27 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
इन्हीं चिंताओं के बीच University of Cambridge ने भविष्य में होने वाली इंजीनियर्ड महामारी के जोखिमों को समझने और उनसे निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है
Engineered Pandemics Risk Management Programme
यह प्रोग्राम न केवल संभावित जैविक खतरों को पहचानने का उद्देश्य रखता है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सभी स्तरों पर एकीकृत प्रणाली तैयार करने की महत्वाकांक्षी योजना भी प्रस्तुत करता है।
इंजीनियर्ड महामारी: खतरा क्यों बढ़ रहा है?
कैम्ब्रिज के शोधकर्ताओं के अनुसार यह खतरा कई वजहों से तेज़ी से बढ़ रहा है:
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जेनेटिक इंजीनियरिंग और CRISPR जैसी gene-editing तकनीकों की तेज़ प्रगति
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा जैविक अनुसंधान की स्वचालित क्षमताओं में वृद्धि
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बढ़ती वैश्विक यात्राएँ और शहरीकरण
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भू-राजनीतिक तनाव, आतंकवादी समूहों और दुष्ट राज्यीय तत्वों की सक्रियता
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इंटरनेट पर गलत सूचना, वैज्ञानिक संस्थानों पर कम होता विश्वास
इन सभी कारणों से कृत्रिम रूप से तैयार किए गए रोगजनक भविष्य में गंभीर जैव सुरक्षा खतरा बन सकते हैं।
“समय की मांग है एक संयुक्त और सुव्यवस्थित सिस्टम” — प्रो. क्लेयर ब्रायंट
प्रोफेसर क्लेयर ब्रायंट कहती हैं:
“यह एक अभूतपूर्व अवसर है कि हम इंजीनियर्ड महामारियों से जुड़ी चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान विकसित करें। वैज्ञानिक, नीति निर्माता और सुरक्षा विशेषज्ञ—सबको एक प्लेटफ़ॉर्म पर आकर मिलकर काम करने की जरूरत है।”
कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्य
Cambridge का यह कार्यक्रम तीन बड़े मिशनों पर आधारित है:
1. इंजीनियर्ड महामारी जोखिम को समझने के लिए एक मजबूत वैचारिक ढांचा तैयार करना
विज्ञान, समाजशास्त्र, महामारी विज्ञान, AI और सुरक्षा विशेषज्ञता को एक साथ जोड़कर।
2. यूके की क्षमता को मजबूत बनाना
ताकि नीति-निर्माण, सुरक्षा ढांचे, वैज्ञानिक अनुसंधान और संकट प्रबंधन के अंतरराष्ट्रीय मानक तैयार किए जा सकें।
3. वैश्विक सहयोग को बढ़ाना
ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैव-सुरक्षा के बेहतर मॉडल विकसित हों।
चार प्रमुख शोध-स्ट्रैंड: महामारी जोखिम का 360° विश्लेषण
1. सामाजिक तत्व: कौन और क्यों बना सकता है engineered pandemics?
इस हिस्से में शोध होगा:
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कौन ऐसे रोगजनक बनाने की क्षमता या मंशा रख सकता है?
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भविष्य में जैव-सন্ত্রासवाद के नए रूप क्या होंगे?
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किन परिस्थितियों में वैज्ञानिक अनुसंधान अनजाने में जोखिम पैदा कर सकता है?
डॉ. रॉब डबलडे कहते हैं:
“हम केवल तकनीकी खतरे नहीं समझ सकते। हमें यह भी समझना होगा कि ऐसे रोगजनक कौन बनाना चाहता है और उसके सामाजिक-राजनीतिक कारण क्या हैं।”
यह स्ट्रैंड वैज्ञानिक अनुसंधान की नैतिकता, पारदर्शिता और जिम्मेदारियों को भी नए ढंग से परिभाषित करेगा।
2. जैविक तत्व: कौन से रोगजनक सबसे खतरनाक हो सकते हैं?
इसमें विशेषज्ञ उन प्राकृतिक वायरस और बैक्टीरिया की पहचान करेंगे जिन्हें संशोधित या हथियारयुक्त किया जा सकता है।
अध्ययन में शामिल होंगे:
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वायरस की संक्रामक क्षमता
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मानव प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया
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टीकाकरण क्षमता का तेजी से मूल्यांकन
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मौजूदा दवाओं की प्रभावशीलता की जांच
इससे भविष्य के engineered pathogens के खिलाफ “फास्ट रिस्पांस मेडिकल टूलकिट” विकसित किया जाएगा।
3. मॉडलिंग और जोखिम प्रबंधन: महामारी की तैयारी कैसी हो?
COVID-19 के दौरान PPE की कमी, दवाओं का संकट और वैक्सीन सप्लाई चेन में रुकावट जैसे मुद्दों ने दुनिया को जागरूक किया।
इस स्ट्रैंड में शोध किया जाएगा:
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महामारी के दौरान आवश्यक संसाधनों का मॉडलिंग
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हॉस्पिटल सिस्टम की क्षमता
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एयरफ्लो और वेंटिलेशन सिस्टम में सुधार
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राष्ट्रीय बायोसेफ्टी प्रोटोकॉल
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सप्लाई चेन स्थिरता
यह किसी भी engineered महामारी के लिए तैयारी की एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करेगा।
4. नीति नवाचार: वैज्ञानिक ज्ञान को व्यवहार में बदलने की पहल
कैम्ब्रिज टीम नीति-निर्माताओं के साथ मिलकर:
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नई नीति रणनीतियाँ तैयार करेगी
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जोखिम प्रबंधन को लेकर नई शासन प्रणाली बनाएगी
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सरकारों को व्यावहारिक समाधान सुझाएगी
पूरी प्रक्रिया Evidence-based policy के आधुनिक मॉडल पर आधारित होगी।
£5.25 मिलियन की बड़ी फंडिंग और भविष्य की योजना
इस कार्यक्रम को £5.25 मिलियन का समर्थन मिला है, जिसे University of Cambridge के CRASSH (Centre for Research in the Arts, Humanities and Social Sciences) को दिया गया है।
प्रोफेसर जोआना पेज कहती हैं:
“कैम्ब्रिज की बहुविषयी शोध क्षमता इसे वैश्विक जैव-सुरक्षा के लिए एक आदर्श नेतृत्व केंद्र बनाती है।”
कैम्ब्रिज अब इस पहल को एक बड़े Pandemic Risk Management Centre के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है।
