दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) का उभार 2014 से ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ तीखे टकराव का कारण बन गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस संघर्ष को और तेज कर दिया है।
पीएम मोदी का हमला: 'आप' सरकार को बताया "आपदा"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर के निवासियों के लिए बने 1,675 फ्लैट्स और दो प्रमुख शहरी पुनर्विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए आप सरकार को "आपदा" करार दिया।
"पिछले 10 वर्षों से दिल्ली 'आपदा' से घिरी हुई है। मैं भी 'शीशमहल' बना सकता था, लेकिन मैंने गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक घर बनाए," पीएम मोदी ने कहा। यह बयान मुख्यमंत्री के आवास पर खर्च को लेकर हुए विवाद पर केंद्रित था।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि आप सरकार का शासन भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से भरा रहा है। पीएम मोदी ने यह भी दावा किया कि दिल्ली में विकास कार्यों के पीछे केंद्र सरकार का बड़ा योगदान है। उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की इन-सिटू स्लम पुनर्वास परियोजना के तहत लाभार्थियों को चाबियां सौंपी और नौरोजी नगर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और सरोजिनी नगर में आवासीय क्वार्टर का उद्घाटन किया।
अरविंद केजरीवाल का पलटवार: "दिल्ली में असली आपदा बीजेपी है"
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी के आरोपों को "व्यक्तिगत हमले" बताते हुए कहा कि बीजेपी दिल्ली में अपनी उपलब्धियां गिनाने में विफल रही है।
"बीजेपी ने 10 वर्षों में दिल्ली के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने झुग्गियों को गिराने की धमकी दी, लेकिन हमारी सरकार ने 22,000 कक्षाएं, तीन नई विश्वविद्यालयें और असंख्य विकास कार्य किए," केजरीवाल ने कहा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी की रणनीति उनकी सरकार को विफल दिखाने की रही है।
- "बीजेपी ने 2014 से ही आप सरकार को गिराने के लिए साजिशें रचीं," उन्होंने कहा।
- 'आप' के कई प्रमुख नेताओं, जैसे संजय सिंह और मनीष सिसोदिया, को जेल भेजा गया।
- खुद केजरीवाल को भी 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
बीजेपी बनाम 'आप': सत्ता संघर्ष की शुरुआत
विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली में सत्ता के नियंत्रण की इस लड़ाई में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को घेरने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं।
- बीजेपी पर आरोप है कि उसने उपराज्यपाल (LG) के माध्यम से आप सरकार की फाइलों को रोका और विकास कार्यों में बाधाएं डालीं।
- वहीं, बीजेपी का दावा है कि केजरीवाल सरकार ने "दिखावटी विकास" के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
क्या है सच्चाई?
राजनीतिक संघर्ष के इस दौर में जनता के लिए असली सवाल यह है कि विकास कार्यों का श्रेय किसे दिया जाए। 'आप' ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में बदलाव किए हैं, जबकि बीजेपी ने केंद्र की योजनाओं को दिल्ली के विकास का आधार बताया है।
निष्कर्ष
दिल्ली की राजनीति में यह संघर्ष केवल आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं है, बल्कि यह विकास और सत्ता नियंत्रण की लड़ाई है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किसके पक्ष में फैसला करती है – 'आप' के विकास मॉडल या बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के वादों के पक्ष में।