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भारत को मिला नया प्रधान न्यायाधीश: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने राष्ट्रपतिभवन में ली शपथ

 24 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार 

भारतीय न्यायपालिका के लिए निर्णायक दौर में 53वें CJI के रूप में पदभार ग्रहण**

भारत की सर्वोच्च अदालत को सोमवार, 24 नवंबर 2025 को अपना नया प्रधान न्यायाधीश मिल गया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी में शपथ लेकर भारतीय न्यायपालिका में “भारतीयता” के विचार को और गहराई दी।

सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग एक वर्ष से कुछ अधिक का होगा, लेकिन न्यायिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह अवधि भारतीय न्याय प्रणाली के लिए कई महत्वपूर्ण मोड़ों से भरी रहेगी।


शपथ से पहले ही चर्चाओं में रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत

न्यायमूर्ति सूर्यकांत हाल ही में 16वीं प्रेसिडेंशियल रेफरेंस बेंच के सदस्य थे, जिसने राष्ट्रपति को यह सलाह दी थी कि
राज्यपालों और राष्ट्रपति को राज्य विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा “लगाए गए समय-सीमा” से बाध्य नहीं किया जा सकता।

यही वह निर्णय था, जिसने संवैधानिक बहस को नए सिरे से जीवित कर दिया था।


“भारतीयता” को न्याय में स्थापित करने वाले न्यायाधीश

केंद्रीय सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, हाल ही में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की सराहना कर चुके हैं कि वे
विदेशी कानूनी मिसालों पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि भारतीय विधिक परंपरा और पूर्वनिर्णयों को आधार बनाते हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उनके साथ ही नियुक्त हुए न्यायमूर्ति गवई, दोनों ने 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा बने थे।


गवई का सम्मानजनक इशारा: नए CJI के लिए आधिकारिक वाहन सुरक्षित रखा

शपथ समारोह के बाद न्यायमूर्ति गवई ने एक अनोखी सौहार्द की मिसाल पेश की। उन्होंने
CJI के लिए निर्धारित आधिकारिक वाहन स्वयं इस्तेमाल न करके न्यायमूर्ति सूर्यकांत के पहले सुप्रीम कोर्ट आगमन के लिए सुरक्षित रखा।
यह न्यायपालिका की गरिमा और आपसी सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।


विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने में माहिर—कठोर टकराव नहीं, समय के साथ समाधान

न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक ऐसे न्यायाधीश माने जाते हैं जो मामलों को
प्रतिस्पर्धात्मक टकराव के बजाय, समयबद्ध और संवाद आधारित समाधान की ओर ले जाना पसंद करते हैं।

किसान आंदोलन का शांतिपूर्ण समाधान

किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बेंच में रहते हुए
किसानों और केंद्र सरकार दोनों को बातचीत के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी, जब दिल्ली सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण हो चुकी थी।


उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती—SIR (Special Intensive Revision) केस

न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सामने सबसे बड़ा कानूनी और प्रशासनिक परीक्षण SIR प्रक्रिया को लेकर होगा, जो फिलहाल 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 51 करोड़ लोगों को कवर कर रही है।

उनकी बेंच ने अभी तक SIR प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कई निर्देश दिए हैं, लेकिन मुख्य संवैधानिक प्रश्न—क्या SIR प्रक्रिया वैध है—अभी लंबित है।


हास्य और अभद्रता की स्पष्ट रेखा—रणवीर अल्लाहबादिया केस में सख्त टिप्पणी

यूट्यूबर Ranveer Allahbadia के मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि—

“हास्य ऐसा हो जिसे पूरा परिवार देख सके। गंदे शब्दों का प्रयोग प्रतिभा नहीं है। साधारण शब्दों से हंसी उत्पन्न करना ही सच्चा कौशल है।”

उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा का विषय बनी।


महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा

न्यायमूर्ति सूर्यकांत कई ऐतिहासिक और राष्ट्रव्यापी मामलों में निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं:

  • अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले वाली बेंच के सदस्य

  • इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराने वाली बेंच में शामिल

  • पेगासस जासूसी मामले की निगरानी करने वाली बेंच

  • देशद्रोह कानून (124A IPC) निलंबन मामले में महत्वपूर्ण भूमिका

  • लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा को सख्त शर्तों के साथ अंतरिम जमानत देने का निर्णय


90000 से अधिक मामलों की पेंडेंसी घटाना—पहली प्राथमिकता

उन्होंने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित 90,000 से अधिक मामलों को यथासंभव घटाकर अदालत को अधिक सक्षम और न्याय सुलभ बनाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।

हाल के वर्षों में प्रभावशाली पक्षों द्वारा लगातार “miscellaneous applications” दाखिल करने से पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। नए CJI इस पर रोक लगाने के लिए निर्णायक कदम उठा सकते हैं।


न्यायपालिका में अनुशासन व पारदर्शिता—आने वाले समय में कड़े फैसले संभव

उनके सामने कई संवेदनशील प्रश्न भी होंगे:

  • एक सेवानिवृत्त NCLAT न्यायाधीश से “अनुचित अनुरोध” किए जाने की शिकायत

  • हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश पर दर्ज घृणा भाषण के आरोप

  • सुप्रीम कोर्ट बेंच में महिला न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की अपेक्षा

इन सभी मामलों में उनके रुख को गहराई से देखा जाएगा।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत: प्रारंभिक जीवन और न्यायिक सफर

  • जन्म: 10 फरवरी 1962, हिसार, हरियाणा

  • हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) – वर्ष 2000

  • न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट – जनवरी 2004

  • मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय – अक्टूबर 2018

  • सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश – मई 2019

  • भारत के 53वें CJI – नवंबर 2025

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