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Iran Escalates Nuclear Dispute : UN परमाणु निगरानी संस्था से सहयोग निलंबित करने का ऐलान

 21 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

नई दिल्ली/तेहरान, 21 सितंबर 2025 – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) द्वारा ईरान पर लगे प्रतिबंधों को स्थायी रूप से हटाने से इनकार और यूरोपीय देशों द्वारा नए प्रतिबंध थोपने की तैयारी ने पश्चिम एशिया के तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (SNSC) ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन (E3) ने ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध लागू किए, तो तेहरान संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी IAEA से अपना सहयोग निलंबित कर देगा।


पृष्ठभूमि: JCPOA और अमेरिका का बाहर होना

2015 में हुए जॉइंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने का वादा किया था, जिसके बदले में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए गए। लेकिन 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर निकाल लिया और ईरान पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिए। उसके बाद से यह समझौता लगातार संकट में है।


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यूरोपीय देशों की कार्रवाई और ईरान की प्रतिक्रिया

28 अगस्त 2025 को यूरोप के तीन देशों—फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन—ने यह आरोप लगाते हुए 30 दिन की प्रक्रिया शुरू की कि ईरान JCPOA की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर संयुक्त राष्ट्र के कड़े सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध फिर से लागू हो सकते हैं।

ईरान की SNSC ने इस कदम को “ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और असमय” करार देते हुए कहा कि यह महीनों की कूटनीतिक कोशिशों को कमजोर करता है। परिषद का कहना है कि यदि प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो IAEA के साथ हाल ही में हुआ निरीक्षण और निगरानी समझौता तुरंत रुक जाएगा।


परमाणु निरीक्षण और काहिरा समझौता

कुछ ही हफ्ते पहले, ईरान और IAEA के बीच काहिरा में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत अमेरिकी और इज़रायली हमलों के निशाने पर आए परमाणु स्थलों पर पुनः निरीक्षण शुरू होना था।
ईरान के उप विदेश मंत्री काज़ेम ग़रीबाबादी ने सरकारी टीवी को बताया कि यदि कूटनीतिक मोर्चे पर प्रगति नहीं हुई, तो यह समझौता पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।


इज़राइल-ईरान टकराव और हालिया हमले

जून 2025 में इज़राइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान पर बड़े पैमाने पर हमले किए थे, जिसमें ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की मौत हुई। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उस समय कहा था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम “इज़राइल के अस्तित्व के लिए सीधा ख़तरा” है।
राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने जवाब में कहा था कि “हमारे दुश्मनों ने हमारे परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन हमारे वैज्ञानिक उन्हें और मजबूती से फिर से खड़ा करेंगे।”


बढ़ते प्रतिबंधों की आशंका

अगर ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध लागू होते हैं, तो ईरान पर निम्नलिखित प्रतिबंध फिर से लागू होंगे:

  • हथियारों का आयात-निर्यात प्रतिबंध

  • यूरेनियम संवर्धन और पुनःप्रसंस्करण पर रोक

  • बैलिस्टिक मिसाइल गतिविधियों पर प्रतिबंध

  • वैश्विक स्तर पर संपत्तियों की जब्ती और यात्रा प्रतिबंध

IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में ईरान के पास 60% शुद्धता वाला 400 किलोग्राम से अधिक संवर्धित यूरेनियम है, जो हथियार-ग्रेड स्तर के बेहद करीब है। हालांकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।


राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन का सख्त संदेश

राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने शनिवार को कहा कि “ईरान सभी बाधाओं को पार करेगा और कोई भी दुश्मन हमारी राह नहीं रोक सकता।”
उन्होंने यह भी कहा कि “हम कभी किसी की अनुचित मांगों के आगे नहीं झुकेंगे, क्योंकि हमारे पास बदलाव लाने की ताक़त है।”


भू-राजनीतिक असर और क्षेत्रीय स्थिरता

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यूरोपीय देश और अमेरिका ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाते हैं, तो पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ेगा। रूस और चीन पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं।
ईरान का विदेश मंत्रालय IAEA और अन्य देशों के साथ बातचीत जारी रखेगा, लेकिन उसने स्पष्ट किया है कि मौजूदा हालात में उसकी विदेश नीति “शांति और क्षेत्रीय स्थिरता की स्थापना” पर आधारित होगी।


निष्कर्ष:-

ईरान और पश्चिमी देशों के बीच यह खींचतान परमाणु कार्यक्रम से कहीं आगे जाकर भू-राजनीतिक टकराव का रूप ले चुकी है। आने वाले दिनों में UNSC और E3 देशों के फैसले तय करेंगे कि ईरान का अंतरराष्ट्रीय सहयोग जारी रहेगा या मध्य पूर्व नए संकट की ओर बढ़ेगा।

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