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ट्रंप की चेतावनी: "अगर सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ्स खारिज किए तो अमेरिका को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा

 वॉशिंगटन डी.सी., 4 सितम्बर 2025 | ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चेतावनी दी कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ्स (आयात शुल्क) को अवैध ठहराने वाले अपीलीय अदालत के फैसले को बरकरार रखा, तो अमेरिका को यूरोपीय संघ, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों के साथ हुए व्यापार समझौतों को "अनवाइंड" यानी रद्द करना पड़ सकता है।

ट्रंप ने कहा कि ऐसी स्थिति में अमेरिका की अर्थव्यवस्था को "बेहद गंभीर नुकसान" झेलना पड़ेगा।



पृष्ठभूमि: टैरिफ विवाद और सुप्रीम कोर्ट की चुनौती

हाल ही में अमेरिकी अपीलीय अदालत ने फैसला दिया था कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए कई टैरिफ कानूनन अवैध हैं। ट्रंप सरकार अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा,

"हमने यूरोपीय संघ के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत वे हमें लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का भुगतान कर रहे हैं। वे खुश हैं, डील हो चुकी है। लेकिन अगर अदालत ने हमारे खिलाफ फैसला दिया, तो शायद हमें इन डील्स को खत्म करना पड़े।"

यह पहला अवसर है जब ट्रंप ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ्स को अवैध माना, तो व्यापार समझौते भी स्वतः प्रभावित हो सकते हैं।


ट्रंप का तर्क और अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रिया

ट्रंप का दावा है कि टैरिफ्स को हटाना आर्थिक रूप से अमेरिका के लिए विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा:

"हमारा देश फिर से अविश्वसनीय रूप से समृद्ध हो सकता है, लेकिन यदि यह केस हार गए तो उतना ही अविश्वसनीय रूप से गरीब भी हो सकता है।"

हालाँकि, व्यापार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि टैरिफ्स की वास्तविक लागत विदेशी कंपनियाँ नहीं बल्कि अमेरिकी आयातक और उपभोक्ता चुकाते हैं। यही वजह है कि कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के शुल्क घरेलू महँगाई को और बढ़ा सकते हैं।


ट्रेड वॉर से जुड़े टैरिफ्स

अपीलीय अदालत का हालिया फैसला विशेष रूप से उन तथाकथित "रिसिप्रोकल टैरिफ्स" से जुड़ा है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने 2018 में व्यापार युद्ध के दौरान लागू किया था। इनमें चीन, कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए शुल्क भी शामिल हैं।

हालाँकि, इस फैसले का असर उन टैरिफ्स पर नहीं होगा जो अन्य कानूनी अधिकारों के तहत लगाए गए थे, जैसे इस्पात और एल्युमिनियम आयात पर लगने वाले शुल्क।


विशेषज्ञों की राय: दबाव बनाने की रणनीति

किंग एंड स्पॉल्डिंग लॉ फर्म के पार्टनर और पूर्व अमेरिकी व्यापार अधिकारी रयान मजेरस ने कहा कि शुरुआत से ही यह स्पष्ट था कि यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ हुए समझौते फ्रेमवर्क एग्रीमेंट थे, न कि पूर्ण और स्थायी व्यापार समझौते।

उन्होंने टिप्पणी की:

"राष्ट्रपति का आज का बयान दर्शाता है कि वे सुप्रीम कोर्ट पर अधिकतम दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि टैरिफ हटाने से बड़े पैमाने पर आर्थिक अस्थिरता पैदा होगी।"


राजनीतिक और कानूनी संभावना

कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की 6-3 रिपब्लिकन बहुलता ट्रंप के पक्ष में कुछ हद तक अवसर बढ़ा सकती है। फिर भी, अदालत किस दिशा में जाएगी, यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि मामला अभूतपूर्व है और पूर्व में इस प्रकार की चुनौती पर कोई ठोस उदाहरण मौजूद नहीं है।


भारत पर असर?

गौरतलब है कि ट्रंप पहले भी भारत को लेकर आक्रामक बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था:

"इंडिया हमें टैरिफ्स के ज़रिए मारता है। अब अमेरिका और फायदा उठाने नहीं देगा।"

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अमेरिका में टैरिफ्स से जुड़ी कानूनी अनिश्चितता बनी रहती है, तो इसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ेगा। इससे न केवल स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव हो सकता है बल्कि व्यापार रणनीतियों में भी बदलाव की ज़रूरत होगी।


निष्कर्ष:-

डोनाल्ड ट्रंप की यह चेतावनी न केवल अमेरिका की आंतरिक आर्थिक नीति बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत के लिए भी गंभीर संकेत है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि टैरिफ्स और उनसे जुड़े समझौते भविष्य में किस दिशा में जाएंगे। यदि ट्रंप की आशंका सच होती है और अमेरिका को "अनवाइंड" करना पड़ता है, तो वैश्विक व्यापार संतुलन पर गहरा असर पड़ सकता है।

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