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Iran Social Freedoms: इस्राइल युद्ध के बाद समाजिक नियंत्रण बनाम जन-आवाज़ की जंग

 1 नवम्बर 2025 | रिपोर्ट — Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार

इस्राइल के साथ जून 2025 के 12-दिवसीय युद्ध के बाद ईरान एक नए सामाजिक और राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। युद्ध ने देश की अर्थव्यवस्था, राजनीति और जनता की मानसिकता को गहराई से प्रभावित किया है। अब देश के भीतर एक नई बहस छिड़ी हुई है — क्या इस्लामी गणराज्य को सामाजिक स्वतंत्रता के मोर्चे पर ढील देनी चाहिए या धार्मिक नियंत्रण को और कड़ा करना चाहिए?


‘जनरेशन-ज़ेड सलाहकार’ और युवा वर्ग से जुड़ने की कोशिश

राष्ट्रपति मासूद पेज़ेशकियन ने हाल ही में युवाओं से जुड़ने की कोशिश के तहत “Gen Z Adviser” नियुक्त किया — अमीररेज़ा अहमदी। यह नियुक्ति प्रतीकात्मक रूप से इस बात का संकेत थी कि नई सरकार समाज के उस तबके तक पहुँचना चाहती है जो डिजिटल युग में पला-बढ़ा है।

अहमदी ने घोषणा की कि वे “तेहरान से लेकर देश की सीमाओं तक” युवाओं की बात सुनना चाहते हैं और यहां तक कि अपना मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक कर दिया। लेकिन सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बाढ़ आ गई — कई लोगों ने उन पर “कृत्रिम लोकप्रियता” और बॉट्स के उपयोग का आरोप लगाया।

यह पूरा घटनाक्रम यह दिखाता है कि ईरान की नई मध्यमार्गी सरकार युवाओं से संवाद स्थापित करने की कोशिश तो कर रही है, परंतु यह प्रयास जमीनी स्तर पर विश्वसनीयता की कमी से जूझ रहा है।


ईरान की युवा पीढ़ी और सत्ता के बीच वैचारिक खाई

चैथम हाउस की विशेषज्ञ सानम वाक़िल का कहना है कि ईरान की राज्य व्यवस्था अब भी उस भाषा में बात कर रही है जो इंटरनेट युग की पीढ़ी नहीं समझती।
उनके अनुसार, सरकार का यह संवाद “परिवर्तनकारी” नहीं बल्कि “व्यवहारिक” है — यानी यह युवाओं को शांत रखने के लिए है, न कि उन्हें सशक्त बनाने के लिए।

उनका कहना है —

“सत्ता की संरचना इतनी असंतुलित है कि यह सुधार की बजाय दमन की राजनीति को जन्म देती है। ईरान की नीति विरोधाभासी संदेशों और नीतियों के जाल में फँसी हुई है।”


आर्थिक संकट और सामाजिक असंतोष

तेहरान से लेकर मशहद तक हर शहर में युवा वर्ग महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। मुद्रास्फीति बेकाबू है, और भ्रष्टाचार का जाल आम नागरिक को तोड़ चुका है। यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें सामाजिक स्वतंत्रता की माँगें उठ रही हैं।


इस्राइल युद्ध के बाद सत्ता का दबाव और जनसमर्थन की जरूरत

जून 2025 में इस्राइल के साथ हुए युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र के पुनः लागू प्रतिबंधों और युद्ध के भय ने ईरान को भीतर से हिला दिया है। इस संकट में सरकार को जनता का समर्थन चाहिए — और यही वजह है कि कुछ अधिकारी “सामाजिक नियंत्रण में ढील” की बात कर रहे हैं।

पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पिछले सप्ताह कड़े इस्लामी नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि संसद ऐसे क़ानून बना रही है जिनका देश की जनता का बहुमत विरोध करता है — इशारा स्पष्ट रूप से अनिवार्य हिजाब कानून की ओर था।


तेहरान की सड़कों से: संगीत, नृत्य और ‘सामाजिक अपराध’

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो तेहरान की सड़कों पर संगीत बजाते युवाओं को दिखाता है — कुछ महिलाएँ बिना हिजाब के नाचती हुई दिखाई दीं। यह दृश्य ईरान के बदलते समाज की तस्वीर है, लेकिन सत्ता के लिए यह “चुनौती” बन गया।

पुलिस ने प्रदर्शन के एक सदस्य का इंस्टाग्राम खाता बंद कर दिया, यह कहते हुए कि उसने “आपराधिक सामग्री” प्रकाशित की है। इसी तरह “पकदश्त” क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉनिक म्यूज़िक डिस्को पर कार्रवाई की गई, जहाँ “नग्न नृत्य” के आरोप में आयोजकों पर केस दर्ज हुआ।

हालांकि यह आयोजन आधिकारिक अनुमति लेकर हो रहा था। इससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान की विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता-संघर्ष कितना गहरा है — सरकार एक बात कहती है, पर सुरक्षा एजेंसियाँ दूसरी करती हैं।


हिजाब कानून और महिलाओं की स्वतंत्रता

सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हिजाब कानून की कठोरता को कम किया जाए, लेकिन “नैतिकता पुलिस” की गाड़ियाँ अब भी कई शहरों में देखी जा रही हैं।

2022–23 में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत ने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़काए थे। इसके बावजूद कई महिलाएँ अब खुलकर बिना हिजाब के सड़कों पर निकल रही हैं, और कुछ तो मोटरसाइकिल भी चला रही हैं — जबकि महिलाओं को अब भी मोटरसाइकिल लाइसेंस नहीं दिए जाते।


सोशल मीडिया और डिजिटल सेंसरशिप

राष्ट्रपति पेज़ेशकियन ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि वे वैश्विक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगी रोक हटाएंगे। लेकिन अक्टूबर 2025 तक भी Facebook, X, YouTube और हजारों वेबसाइट्स ब्लॉक हैं।

सरकार का कहना है कि “जून युद्ध के बाद इस्राइल की साइबर गतिविधियों” के चलते ये नियंत्रण हटाना संभव नहीं हो पाया। लेकिन नागरिकों को यह स्पष्टीकरण अविश्वसनीय लगता है।

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अज़ादेह मोआवेनी का कहना है —

“आज ईरान में कोई भी राजनीतिक धड़ा युवाओं के दिलों में जगह नहीं बना सका है। चाहे मध्यमार्गी हों या कट्टरपंथी — दोनों सिर्फ निराशा का व्यापार कर रहे हैं।”


समाज का बदलता चेहरा, सत्ता की पुरानी सोच

ईरान का युवा वर्ग अब “नियंत्रित स्वतंत्रता” की पुरानी नीति से आगे बढ़ चुका है।
डिजिटल क्रांति, शिक्षा, वैश्विक संपर्क और लगातार बिगड़ती अर्थव्यवस्था ने युवाओं में नए सवाल और नई चेतना पैदा कर दी है।

जहाँ एक ओर महिलाएँ बाइक चला रही हैं, डीजे नाइट्स आयोजित हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक प्रतिष्ठान अब भी उसी नियंत्रण की मानसिकता में जकड़ा है जिसने दशकों से समाज को बाँध रखा है।


निष्कर्ष:-

 भविष्य का ईरान किस दिशा में जाएगा?

आज का ईरान एक संघर्षशील दोराहे पर खड़ा है — एक ओर डिजिटल युग की नयी पीढ़ी है जो स्वतंत्रता चाहती है, और दूसरी ओर सत्ता का पारंपरिक ढाँचा है जो नियंत्रण खोने से डरता है।

इस्राइल युद्ध ने इस बहस को और तेज़ कर दिया है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राष्ट्रपति पेज़ेशकियन की मध्यमार्गी सरकार सुधार और दमन के बीच संतुलन बना पाएगी या फिर ईरान एक बार फिर “नवजागरण की उम्मीदों” को दमन की दीवार में ठोक देगा।

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