अक्टूबर 30, 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
भूमिका: दो महाशक्तियों के बीच बर्फ पिघलने के संकेत
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं — अमेरिका और चीन — के बीच वर्षों से चल रहा व्यापार युद्ध (Trade War) एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025 को दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात ने वैश्विक बाजारों में नई उम्मीदें जगा दी हैं।
दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे 40 मिनट तक चली इस बैठक में व्यापारिक तनाव, दुर्लभ खनिजों (Rare Earths) पर प्रतिबंध, टैरिफ़ नीतियों, और फेंटानिल रासायनिक निर्यात जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।
पृष्ठभूमि: बढ़ते तनाव और पारस्परिक प्रतिबंधों का दौर
पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ा था।
-
अक्टूबर 2025 की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने चीन के अमेरिका-आधारित निर्यातों पर 100% अतिरिक्त शुल्क (tariffs) लगाने की घोषणा की थी।
-
इसके जवाब में बीजिंग ने दुर्लभ खनिजों (जो इलेक्ट्रॉनिक और रक्षा उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं) के निर्यात पर नियंत्रण सख्त कर दिया।
-
अमेरिका ने भी महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर निर्यातों पर नए नियंत्रण नियम लागू करने की चेतावनी दी थी।
इन परिस्थितियों ने न केवल दोनों अर्थव्यवस्थाओं में बल्कि वैश्विक व्यापार तंत्र में भी अस्थिरता पैदा कर दी थी। ऐसे में बुसान की यह मुलाकात एक “डिप्लोमैटिक रिलीफ वॉल्व” के रूप में देखी जा रही है।
बैठक के प्रमुख बिंदु
1. “हम लंबे समय तक शानदार रिश्ते बनाए रखेंगे” — शी जिनपिंग
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बैठक के दौरान कहा —
“चीन और अमेरिका को प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि भागीदार और मित्र बनना चाहिए। हम मिलकर अपने देशों और पूरी दुनिया के हित में ठोस काम कर सकते हैं।”
(स्रोत: शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी)
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन का विकास मॉडल “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” के ट्रंपीय दृष्टिकोण के विपरीत नहीं है, बल्कि उसे पूरक कर सकता है।
2. “हम कई समस्याओं का समाधान निकाल लेंगे” — डोनाल्ड ट्रंप
ट्रंप ने बैठक से पहले ही उम्मीद जताई थी कि यह वार्ता “बहुत सफल” होगी। उन्होंने कहा —
“मुझे उम्मीद है कि शी जिनपिंग के साथ हमारी बातचीत से कई लंबित मुद्दों का समाधान निकल आएगा। यह हमारी दूसरी टर्म की सबसे अहम वार्ता होगी।”
ट्रंप ने संकेत दिया कि यदि बातचीत सकारात्मक रही तो फेंटानिल से संबंधित निर्यात नियंत्रणों में ढील देने के बदले, वे चीन पर लगाए गए टैरिफ़ कम करने को तैयार हैं।
3. व्यापार समझौते पर ‘मूल सहमति’ बन चुकी है
शी जिनपिंग ने बताया कि दोनों देशों के वार्ताकार पहले ही “मूल सहमति (Basic Consensus)” पर पहुंच चुके हैं। अब अंतिम समझौते के मसौदे पर केवल औपचारिक हस्ताक्षर की प्रतीक्षा है।
बीजिंग के सूत्रों के अनुसार, समझौते में शामिल मुख्य बिंदु होंगे —
-
टैरिफ़ में अस्थायी कटौती (90 दिनों के लिए)
-
दुर्लभ खनिजों पर निर्यात प्रतिबंधों में लचीलापन
-
अमेरिकी कृषि उत्पादों, विशेषकर सोयाबीन की खरीद में बढ़ोतरी
-
फेंटानिल निर्यात पर निगरानी और नियंत्रण तंत्र
वित्तीय बाजारों की प्रतिक्रिया
इस बैठक की घोषणा के बाद से ही एशियाई और अमेरिकी शेयर बाजारों में तेज़ी देखी गई।
-
शंघाई और हांगकांग के प्रमुख सूचकांक 2.5% तक उछले।
-
वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स ने भी 3.8% तक की तेजी दर्ज की।
-
निवेशकों का मानना है कि यदि डील पर हस्ताक्षर हो गए, तो विश्व व्यापार संगठन (WTO) में दोनों देशों के बीच लंबित मुकदमों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
ट्रंप प्रशासन की रणनीतिक पृष्ठभूमि
ट्रंप प्रशासन पिछले कुछ महीनों से “अमेरिका फर्स्ट, लेकिन सहयोगी संबंधों के साथ” की नई नीति पर काम कर रहा है।
इसका मकसद है —
-
चीन के खिलाफ अधिक दबाव बनाकर बेहतर व्यापार शर्तें हासिल करना।
-
एशिया में चीन की आर्थिक और भू-राजनीतिक पकड़ को सीमित करना।
-
अमेरिकी विनिर्माण (Manufacturing) को फिर से सक्रिय करना।
बुसान की यह बैठक उसी रणनीति का अहम हिस्सा है, जहां ट्रंप ने न केवल आर्थिक बल्कि सुरक्षा, साइबर सहयोग और दवा नियंत्रण पर भी चर्चा की।
ताइवान का एंगल: एशिया की नाजुक डिप्लोमेसी
मुलाकात से पहले ताइवान के विदेश मंत्री लिन चिया-लुंग ने चिंता जताई थी कि कहीं ट्रंप प्रशासन ताइवान के हितों से “समझौता” न कर ले।
हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि ताइवान और अमेरिका के बीच “सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग” पहले की तरह मजबूत बना रहेगा।
ट्रंप ने पहले भी कहा था कि शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके कार्यकाल के दौरान चीन ताइवान पर कोई आक्रमण नहीं करेगा।
पुराने समझौते की समीक्षा
इसी महीने अमेरिकी ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव जेमिसन ग्रीयर ने चीन की 2020 व्यापार संधि के अनुपालन की जांच शुरू करने की घोषणा की थी।
ट्रंप ने इसे “अविश्वसनीय सफलता” बताया था, पर अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन ने कई शर्तों का पूरा पालन नहीं किया।
अब इस नई वार्ता के बाद यह जांच भी नए संदर्भ में देखी जा रही है — यानी कि दोनों देश पुराने विवादों को सुलझाकर नए सिरे से व्यापारिक भरोसा बहाल करना चाहते हैं।
संभावित समझौते की रूपरेखा (लीक अंशों के आधार पर)
| क्षेत्र | अमेरिका की रियायत | चीन की प्रतिबद्धता |
|---|---|---|
| टैरिफ़ नीति | कुल टैरिफ़ 145% से घटाकर 30% (90 दिनों के लिए) | अमेरिकी आयात पर शुल्क 125% से घटाकर 10% |
| खनिज निर्यात | अस्थायी छूट दी जाएगी | दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण में ढील |
| फेंटानिल निर्यात | नियंत्रण शर्तों की समीक्षा | प्रीकर्सर के उत्पादन पर सख्ती |
| कृषि व्यापार | अमेरिकी सोयाबीन खरीद समझौता | चीनी आयात कोटा बढ़ाना |
विश्लेषण: वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए राहत की सांस
यह बैठक केवल दो देशों के बीच की नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
अगर यह समझौता साइन हो जाता है, तो —
-
वैश्विक मुद्रास्फीति में कमी आ सकती है,
-
कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रह सकती हैं,
-
और वैश्विक व्यापार निवेश को नई ऊर्जा मिल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील “नया ब्रेटन वुड्स क्षण” साबित हो सकती है — यानी वह बिंदु जहां दो प्रमुख शक्तियाँ वैश्विक व्यवस्था को टकराव से सहयोग की दिशा में मोड़ दें।
निष्कर्ष:
सहयोग का नया अध्याय या अस्थायी ठहराव?
“आज की बातचीत शानदार रही। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह डील आज ही साइन हो जाएगी — यह दोनों देशों के लिए जीत की स्थिति होगी।”
