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दिल्ली-NCR में सांसों का संकट: 75% घरों में एक न एक सदस्य बीमार, प्रदूषण और वायरल का ‘डबल अटैक’

नई दिल्ली | 1 नवम्बर 2025 | रिपोर्ट — Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार |गहन विश्लेषणात्मक, शोध-आधारित 

दिल्ली की हवा बन गई जहर, घर-घर फैली बीमारी

दिल्ली-एनसीआर (NCR) एक बार फिर ज़हरीली हवा के शिकंजे में है। सर्दियों की दस्तक के साथ हवा में घुलता धुआँ और बढ़ते वायरल संक्रमणों ने राजधानी को एक “साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी ज़ोन” में बदल दिया है।
नए सर्वेक्षण के मुताबिक, अब दिल्ली-NCR के हर चार में से तीन घरों में कम-से-कम एक व्यक्ति बीमार है।

यह चिंताजनक आंकड़ा समुदाय मंच LocalCircles के सर्वे से सामने आया है, जिसने दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाज़ियाबाद में 15,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएँ जुटाई हैं।
सितंबर के अंत में जहां केवल 56% परिवारों में बीमारी के मामले दर्ज किए गए थे, वहीं अब यह आंकड़ा 75% तक पहुँच गया है — यानी हर तीन में से दो परिवार बीमारियों की चपेट में हैं।


वायरल संक्रमण और प्रदूषण — दोहरा संकट

दिल्ली की हवा इस समय न केवल साँस लेना मुश्किल बना रही है बल्कि वायरल संक्रमणों को और अधिक गंभीर बना रही है।
डॉक्टरों के अनुसार, राजधानी के अस्पतालों में H3N2 इन्फ्लुएंज़ा, सामान्य फ्लू, गले की खराश, तेज़ बुखार, बदन दर्द, खाँसी और थकान के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड की शुरुआत और प्रदूषण में बढ़ोतरी ने शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर किया है।
बीमार मरीजों को ठीक होने में अब 10 से 12 दिन तक का समय लग रहा है — यानी सामान्य फ्लू से दोगुना।

“वायरस सबसे ज़्यादा असर बच्चों, बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर कर रहा है,”
— रिपोर्ट में कहा गया है।
लगातार बुखार, बदन दर्द और सांस लेने में तकलीफ़ इसके प्रमुख लक्षण हैं।


धुएं का कहर: हवा में जहर, फेफड़ों पर असर

त्योहारों के बाद दिल्ली की हवा एक बार फिर ज़हरीली हो गई है।
AQI स्तर 400 से 500 के बीच बना हुआ है — जो ‘गंभीर श्रेणी (Severe Category)’ में आता है।
इसका प्रमुख कारण हैं —

  • पटाखों का धुआँ,

  • पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना, और

  • स्थानीय उत्सर्जन (Local Emissions)

वहीं, PM2.5 का स्तर 350 μg/m³ तक पहुँच गया है — जो WHO की सुरक्षित सीमा से लगभग 10 गुना अधिक है।


लोगों की हालत: हर घर में कोई न कोई बीमार

सर्वेक्षण में सामने आया कि—

  • 17% परिवारों में चार या अधिक सदस्य बीमार हैं

  • 25% परिवारों में दो से तीन लोग बीमार हैं

  • 33% घरों में एक सदस्य बीमार है

  • जबकि सिर्फ 25% घर ही पूरी तरह स्वस्थ हैं

यह आँकड़े बताते हैं कि दिल्ली-NCR अब केवल “स्मॉग सिटी” नहीं रही, बल्कि एक “सिकनेस हब” बन चुकी है, जहाँ प्रदूषण और वायरस का संगम लोगों की सेहत को धीरे-धीरे निगल रहा है।


लक्षण जो हवा में घुल चुके हैं

तीन में से चार घरों ने सांस लेने में दिक्कत, खाँसी, गले में खराश, नाक बंद होना, आँखों में जलन और सिरदर्द जैसे लक्षणों की शिकायत की है — ये सभी एयर पॉल्यूशन एक्सपोज़र के क्लासिक संकेत हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे “Double Burden on Lungs” कह रहे हैं — यानी हवा और वायरस, दोनों फेफड़ों पर हमला कर रहे हैं।

“दिल्ली के लोग इस वक्त दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं — एक अदृश्य वायरस से और दूसरा प्रदूषित हवा से,”
रिपोर्ट में कहा गया है।
“इन दोनों के एक साथ होने से शरीर की रिकवरी प्रक्रिया धीमी हो गई है।”


‘साइलेंट पैंडेमिक’ का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे “Silent Pandemic of Sick Homes” कहा है —
जहाँ हर परिवार अब किसी-न-किसी रूप में बीमारी का शिकार है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि तुरंत हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो यह संकट आने वाले महीनों में और गहरा सकता है।


क्या किया जाना चाहिए?

विशेषज्ञों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि—

  • वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण स्थलों की धूल, और पराली जलाने जैसे प्रमुख प्रदूषण स्रोतों पर सख्ती से कार्रवाई हो।

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान चलाकर लोगों को मास्क पहनने, एयर प्यूरिफायर के उपयोग, और भीड़-भाड़ से बचने के लिए जागरूक किया जाए।

  • स्कूलों और ऑफिसों में वेंटिलेशन सुधारने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ।

“सिर्फ साफ हवा की माँग काफी नहीं — दिल्ली को इस वक्त एक समन्वित सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति की ज़रूरत है,”
— रिपोर्ट का निष्कर्ष कहता है।


निष्कर्ष:-

 सांसें भी अब बोझ बन गईं

दिल्ली एक बार फिर उस हकीकत का सामना कर रही है, जहाँ सांस लेना ही स्वास्थ्य के लिए ख़तरा बन चुका है।
लोगों को याद रखना होगा — स्वच्छ हवा कोई मौसमी विलासिता नहीं, बल्कि हर नागरिक का मूल अधिकार है।
जब तक प्रशासन और समाज मिलकर इसे प्राथमिकता नहीं बनाएँगे, तब तक दिल्ली का “स्मॉग” केवल आसमान नहीं, ज़िंदगियों को भी ढकता रहेगा।

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