21 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 21 सितम्बर 2025 — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नए H-1B वीज़ा आवेदन पर $1,00,000 वार्षिक शुल्क (फीस) लगाने के आदेश के बाद, भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों की हिफाजत सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। भारतीय दूतावास ने एक आपातकालीन सहायता नंबर जारी किया है ताकि जो लोग तत्काल समर्थन की स्थिति में हों, वे संपर्क कर सकें। यह फ़ैसला सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सॉफ़्टवेयर उद्योग में काम करने वाले हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए भारी प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
इस नए नियम का सार
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राष्ट्रपति ट्रम्प ने घोषणा की है कि नये H-1B वीज़ा आवेदनकर्ताओं से $100,000 का वार्षिक शुल्क लिया जाएगा। यह शुल्क केवल नए आवेदन पर लागू होगा, न कि मौजूदा वीज़ा धारकों या वीज़ा की नवीकरण प्रक्रिया पर।
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अमेरिकी प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि इस शुल्क का बोझ मौजूदा श्रमिकों पर नहीं पड़ेगा।
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भारत सरकार ने इस कदम के “पूर्ण प्रभाव” (full implications) का अध्ययन करने का संकेत दिया है और मानवीय, पारिवारिक एवं नवाचार (innovation) के सम्बन्धों पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने का प्रयास कर रही है।
भारत की प्रतिक्रिया और टेक इंडस्ट्री की चिंता
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भारत सरकार ने घोषणा की है कि भारतीय मिशनों को आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी, खासकर उन नागरिकों के लिए जिन्हें यात्रा, निवास या अन्य आकस्मिक स्थितियों में तुरंत मदद की ज़रूरत होगी।
विदेश विभाग के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा है कि यह कदम परिवारों को प्रभावित कर सकता है और भारत-अमेरिका के बीच नवाचार एवं तकनीकी सहयोग को बाधित कर सकता है। सरकार उम्मीद कर रही है कि अमेरिकी अधिकारी इन मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कुछ समाधान पेश करेंगे।
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तकनीकी कंपनियाँ, विशेषकर आईटी सेक्टर, जिसमें अधिकांश H-1B वीज़ा लाभार्थी भारतीय हैं, इस नियम से होने वाले प्रभावों का आकलन कर रही हैं। उद्योग के सूत्रों का मानना है कि इस बदलाव से प्रतिभा (talent mobility), नौकरियों की प्रवाह (job flows), और व्यापार संबंधों पर नकारात्मक असर होगा।
इमरजेंसी नंबर और कॉन्सुलर निर्देश
यदि कोई भारतीय नागरिक तत्काल सहायता चाहता है, तो दूतावास द्वारा जारी किया गया नंबर इस प्रकार है:
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Emergency Cell Number (USA से कॉल / व्हाट्सएप): +1-202-550-9931
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यह नंबर केवल आपात स्थितियों के लिए है, सामान्य एवं नियमित पासपोर्ट या वीज़ा संबंधी सवालों के लिए नहीं।
संभावित प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ
| दायरा | संभावित प्रभाव |
|---|---|
| पेशेवर/टेक इनोवेशन | नई H-1B वीजा की कीमत में वृद्धि से प्रतिभा का प्रवाह कम हो सकता है और भारतीय प्रोग्रामों में भागीदारी पर असर पड़ेगा। |
| पारिवारिक संबंध | जिन परिवारों में सदस्य अमेरिका में काम कर रहे हैं, उनमें रहने-भीड़, यात्रा या वीज़ा संबंधी अनिश्चय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। |
| निवेश एवं नवाचार (Innovation & Investment) | भारत-अमेरिका साझेदारी में तकनीकी विकास और अनुसंधान गतिविधियों पर प्रभाव पड़ सकता है। |
| नीति एवं कानूनी चुनौतियाँ | भारतीय सरकार कानूनी विकल्पों, द्विपक्षीय बातचीत और अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों की संभावनाओं की समीक्षा कर सकती है। |
निष्कर्ष:-
ट्रम्प प्रशासन के इस नए H-1B वीज़ा शुल्क आदेश ने भारतीय टेक इंडस्ट्री और हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए एक बड़ा झटका दिया है। हालांकि मौजूदा वीज़ाधारकों को सुरक्षा दी गई है, लेकिन नए आवेदकों के लिए आवेदन प्रक्रिया अधिक महंगी और मुश्किल हो सकती है। भारत सरकार ने इमरजेंसी मदद के लिए कदम उठाए हैं, और उद्योग और नीतिनिर्माताओं को भविष्य में उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्रिय होना होगा।
