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Global Sumud Flotilla: इस्राइल ने कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को हिरासत में लिया

 02 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

गाज़ा की ओर रवाना हुई ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला (Global Sumud Flotilla) को इस्राइली नौसेना ने समुद्र में रोककर अपने कब्ज़े में ले लिया है। इस घटना के बाद दुनिया भर के नेताओं, मानवाधिकार संगठनों और प्रेस स्वतंत्रता के पक्षधर समूहों ने इस्राइल की कार्रवाई को “ग़ैरक़ानूनी” बताते हुए कड़ी निंदा की है।

क्या हुआ?

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह फ़्लोटिला लगभग 40 नौकाओं और 500 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ गाज़ा की घेराबंदी तोड़ने के लिए रवाना हुई थी। इसमें विभिन्न देशों के मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, और राजनीतिक हस्तियाँ शामिल थीं। इन नौकाओं पर प्रतीकात्मक मानवीय सहायता सामग्री भी मौजूद थी।

इस्राइली सेना ने दावा किया कि उसने लगभग सभी नौकाओं को समुद्र में घेर लिया और उन्हें अशदूद बंदरगाह (Ashdod Port) पर पहुँचा दिया गया है। सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर बाद में उनके मूल देशों में निर्वासित किए जाने की तैयारी चल रही है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • अमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने कहा कि यह कार्रवाई एक मानवीय मिशन पर हमला है और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।

  • क़तर और तुर्की ने सभी हिरासत में लिए गए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की है।

  • तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने इसे “समुद्री डकैती” और गाज़ा में चल रहे “नरसंहार को छुपाने का प्रयास” करार दिया।

  • बेल्जियम और जर्मनी ने इस्राइल से स्पष्टीकरण मांगा और यूरोपीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।

  • संयुक्त राष्ट्र ने इस्राइल को कब्ज़े वाली ताक़त बताते हुए कहा कि उसकी जिम्मेदारी है कि गाज़ा को भोजन और दवाइयाँ उपलब्ध कराए।

गाज़ा की मानवीय त्रासदी

संयुक्त राष्ट्र और मानवीय संगठनों की रिपोर्ट बताती है कि:

  • गाज़ा में भुखमरी की स्थिति है, ज़रूरी खाद्य आपूर्ति का केवल 26% ही पहुँच पा रहा है।

  • उत्तरी गाज़ा में कई हफ़्तों से कोई खाद्य सहायता नहीं पहुँची।

  • केवल 30% स्वास्थ्य सुविधाएँ आंशिक रूप से काम कर रही हैं।

  • लगातार बमबारी से हज़ारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें हाल ही में 1.27 लाख नए विस्थापित शामिल हैं।

कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर हमला

इस फ़्लोटिला में लगभग 32 पत्रकार भी मौजूद थे। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने पत्रकारों को हिरासत में लेने को प्रेस स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है।
अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यकर्ताओं को संभवतः इस्राइल की एक उच्च सुरक्षा जेल (Ketziot Prison) में रखा गया है, जहां कठोर परिस्थितियाँ हैं।

अमेरिका और ट्रंप का ‘गाज़ा प्रस्ताव’

इस्राइल की कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाज़ा संकट को लेकर 20-सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया है। इसमें हमास को शासन से बाहर रखने और गाज़ा को ‘निरस्त्रीकृत’ करने की बात कही गई है।
व्हाइट हाउस प्रवक्ता ने कहा है कि अगर हमास ने इस योजना को स्वीकार नहीं किया तो उसके लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

यूरोप और विश्वभर में विरोध प्रदर्शन

  • पेरिस, मैड्रिड, बर्लिन और डबलिन में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस्राइल की कार्रवाई का विरोध किया और फ़िलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन किया।

  • प्रदर्शनकारियों ने इसे गाज़ा की जनता के खिलाफ़ “निर्दयता का प्रतीक” बताया।

क्यों महत्वपूर्ण है यह फ़्लोटिला?

ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला अब तक का सबसे बड़ा समुद्री प्रयास था, जिसका उद्देश्य गाज़ा की घेराबंदी तोड़ना और वहाँ के नागरिकों तक सहायता पहुँचाना था। आयोजकों का मानना था कि इतने बड़े पैमाने पर प्रयास को रोकना इस्राइल के लिए मुश्किल होगा, लेकिन इसके बावजूद सभी नौकाओं को रोक लिया गया।

निष्कर्ष:-

इस्राइल की इस कार्रवाई ने एक बार फिर गाज़ा संकट को अंतरराष्ट्रीय बहस के केंद्र में ला दिया है। जहाँ एक ओर इस्राइल इसे अपनी “सुरक्षा आवश्यकता” बता रहा है, वहीं मानवाधिकार संगठन और कई देश इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” और “मानवीय अपराध” करार दे रहे हैं।
गाज़ा की जनता पहले से ही भूख, बीमारी और विस्थापन की त्रासदी झेल रही है। ऐसे में इस फ़्लोटिला को रोकना उनके लिए “जीवन रेखा पर हमला” माना जा रहा है।

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