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कर्नाटक नेतृत्व संकट के बीच राहुल गांधी का शिवकुमार को संदेश: “रुकिए, मैं कॉल करूंगा” — हाईकमान 1 दिसंबर से पहले ले सकता है बड़ा फैसला



 25 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों और कांग्रेस के भीतर बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार एक सप्ताह से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। इसी क्रम में राहुल गांधी ने उन्हें संक्षिप्त व्हाट्सऐप संदेश भेजा—

“Please wait, I will call you.”
यानी, “कृपया प्रतीक्षा कीजिए, मैं आपको फोन करूंगा।”

यह संदेश ऐसे समय में आया है जब पार्टी हाईकमान संसद के आगामी सत्र (1 दिसंबर) से पहले कर्नाटक के नेतृत्व पर किसी निर्णायक बदलाव के संकेत दे चुका है। राज्य में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डी. के. शिवकुमार के बीच “पावर-शेयरिंग फॉर्मूले” को लेकर असहमति लगातार गहराती दिख रही है।


दिल्ली दौरे की तैयारी में शिवकुमार, सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा

डी. के. शिवकुमार 29 नवंबर को दिल्ली रवाना होने की तैयारी में हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात का अनुरोध किया है। सोनिया गांधी उसी दिन राजधानी लौटने वाली हैं, इसलिए मुलाकात की संभावना मजबूत मानी जा रही है।


दिल्ली में राहुल गांधी की कर्नाटक नेताओं से अहम बैठकें

राहुल गांधी ने दिल्ली में कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे और शरथ बाचेगौड़ा से अलग-अलग मुलाकात की।
इन बैठकों में अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई—

  • अलंद विधानसभा क्षेत्र में कथित “वोट चोरी” (Vote Chori) विवाद

  • चिलुमे एनजीओ की भूमिका

  • नए KEO AI PC डिवाइस और SIR प्लेटफॉर्म का टेक्नोलॉजिकल प्रस्तुतीकरण

  • कर्नाटक की समग्र राजनीतिक स्थिति

पहले संयुक्त बैठक करीब 15 मिनट चली, जिसके बाद राहुल गांधी ने प्रियांक खड़गे को अलग से बुलाकर लगभग 20 मिनट तक विस्तृत बातचीत की।


सिद्धारमैया से नाराज़ हैं राहुल गांधी: सत्ता हस्तांतरण पर सार्वजनिक बयान से खफा

पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हालिया सार्वजनिक बयानों से नाराज़ हैं।
सिद्धारमैया ने मीडिया के सामने कहा था कि:

  • किसी तरह की “पावर-शेयरिंग डील” नहीं हुई

  • वे अपना पूरा 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे

राहुल गांधी, सूत्रों के अनुसार, इस बात से असहमत हैं और उन्होंने कहा:
“उन्हें इस तरह सार्वजनिक रूप से पावर-शेयरिंग पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। मैं जल्द ही दोनों से बात करूंगा।”

राहुल ने दोनों खेमों को “तनाव ना बढ़ाने” और किसी भी विवाद को सार्वजनिक न करने की सलाह दी है।


प्रियांक खड़गे की बेंगलुरु वापसी — CM के बुलावे से लेकर शिवकुमार से मुलाकात तक

दिल्ली से लौटते ही प्रियांक खड़गे को मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया और उन्हें तुरंत शक्ति भवन बुलाया गया।
वहां उन्होंने सिद्धारमैया को दिल्ली की बैठकों की जानकारी दी। इसके बाद वे शिवकुमार के आधिकारिक आवास पहुंचे।

पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि यह क्रम —
पहले CM, फिर DCM से चर्चा — शिवकुमार के पक्ष में संकेत देता है
और नेतृत्व समीकरण में उनके बढ़ते दबाव को दर्शाता है।


हाईकमान का फॉर्मूला: अगर शिवकुमार बने CM, तो संतुलन कैसे बनाया जाएगा?

राहुल गांधी की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी बदलाव से कांग्रेस का वोट-बैंक न टूटे।
इसलिए एक “सामाजिक संतुलन मॉडल” पर चर्चा चल रही है:

  • अगर डी. के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाता है
    तो

  • KPCC अध्यक्ष और

  • एक उपमुख्यमंत्री पद
    ओबीसी, एससी/एसटी या अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को देने पर विचार किया जा रहा है।

यह फॉर्मूला कर्नाटक की सामाजिक संरचना में स्थिरता बनाये रखने का प्रयास माना जा रहा है।


शिवकुमार का बयान: “हाईकमान जो निर्णय लेगा, मैं मानूंगा”

इंडिया टुडे से बातचीत में शिवकुमार ने कहा—

  • वे पार्टी के निर्णय के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं

  • बुधवार को कैबिनेट मीटिंग है

  • गुरुवार को इंदिरा गांधी आंगनवाड़ी कार्यक्रम

  • इसके बाद वे “दिल्ली जाएँगे या नहीं”, यह तय करेंगे

उन्होंने कहा कि:

  • 100 नए कांग्रेस कार्यालयों की स्थापना

  • एमएलसी सीटों पर चर्चा

  • कई महत्वपूर्ण मुद्दे
    संसद सत्र से पहले हाईकमान से स्पष्ट करने आवश्यक हैं।


निष्कर्ष:-

नेतृत्व परिवर्तन की घड़ी नज़दीक?
कुल मिलाकर, कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर असमंजस चरम पर है।
राहुल गांधी का “कॉल करूंगा” संदेश भले छोटा हो, लेकिन इसके राजनीतिक मायने गहरे हैं —
हाईकमान 1 दिसंबर से पहले बड़ा फैसला ले सकता है
सिद्धारमैया पर दबाव बढ़ रहा है
शिवकुमार दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठकों के लिए तैयार हैं
सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए पार्टी वैकल्पिक फॉर्मूला तैयार कर चुकी है
अब कर्नाटक की राजनीति की नई दिशा का फैसला सिर्फ दिल्ली की वार्ता पर निर्भर करता है।

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