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Historic Defence Pact between Saudi Arabia and Pakistan: क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन में बड़ा बदलाव

 18 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

रियाद/इस्लामाबाद, 18 सितंबर 2025 – सऊदी अरब और परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान ने एक औपचारिक पारस्परिक रक्षा समझौते (Mutual Defence Pact) पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों की सरकारी मीडिया ने इस ऐतिहासिक समझौते की पुष्टि की है। यह कदम दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग को नई मजबूती प्रदान करता है और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।

समझौते की प्रमुख बातें

ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि यह समझौता दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और शांति कायम करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

  • यदि किसी भी देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा।

  • समझौते के तहत रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना, संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रतिरोध क्षमता को मजबूत करना शामिल है।

  • यह समझौता किसी विशेष देश या घटना के जवाब में नहीं बल्कि लंबे समय से चल रही गहन चर्चाओं का परिणाम है।

एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने Reuters से कहा –

“यह एक व्यापक डिफेंसिव एग्रीमेंट है, जिसमें सभी सैन्य साधनों का समावेश है। यह हमारी दशकों पुरानी साझेदारी का संस्थानीकरण है।”


नेतृत्व स्तर पर बातचीत

बुधवार को रियाद में हुई बैठक में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की।

  • दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय हालात पर विचार-विमर्श किया।

  • सुरक्षा और स्थिरता कायम करने के लिए आपसी प्रयासों पर सहमति बनी।


वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भ

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब 9 सितंबर को इज़राइल ने क़तर की राजधानी दोहा पर हमला किया। इसके बाद अरब लीग और इस्लामिक कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (OIC) की संयुक्त बैठक बुलाई गई थी।

  • अरब और इस्लामी देशों ने इज़राइल की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की।

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि इस रक्षा समझौते का उद्देश्य क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को मज़बूत करना और किसी भी बाहरी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध तैयार करना है।


भारत पर असर?

हालाँकि पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने से भारत की सुरक्षा रणनीति पर असर पड़ सकता है, लेकिन सऊदी अधिकारी ने साफ किया कि भारत के साथ उनके संबंध भी पहले से कहीं अधिक मज़बूत हैं
उन्होंने कहा –

“भारत के साथ हमारा रिश्ता अब तक का सबसे मज़बूत है। हम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हर संभव योगदान देंगे।”


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच व्यापार और सैन्य सहयोग की लंबी परंपरा रही है।

  • 1967 से अब तक पाकिस्तान ने 8,200 से अधिक सऊदी सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है।

  • दोनों देशों ने कई बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं, जिससे रक्षा सहयोग लगातार गहराता गया है।


संभावित प्रभाव और विश्लेषण

क्षेत्रीय शक्ति संतुलन – यह समझौता खाड़ी क्षेत्र में नए सुरक्षा समीकरण स्थापित करेगा।
परमाणु शक्ति का संकेत – पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं की अप्रत्यक्ष गूंज इस समझौते से जुड़ी हुई है।
भारत-पाक-सऊदी त्रिकोण – भारत और सऊदी के मजबूत होते संबंधों के बावजूद, पाकिस्तान के साथ इस रक्षा समझौते से नई रणनीतिक जटिलताएँ सामने आ सकती हैं।
मध्य-पूर्व संकटों में भूमिका – इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद और खाड़ी क्षेत्र की अस्थिरता के बीच यह साझेदारी अरब-इस्लामिक ब्लॉक को और मज़बूत करेगी।

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