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बिहार में नई सरकार की आहट: NDA की एकजुटता के बीच नीतीश कुमार 10वीं बार सत्ता संभालने को तैयार

 नई दिल्ली | 19 नवंबर 2025  |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार

बिहार की राजनीति एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है। 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में वह क्षण दोबारा दोहराया जाएगा, जब जेडीयू अध्यक्ष और राज्य के अनुभवी नेता नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे—और यह मौका होगा उनके रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल का।

इससे पहले बुधवार को उन्हें जेडीयू विधायी दल का सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिसके साथ ही NDA की नई सरकार गठन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है।

NDA में नेतृत्व चयन पूरा: नीतीश दोबारा ‘चेहरा’, भाजपा में सम्राट चौधरी को बढ़त

NDA की रणनीति स्पष्ट है—राज्य में एक मजबूत, स्थिर और समन्वित सरकार। इसी दिशा में आज जेडीयू और भाजपा दोनों ने अपने-अपने विधायी दल के नेताओं का चयन करके गठबंधन का ढांचा तय कर दिया।

  • जेडीयू विधायक दल का नेता – नीतीश कुमार

  • भाजपा विधायक दल का नेता – सम्राट चौधरी

  • भाजपा उपनेता – विजय कुमार सिन्हा

इन नियुक्तियों ने यह संकेत दे दिया है कि NDA अपने भीतर संतुलन बनाए रखते हुए सत्ता साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहता है।

गांधी मैदान में भव्य शपथ समारोह, मोदी-शाह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री होंगे शामिल

नीतीश कुमार ने मंगलवार को ही गांधी मैदान जाकर शपथ ग्रहण की तैयारियों का जायजा लिया। मंच, सुरक्षा व्यवस्था और आमंत्रित मेहमानों की सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्री और NDA-शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
भाजपा नेताओं का दावा है कि यह “ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह” होगा।

कैबिनेट बंटवारे पर तेज़ हलचल—स्पीकर समेत अहम मंत्रालयों पर NDA में गहन मंथन

सरकार बनने से पहले NDA के भीतर सबसे बड़ी बातचीत कैबिनेट के आकार और स्पीकर पद को लेकर चल रही है।
सूत्र बताते हैं—

  • भाजपा और जेडीयू दोनों ही विधानसभा अध्यक्ष के पद पर दावा ठोंक रहे हैं

  • गृह, वित्त, ग्रामीण विकास, शिक्षा और उद्योग मंत्रालयों पर भी गंभीर विमर्श जारी है

  • दिल्ली में जेडीयू नेताओं ललन सिंहसंजय झा की अमित शाह और जे.पी. नड्डा से लंबी बैठक हुई

  • एक ऐसा फार्मूला खोजा जा रहा है जिसमें NDA की सभी सहयोगी पार्टियों का संतोष बना रहे

यह बातचीत NDA की आंतरिक राजनीति को समझने के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि नीतीश कुमार के अनुभव और भाजपा की संगठनात्मक ताकत—दोनों के बीच तालमेल नई सरकार के प्रदर्शन की दिशा तय करेगा।

महागठबंधन की वापसी संभव नहीं?—RJD ने किया समीक्षा, तेजस्वी बने विधायक दल के नेता

दूसरी ओर महागठबंधन में निराशा और आत्ममंथन का दौर जारी है।
चुनाव में करारी हार के बाद RJD ने अपने नए विधायकों की बैठक बुलाई, जिसमें तेजस्वी यादव को विधायी दल का नेता चुना गया।
लेकिन इस बैठक पर परिवार के भीतर के विवादों और परिणामों की समीक्षा ने छाया बनाए रखा।
RJD में यह स्वीकार किया गया है कि—

  • सीटों का बिखराव

  • नेतृत्व की देरी

  • और MGB में स्पष्ट समन्वय की कमी

इन सबने NDA की एकजुट रणनीति के सामने उन्हें कमजोर किया।

महिलाओं की निर्णायक भूमिका पर चर्चा—कमल सिंह और NDA नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

जेडीयू नेता कोमल सिंह ने कहा कि महिलाओं ने एक बार फिर नीतीश कुमार के विकास मॉडल पर भरोसा जताया है।
NDA नेताओं का कहना है कि—

  • महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी

  • पिछड़े जिलों में रेकॉर्ड मतदान

  • सरकार की पिछली योजनाओं का असर

इन सबने इस चुनाव में NDA की जीत का मजबूत आधार तैयार किया।

नीतीश का ‘साइलेंट मॉडल’ बनाम विपक्ष का ‘शोरगुल’—क्यों फायदेमंद रहा NDA का कैंपेन

चुनाव विश्लेषण में साफ दिखता है कि NDA ने इस बार दो स्तरों पर रणनीति साधी—

  1. एकीकृत नेतृत्व – नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दोनों के चुनावी संदेशों ने बिखराव नहीं होने दिया

  2. सीटों का सटीक बंटवारा – पार्टियों के बीच परस्पर वोट ट्रांसफर सुचारू रहा

इसके विपरीत, महागठबंधन की पूरी कैम्पेनिंग RJD और कांग्रेस के भीतर तालमेल की कमी के कारण बिखरी हुई नजर आई।

राज्यपाल का संदेश: शांतिपूर्ण चुनाव बिहार की बदलती तस्वीर

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने चुनाव प्रक्रिया की शांतिपूर्ण समाप्ति पर खुशी जताई।
उन्होंने कहा कि सबसे पिछड़े इलाकों में भी रेकॉर्ड मतदान होना बिहार के लोकतांत्रिक परिपक्वता का संकेत देता है।
महिला मतदाताओं का बढ़ा हुआ उत्साह इस चुनाव का सबसे मजबूत सामाजिक संकेत माना जा रहा है।



निष्कर्ष:-
 बिहार में स्थिरता और राजनीतिक पुनर्संतुलन का नया अध्याय
20 नवंबर को होने वाली शपथ ग्रहण के साथ बिहार एक नए राजनीतिक अध्याय में प्रवेश करेगा।
नीतीश कुमार का 10वां कार्यकाल केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि—

NDA की रणनीतिक एकजुटता
बिहार में विकास मॉडल पर दोबारा भरोसा
और नई कैबिनेट संरचना के ज़रिए राजनीतिक संतुलन का प्रयास
इन सबका संयुक्त परिणाम है।
आने वाले वर्षों में यह सरकार बिहार को किस दिशा में ले जाएगी—यह निगाहों में रहेगा, और सरकार के पहले 100 दिन ही उसके गति और मंशा के वास्तविक संकेत देंगे।

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