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भविष्य की ‘इंजीनियरड महामारी’ के जोखिमों से निपटने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की बड़ी पहल

 28 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार     

कोविड-19 महामारी ने दुनिया को यह सख़्त सबक दिया कि एक छोटा सा वायरस भी वैश्विक व्यवस्था को कैसे ठहरा सकता है। लेकिन विशेषज्ञ अब इससे भी अधिक चिंताजनक सवाल उठा रहे हैं—अगर अगली महामारी प्राकृतिक नहीं, बल्कि ‘इंजीनियरड’ हो? क्या दुनिया उसके लिए तैयार है? क्या हम उसे रोक भी सकते हैं?

इन्हीं सवालों के समाधान तलाशने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज ने आज एक महत्त्वाकांक्षी और बहुआयामी कार्यक्रम शुरू किया है—

Engineered Pandemics Risk Management Programme (EPRMP)

जिसका उद्देश्य है भविष्य में किसी भी संभवतः इंजीनियरड महामारी की वैज्ञानिक, सामाजिक, तकनीकी और नीतिगत चुनौतियों को पहचानना और उनसे निपटने की क्षमता विकसित करना।


“इंजीनियरड महामारी एक वास्तविक खतरा है; हमें संयुक्त रणनीति चाहिए”— प्रो. क्लेयर ब्रायंट

कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहीं कैम्ब्रिज की प्रोफेसर क्लेयर ब्रायंट कहती हैं:

“इंजीनियरड महामारी के जोखिमों को संभालने के लिए समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का यह सही समय है। वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, उद्योग और सुरक्षा एजेंसियों को एक साथ आना होगा।”

यह कार्यक्रम न केवल ब्रिटेन की क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महामारी-जोखिम प्रबंधन का नेटवर्क तैयार करेगा।


क्यों बढ़ रहा है इंजीनियरड महामारी का खतरा?

उन्नत जीन-संपादन तकनीक (Gene Editing Tools)—CRISPR जैसे टूल अब बेहद सरल और शक्तिशाली हो गए हैं।

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI)—AI के चलते पैथोजेन्स को संशोधित करने की क्षमता और आसान हो सकती है।

जियोपॉलिटिकल तनाव—राज्य एवं गैर-राज्य तत्वों द्वारा जैविक हथियारों का दुरुपयोग संभव।

वैश्विक गतिशीलता (Mobility) और शहरीकरण—संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना और बढ़ती है।

मिसइन्फॉर्मेशन और गिरता संस्थागत विश्वास—संकट के दौरान प्रतिक्रियाओं को अस्थिर कर सकता है।

यही कारण है कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इसे “अत्यावश्यक वैश्विक प्राथमिकता” माना है।


कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य

  1. इंजीनियरड महामारी के रिस्क मैनेजमेंट के लिए वैज्ञानिक व सामाजिक अवधारणाएँ विकसित करना।

  2. ब्रिटेन की नीतिगत क्षमता को मजबूत करना, और सरकार–अकादमिक–उद्योग नेटवर्क तैयार करना।

  3. वैश्विक सहयोगी नेटवर्क बनाना, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोखिम कम किए जा सकें।


कार्यक्रम के चार प्रमुख अनुसंधान स्तंभ

1️⃣ सामाजिक निर्धारक (Social Determinants of Engineered Pandemic Threat)

इस खंड में यह अध्ययन होगा कि:

  • कौन से अभिनेता (actors) संभावित रूप से खतरनाक पैथोजेन बना सकते हैं — जानबूझकर या गलती से?

  • भविष्य में बायोटेररिज़्म की प्रेरणाएँ क्या हो सकती हैं?

  • कौन-कौन सी महामारी-कारक तकनीकों का दुरुपयोग संभव है?

डॉ. रॉब डबलडे का बयान

“हम अक्सर मान लेते हैं कि बहुत से लोग बायो-वेपन्स बनाना चाहते हैं, लेकिन शोध में इस धारणा की ठोस जांच नहीं हुई। हमें समाजशास्त्र, बायोसेक्योरिटी, क्रिमिनोलॉजी और जियोपॉलिटिक्स के विशेषज्ञों को एक साथ लाना होगा।”

साथ ही, यह अध्ययन वैज्ञानिक अनुसंधान की गवर्नेंस पर भी फोकस करेगा—कैसे नवाचार और जोखिम प्रबंधन के बीच संतुलन बनाया जाए।


2️⃣ जैविक निर्धारक (Biological Determinants of Engineered Pandemic Threat)

विशेषज्ञ मानते हैं कि सबसे संभावित खतरा किसी प्राकृतिक पैथोजेन को जानबूझकर रिलीज़ करने से है, न कि पूरी तरह कृत्रिम वायरस से।

इसलिए अनुसंधान केंद्रित होगा:

  • कौन से वायरस/बैक्टीरिया अधिक संक्रामक या खतरनाक हो सकते हैं

  • मानव प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया

  • मौजूदा दवाओं की स्क्रीनिंग

  • तेज़ी से वैक्सीन विकसित करने की तकनीकें


3️⃣ मॉडलिंग और महामारी जोखिम प्रबंधन (Modelling Threats & Risk Management)

कोविड-19 के दौरान PPE, वैक्सीन, दवाएँ, अस्पताल क्षमता—सब कुछ अपर्याप्त साबित हुआ।
यह खंड अध्ययन करेगा:

  • महामारी के दौरान संसाधनों की पूर्व-भविष्यवाणी

  • वेंटिलेशन से लेकर बायोसेफ़्टी तक सभी तकनीकी उपाय

  • इंजीनियरड महामारी के विभिन्न परिदृश्यों पर आधारित मॉडलिंग के नए तरीके


4️⃣ नीति नवाचार (Policy Innovation Challenges)

कैम्ब्रिज की टीम नीति-निर्माताओं के साथ मिलकर ऐसे नवाचार विकसित करेगी जो:

  • वास्तविक ज़रूरतों को संबोधित करें

  • आपातकालीन परिस्थितियों में काम आएं

  • सरकारी व वैज्ञानिक निर्णयों को तेज़ और पारदर्शी बनाएं


कैम्ब्रिज की बहु-विषयक ताकत और फंडिंग

यह पूरा कार्यक्रम £5.25 मिलियन (लगभग 55 करोड़ रुपये) की फंडिंग से संचालित होगा।
इसे Centre for Research in the Arts, Humanities and Social Sciences (CRASSH) में स्थापित किया गया है।

CRASSH की निदेशक प्रोफेसर जोआना पेज का बयान

“कैम्ब्रिज में जीन तकनीक, इम्यूनोलॉजी, गणितीय मॉडलिंग, पॉलिसी रिसर्च और अस्तित्वगत जोखिम (Existential Risk) पर मजबूत क्षमताएँ हैं। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”

भविष्य में इसे एक बड़े Pandemic Risk Management Centre का मुख्य आधार बनाया जाएगा।


निष्कर्ष:-

 भविष्य की सुरक्षा का ब्लूप्रिंट तैयार कर रहा है कैम्ब्रिज

इंजीनियरड महामारी आज की दुनिया की सबसे गंभीर और कम समझी जाने वाली चुनौतियों में से एक है।
कैम्ब्रिज का यह कार्यक्रम विज्ञान, नीतियों, तकनीक और वैश्विक सहयोग के संगम पर खड़ा एक ऐसा कदम है जो न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि पूरी दुनिया के लिए सुरक्षा ढांचा तैयार कर सकता है।

यह पहल बताती है कि महामारी केवल स्वास्थ्य संकट नहीं—बल्कि सुरक्षा, राजनीति, तकनीक और समाज, सभी आयामों की साझी चुनौती है।


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