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संभल में शांति, लेकिन सतर्कता जारी: जामा मस्जिद सर्वे हिंसा को एक वर्ष पूर्ण; शहर में फोर्स के बूटों की गूंज ने दिलाया सुरक्षा का एहसास

25 नवंबर 2025 | पत्रकारकविता शर्मा  | पत्रकार  

जामा मस्जिद सर्वे के दौरान 24 नवंबर 2024 को भड़की हिंसा की पहली बरसी पर सोमवार को संभल शहर ने एक बार फिर अपनी संवेदनशीलता और चौकसी का गंभीर प्रदर्शन किया। शहर पूरी तरह शांत रहा, लेकिन फोर्स के पैरों की गूंज, लगातार चल रही गश्त और ड्रोन कैमरों की निगरानी ने इस बात का एहसास कराया कि प्रशासन किसी भी संभावित स्थिति को हल्के में लेने के मूड में नहीं है।

ऐतिहासिक जामा मस्जिद संभल 


उच्च सुरक्षा व्यवस्था के बीच शहर शांत, संवेदनशील इलाकों में पैदल गश्त

बरसी के दिन सुबह से ही हवाई निगरानी, बढ़ा हुआ पुलिस बल और PAC–RAF की संयुक्त तैनाती ने संभल को एक अस्थायी किले में तब्दील कर दिया।
डीएम और एसपी स्वयं शहर की सड़कों पर उतरे और अधिकारियों के साथ घंटों पैदल गश्त करते रहे।

  • जामा मस्जिद क्षेत्र के आसपास ड्रोन से लगातार मॉनिटरिंग

  • मुख्य चौराहों तथा बाजार क्षेत्रों में PAC और RAF की भारी मौजूदगी

  • CCTV कंट्रोल रूम का उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण

  • आम नागरिकों से संवाद कर अफवाहों से दूर रहने और शांति बनाए रखने की अपील

कोतवाली क्षेत्र में RAF और PAC के बूटों की आवाज़ें पूरे माहौल में सुरक्षा का एहसास दिलाती रहीं।


हिंसा की पृष्ठभूमि: वास्तविक घटनाओं को लेकर कई सवाल अभी भी बाकी

24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद क्षेत्र में सर्वे के दौरान तनाव अचानक बढ़ा और थोड़ी ही देर में माहौल बिगड़ गया। उस दिन की घटनाओं को लेकर कई तरह के दावे सामने आए, लेकिन स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विश्वसनीय जानकारी के अनुसार—

  • इस घटना में पाँच लोगों की मौत हुई थी,

  • चार हत्या के मामले दर्ज किए गए,

  • दो पुलिसकर्मी घायल हुए थे,

  • एक मृतक परिवार ने कार्रवाई से इनकार किया था।

स्थानीय नागरिकों और स्वतंत्र स्रोतों का कहना है कि बाद में आई कई आधिकारिक सूचनाएँ ज़मीनी तथ्यों से मेल नहीं खातीं। कई मानवाधिकार समूहों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अपनी ‘टारगेट किलिंग’ जैसी कार्रवाइयों को उचित ठहराने के लिए घटनाओं का अतिरंजित वर्णन प्रस्तुत किया।

इन्हीं आरोपों और विवादों के कारण घटना की बरसी पर प्रशासन ने अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्णय लिया, ताकि शांति और विश्वास दोनों बनाए रखे जा सकें।


ड्रोन से निगरानी और ‘जमीनी संवाद’ मॉडल: प्रशासन का दोतरफा सुरक्षा फॉर्मूला

प्रशासन ने इस बार “ग्राउंड कम्युनिकेशन + टेक्नोलॉजिकल मॉनिटरिंग” मॉडल अपनाया।

  1. ग्राउंड कम्युनिकेशन:

    • डीएम–एसपी ने बस्ती, मोहल्लों और बाजारों में लोगों से प्रत्यक्ष संवाद किया।

    • स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाया कि पुलिस उनके साथ है और किसी भी अफवाह को रोकना प्रशासन की प्राथमिकता है।

  2. टेक्नोलॉजी-आधारित मॉनिटरिंग:

    • जामा मस्जिद और आसपास के इलाकों में ड्रोन की सतत निगरानी

    • 24×7 एक्टिव CCTV कंट्रोल रूम

    • रैपिड रिस्पॉन्स टीमों को तैयार अवस्था में रखा गया

इस संयोजन ने सुरक्षा को अत्याधुनिक और प्रभावी बनाया।


तैनाती: PAC, RAF और स्थानीय पुलिस की संयुक्त रणनीति

शहर में सुरक्षा की तीन-स्तरीय तैनाती देखने को मिली—

  • प्रथम स्तर: स्थानीय पुलिस की तेज़ तैनाती

  • द्वितीय स्तर: PAC की भीड़ प्रबंधन और नियंत्रण की भूमिका

  • तृतीय स्तर: RAF की क्विक-एक्शन क्षमता

प्रमुख चौराहों, धार्मिक स्थलों, और उन सभी स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाई गई जहाँ पिछले वर्ष विवाद उत्पन्न हुआ था।


एक वर्ष बाद संभल: बदला क्या है?

हिंसा के एक साल बाद शहर में कई बदलाव महसूस किए गए—

  • प्रशासनिक सतर्कता में वृद्धि

  • संवेदनशील स्थानों पर स्थायी कैमरे और बेहतर निगरानी

  • पुलिस और जनता के बीच संवाद के प्रयासों में तेजी

  • विवादित जगहों पर सर्वे और कानूनी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने की कोशिश

आईजी रेंज के अनुसार, “संभल अब पहले की तुलना में अधिक चौकन्ना और संगठित है।”


शहर का मूड: डर नहीं, लेकिन एहतियात

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार बरसी को लेकर किसी प्रकार की घबराहट नहीं थी।
“सुरक्षा बलों की मौजूदगी ने मन को स्थिर रखा,” एक दुकानदार ने कहा।

मस्जिद क्षेत्र में रहने वाले एक निवासी के अनुसार—
“ड्रोन उड़ते देख पहले डर लगा था, लेकिन बाद में समझ आया कि यह हमारी सुरक्षा के लिए है।”


निष्कर्ष:-

 शांत शहर, मजबूत व्यवस्था और एहतियात से भरा नया वर्ष

संभल ने हिंसा के एक वर्ष बाद शांति का एक मजबूत संकेत दिया है।
जहाँ एक ओर शहर सामान्य रहा, वहीं दूसरी ओर प्रशासन का सख्त और सुव्यवस्थित सुरक्षा प्रबंधन यह दिखाता है कि अब किसी भी विवाद को समय रहते नियंत्रित करने की पूरी तैयारी है।

जामा मस्जिद सर्वे विवाद की बरसी ने शहर को फिर याद दिलाया कि संवेदनशील मुद्दों को संवाद, कानून और संयम से ही संभाला जा सकता है—और इस बार संभल ने यही किया।




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