✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025 – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूसी कच्चा तेल (Russian Crude Oil) खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि तेल आयात का निर्णय हमेशा भारत की जरूरतों – कीमत, लॉजिस्टिक्स और विदेशी मुद्रा प्रबंधन – के आधार पर होगा।
सीतारमण ने नेटवर्क18 ग्रुप एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा:
“चाहे वह रूसी तेल हो या किसी और देश से, हम वही निर्णय लेंगे जो हमारी जरूरतों के मुताबिक सबसे उपयुक्त होगा। कच्चा तेल हमारे आयात बिल में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखता है, इसलिए इसे कहां से खरीदा जाए, यह पूरी तरह हमारे हित में तय किया जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि हम रूसी तेल खरीदते रहेंगे।”
रूस से आयात में भारी उछाल
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी। लेकिन पश्चिमी देशों द्वारा मॉस्को से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने भारी छूट (steep discounts) का लाभ उठाते हुए रूस से आयात बढ़ाया।
-
वर्तमान में भारत की तेल आपूर्ति में रूस की हिस्सेदारी लगभग 40% तक पहुंच चुकी है।
-
भारत अब रूसी समुद्री कच्चे तेल (Russian Seaborne Crude) का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
-
वहीं, यूरोप ने रूस से सीधे तेल आयात बंद कर दिया, लेकिन अब वह भारतीय रिफाइनरियों से तैयार पेट्रोलियम उत्पादों का बड़ा खरीदार है।
GST सुधारों से शुल्क प्रभाव घटेगा
सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा किए गए GST सुधार (GST Reforms) आयात शुल्क और टैक्स से जुड़े कई दबावों को संतुलित करेंगे। उनके अनुसार,
“ऐसे सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक अस्थिरताओं से बचाने और घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करेंगे।”
भारत का ऊर्जा सुरक्षा पर जोर
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी कुल खपत का 85% से अधिक हिस्सा आयात पर निर्भर करता है। ऐसे में सस्ता रूसी तेल भारत के लिए न केवल ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) बल्कि वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) का भी साधन है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति और ऊर्जा बाजार दोनों पर गहरा असर डालेगा।
निष्कर्ष:-
निर्मला सीतारमण का यह बयान साफ करता है कि भारत अपने तेल आयात निर्णयों में किसी बाहरी दबाव से नहीं बल्कि राष्ट्रीय हित (National Interest) को प्राथमिकता देगा। रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदना जारी रहेगा और घरेलू टैक्स सुधारों से शुल्क का बोझ काफी हद तक कम होगा।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग
