प्रतियोगिता का फाइनल पूरी तरह से भारतीय ग्रैंडमास्टरों के बीच था, जिसमें आर. प्रगनानंद और डी. गुकेश दोनों ने 13 राउंड पूरे करने के बाद समान अंक प्राप्त किए। इस रोमांचक स्थिति के चलते खिताबी मुकाबले का फैसला टाईब्रेकर के जरिए हुआ, जहाँ प्रगनानंद ने अपनी गहरी रणनीति और सटीक चालों से बाज़ी मार ली।
फाइनल मुकाबले की मुख्य झलकियां:
- टूर्नामेंट के अंतिम राउंड में प्रगनानंद को खिताब जीतने के लिए केवल ड्रॉ की जरूरत थी, लेकिन उन्हें जर्मनी के विंसेंट कीमर के खिलाफ अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा।
- दूसरी ओर, डी. गुकेश भी अर्जुन एरिगैसी के खिलाफ अपनी बाज़ी हार गए, जिससे दोनों भारतीय खिलाड़ियों के बीच टाईब्रेकर मुकाबला अनिवार्य हो गया।
- टाईब्रेकर का रोमांच:
- पहले गेम में प्रगनानंद गलती कर बैठे और हार गए, क्योंकि वह बेनोनी डिफेंस में असमंजस में पड़ गए थे।
- दूसरे गेम में उन्होंने शानदार वापसी की और ट्रॉम्पोव्स्की ओपनिंग का इस्तेमाल करते हुए गुकेश की एक चूक का लाभ उठाकर 1-1 की बराबरी कर ली।
- निर्णायक गेम सडन डेथ के रूप में खेला गया, जिसमें सफेद मोहरों वाले खिलाड़ी को 2 मिनट 30 सेकंड, जबकि काले मोहरों वाले खिलाड़ी को 3 मिनट मिले।
- इस अत्यधिक दबाव वाले मुकाबले में प्रगनानंद ने अपनी शानदार तकनीक और ठोस मानसिक मजबूती का परिचय देते हुए जीत दर्ज की और पहली बार टाटा स्टील मास्टर्स का खिताब अपने नाम किया।
खिताबी जीत के बाद क्या बोले प्रगनानंद?
अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद प्रगनानंद ने विनम्रता और हास्य के साथ कहा कि वह यह खिताब अर्जुन एरिगैसी को समर्पित करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी जीत के कारण ही मुकाबला टाईब्रेकर तक पहुँचा। उन्होंने कहा,
"मुझे नहीं लगा था कि अर्जुन, गुकेश को हरा देंगे। कुछ समय के लिए ऐसा प्रतीत हो रहा था किगुकेश आसानी से जीत जाएंगे। लेकिन जब मैंने परिणाम देखा, तो मैं चौंक गया। उस समय मैं खुद एक मुश्किल स्थिति में था और लगा कि अब केवल बचाव ही कर सकता हूँ।"
डी. गुकेश के लिए लगातार दूसरी टाईब्रेकर हार
डी. गुकेश के लिए यह लगातार दूसरा वर्ष था जब वह टाईब्रेकर मुकाबले में हार गए। इससे पहले 2024 में वे चीन के वेई यी के खिलाफ टाईब्रेकर में पराजित हुए थे, और इस साल भी भाग्य उनके पक्ष में नहीं रहा।
भारत के लिए गौरवशाली उपलब्धि
इस ऐतिहासिक जीत के साथ, भारत ने एक बार फिर वैश्विक शतरंज परिदृश्य में अपनी ताकत को साबित कर दिया है। भारतीय शतरंज खिलाड़ी लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं, और यह ट्रेंड आने वाले वर्षों में और मजबूत होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष:-
आर. प्रगनानंद की यह जीत न केवल उनके करियर के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि भारतीय शतरंज के भविष्य को भी और उज्जवल बनाती है। उनकी यह उपलब्धि युवा शतरंज खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी और भारत को शतरंज महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगी।
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