मोहम्मद सलीम क्रिकेट रिपोर्टर
जानसन का कहर: 6/48 और भारत की कमजोर मानसिकता का पर्दाफाश
मार्को जानसन, जो 6 फीट 8 इंच की ऊंचाई के चलते ‘बाउंस मास्टर’ कहलाते हैं, गुवाहाटी की पिच पर पूरी तरह छा गए।
उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी ऊंचाई कई बार उन्हें lbw और बोल्ड के मौके से वंचित करती है क्योंकि गेंद ऑफ स्टंप के ऊपर से निकल जाती है। लेकिन ACA स्टेडियम की उछाल भरी पिच उनके लिए वरदान साबित हुई।
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जानसन ने 6/48 लेकर विदेश में अपना पहला ‘फाइव-फॉर’ दर्ज किया।
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यह प्रदर्शन सिर्फ गति या उछाल का नहीं था, बल्कि स्मार्ट, योजनाबद्ध और लगातार आक्रामक गेंदबाज़ी का प्रमाण भी था।
जहाँ पिछले टेस्ट में कोलकाता की पिच अनियमित उछाल और सीम के चलते बल्लेबाज़ों के लिए चुनौतीपूर्ण थी, गुवाहाटी का ट्रैक अपेक्षाकृत बेहतर था। लेकिन इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज़ों ने जिस प्रकार अनावश्यक शॉट्स खेलकर विकेट फेंके, वह टीम की सोच और अनुशासन की कमी दर्शाता है।
भारत का दोहरा पतन: 201 पर ऑलआउट—कैसे?
भारत को 189 और 93 पर सिमट जाने के लिए कोलकाता की कठिन पिच को दोष देने का कुछ हद तक आधार मिल सकता है।
लेकिन गुवाहाटी में 201 पर ढहना अव्यावहारिक निर्णयों, जल्दबाज़ी और मानसिक दबाव का परिणाम था।
यशस्वी जायसवाल ने दिखाया कि बल्लेबाज़ी संभव है
उन्होंने गेंद की अतिरिक्त उछाल के बावजूद अच्छी शुरुआत की। निचले क्रम में वाशिंगटन सुंदर और कुलदीप यादव ने भी संघर्ष दिखाया।
इससे साबित होता है कि पिच बल्लेबाज़ी के लिए असंभव नहीं थी—गलती खिलाड़ियों में थी, हालात में नहीं।
भारत के ‘ब्रेन फेड’ मोमेंट्स: तीन गलतियाँ जिन्होंने मैच घुमाया
1. ध्रुव जुरेल की जल्दबाज़ी
भारत ने 14 गेंदों के भीतर दो विकेट गंवा दिए थे। Tea break करीब था।
ऐसे समय में जुरेल को विकेट संभालकर चलना चाहिए था, लेकिन उन्होंने आते ही जानसन को पुल करने की कोशिश की।
परिणाम: बाहर से आती बाउंसर पर टॉप-एज और सीधा कैच।
यह दिन का पहला ब्रेन फेड था।
2. कप्तान ऋषभ पंत की गैर-ज़िम्मेदारी
पंत अपनी स्वाभाविक आक्रामकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कप्तान के रूप में उनसे संयम की उम्मीद की जाती है।
उन्होंने जानसन की दूसरी ही गेंद को मैदान के बाहर मारने की कोशिश की, जबकि भारत खतरनाक स्थिति में था।
मिली मोटी एज — आउट।
3. DRS का हास्यास्पद उपयोग
आउट होने के बावजूद पंत ने DRS ले लिया, जबकि बल्ले से साफ़-साफ़ मोटी एज निकली थी।
यह फैसला बताता है कि टीम नेतृत्व भी उतना ही दबाव में है जितने खिलाड़ी।
क्या कोच गौतम गंभीर दोषी हैं?
टीम संयोजन और बल्लेबाज़ी क्रम में गंभीर द्वारा किए गए कुछ निर्णयों की आलोचना हो सकती है—जैसे:
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कोलकाता में वाशिंगटन सुंदर को No. 3 पर भेजना
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गुवाहाटी में उन्हें No. 8 पर गिराना
लेकिन जिस तरह सभी विकेट खराब शॉट चयन के कारण गिरे, उसके लिए गंभीर को दोष देना तथ्यों से बचना है।
इस मैच की असली वजहें:
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गैर-जरूरी आक्रमण
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परिस्थिति न समझना
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पिच को पढ़ने में असफलता
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दबाव में गलत फैसले
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कप्तान और मध्यक्रम का विफल होना
गंभीर पर उंगली उठाना आसान है, लेकिन टीम की बुनियादी बल्लेबाज़ी मानसिकता ठीक किए बिना भारतीय क्रिकेट आगे नहीं बढ़ सकता।
भारत की सबसे बड़ी समस्या: मैच परिस्थितियों का सम्मान न करना
भारतीय खिलाड़ी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि घरेलू पिचें धूलभरी होती हैं, जहाँ बल्लेबाज़ी कठिन है।
लेकिन जब उन्हें बेहतर पिच मिली, तब भी उन्होंने:
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जल्दबाज़ी दिखाई
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स्थिति को नहीं समझा
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लंबे साझेदारी की बजाय तेज रन की कोशिश की
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बाउंसर रणनीति के सामने हथियार डाल दिए
यह मानसिकता टीम को लगातार मुश्किल में डाल रही है।
