27 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
एक जली हुई कार के पास खड़े फ़इक अजर और उनके परिजनों के हाथों में केवल टूटे हुए कांच, बिखरे मलबे और वही पुरानी दहशत थी। शनिवार को हुए इज़राइली हमले ने उनके घर के ठीक सामने तबाही मचाई थी। फ़इक उस समय घर के पास सब्ज़ी लेने निकले थे—और कुछ ही सेकंड की दूरी ने उनकी जान बचा ली।
“मैं चमत्कार से बच गया। बस सड़क पार ही किया था,” वे बताते हैं। जैसे ही धमाका हुआ, उन्हें यह डर सताया कि क्या उनका घर भी मलबा बन चुका है। दौड़कर वापस लौटे तो परिवार सुरक्षित मिला, लेकिन तीनों बेटियाँ अब भी सदमे में थीं—क्योंकि जिस युद्ध को ‘सीज़फायर’ के बाद थम जाना चाहिए था, वह मानो फिर ज़िंदा हो उठा था।
सीज़फायर या फिर एक ढका हुआ युद्ध?
अक्टूबर में घोषित हुए युद्धविराम के बाद भी इज़राइल ने बार-बार हमले किए हैं।
इज़राइल का दावा है कि हामास ने समझौते का उल्लंघन किया, जबकि हामास इन आरोपों से इनकार करता है।
फिलिस्तीनी पक्ष का कहना है कि इज़राइल ने ही 500 बार युद्धविराम तोड़ा है—
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342 नागरिकों की हत्या,
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जिनमें 67 बच्चे भी शामिल हैं।
शनिवार को पूरे गाज़ा पट्टी में 24 फिलिस्तीनी मारे गए। अल-अब्बास इलाका — जहाँ फ़इक रहते हैं — उन इलाकों में से था जहाँ पाँच लोगों की मौत हुई।
“यह कैसा युद्धविराम है? कुछ पल की ख़ामोशी और फिर अचानक सब कुछ युद्ध जैसा,” फ़इक कहते हैं।
“धुआँ, खून, टूटा शीशा, बिखरे जिस्म के टुकड़े… यह सब हमारे दिमाग़ और यादों से आज तक नहीं गया।”
‘उम्मीद भी राख हो चुकी है’ — फ़इक का अनुभव
29 वर्षीय फ़इक तुफ़्फ़ाह इलाक़े के मूल निवासी हैं। 2024 में एक इज़राइली हमले में उन्होंने अपनों के 30 लोग खो दिए—
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माँ-बाप,
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भाई के बच्चे,
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चाची,
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कई चचेरे भाई-बहन…
उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हुईं, और डॉक्टरों को उनकी एक उंगली तक काटनी पड़ी।
इसके बाद उन्होंने परिवार को बार-बार जगह बदली—पूर्वी गाज़ा से निकलकर कई इलाकों में शरण लेने की कोशिश की। लेकिन सुरक्षा कहीं नहीं मिली।
“हम थक चुके हैं,” वे कहते हैं।
“गाज़ा में 99% ज़िंदगी खत्म हो चुकी है। जो 1% उम्मीद थी, वह भी इस नकली सीज़फायर ने छीन ली।”
माल व्यापार में उनके पिता का अच्छा कारोबार था, लेकिन अब घर, दुकान, काम—सब मलबे में बदल चुका है। उनका घर अब उस ‘येलो लाइन’ ज़ोन में है, जहां इज़राइल के नियंत्रण में प्रवेश लगभग असंभव है।
“वहाँ न बिजली है, न पानी, न सड़कें, न घर… कुछ भी नहीं। तो यह युद्ध आखिर कब खत्म होगा?”
‘हम केवल ज़िंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं, जीने की नहीं’
फ़इक कहते हैं:
“हमारी दुकानों को खोलने दो, सीमा crossings खोलो, हमें अपने घरों में लौटने दो… बस जीने दो।”
गाज़ा का भविष्य? दुनिया में चर्चा, जमीन पर अंधेरा
गाज़ा की भावी व्यवस्था पर दुनिया में बहस जारी है।
US राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘20-प्वाइंट योजना’ एक नई तकनीकी सरकार, अंतरराष्ट्रीय सुपरविजन और एक आर्थिक पुनर्निर्माण मॉडल का दावा करती है। इस योजना में:
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“योग्य” फिलिस्तीनियों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक अस्थायी सरकार,
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अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल,
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ट्रंप के नेतृत्व में “बोर्ड ऑफ पीस”,
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और आर्थिक विकास के वादे शामिल हैं।
लेकिन न तो ढांचा साफ़ है और न ही भविष्य।
इज़राइल और अमेरिका हामास को किसी भी शासन में शामिल करने से इंकार करते हैं, जबकि गाज़ा का बड़ा हिस्सा बर्बाद है, जहां पुनर्निर्माण में सालों लगेंगे।
इज़राइल की मंशा: ‘अधूरी स्थिति हमेशा के लिए’?
फ़िलिस्तीनी राजनीतिक विश्लेषक अहेद फ़रवाना का कहना है कि इज़राइल जानबूझकर गाज़ा को इस अनिश्चितता में रखना चाहता है।
“इज़राइल चाहती है कि गाज़ा इसी लिंबो में फँसा रहे—
न युद्ध खत्म हो,
न पुनर्निर्माण शुरू हो।
यह स्थिति उन्हें नियंत्रण बनाए रखने का सबसे आसान तरीका लगती है।”
