Type Here to Get Search Results !

ADS5

ADS2

Delhi riots case :सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली

 22 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार  

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2025 – 2020 दिल्ली दंगों की बड़ी साज़िश से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक्टिविस्ट उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और शिफ़ा-उर-रहमान की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई के बाद मामले को 7 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया।


पृष्ठभूमि: पांच साल से ज़्यादा का ‘प्री-ट्रायल कैद’

इन एक्टिविस्ट्स को सितंबर 2020 से हिरासत में रखा गया है और अब तक वे पांच साल से अधिक समय से बिना ट्रायल के जेल में हैं। बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि इतनी लंबी हिरासत संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, जो उमर खालिद का पक्ष रख रहे थे, ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुज़ारिश करते हुए कहा:

“कम से कम दिवाली से पहले सुनवाई हो जाए ताकि वे बाहर आ सकें। वे पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं।”

इसी तरह, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गुलफिशा फातिमा के लिए दलील दी कि वह एक छात्रा थीं और पांच वर्षों से जेल में बंद हैं। उन्होंने अंतरिम जमानत की याचिका पर भी नोटिस जारी करने का आग्रह किया।


दिल्ली हाईकोर्ट का पूर्व निर्णय

2 सितंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इन नौ आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने कहा था कि इन आरोपियों ने कथित साज़िश में “गंभीर और प्रारंभिक दृष्टि से स्पष्ट भूमिका” निभाई थी।

जिन्हें जमानत नहीं मिली, उनमें ये नाम भी शामिल हैं:

  • खालिद सैफी

  • अतर ख़ान

  • मोहम्मद सलीम ख़ान

  • शादाब अहमद

प्रॉसिक्यूशन ने दलील दी थी कि यह दंगे कोई “साधारण विरोध प्रदर्शन” नहीं थे, बल्कि “पूर्व नियोजित और सुनियोजित साज़िश” का नतीजा थे।


अदालत की कार्यवाही और देरी

सुनवाई के दौरान जस्टिस अरविंद कुमार ने 19 सितंबर को केस न सुन पाने के लिए खेद जताया। उन्होंने बताया कि उनके सहयोगी जस्टिस मनमोहन ने कपिल सिब्बल के चेंबर से पूर्व संबंध होने के कारण खुद को मामले से अलग कर लिया था।

इससे पहले, 12 सितंबर को भी सुनवाई स्थगित हुई थी क्योंकि विस्तृत केस रिकॉर्ड जजों के निवास पर आधी रात के बाद पहुंचा था।


आरोप और कानून

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि ये एक्टिविस्ट्स दंगों के “बौद्धिक सूत्रधार” थे। फरवरी 2020 में हुए दंगों में:

  • 53 लोग मारे गए

  • 700 से अधिक लोग घायल हुए

आरोपियों पर यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) और आईपीसी (Indian Penal Code) की धाराओं में मुकदमा चल रहा है।


हाईकोर्ट का सख्त अवलोकन

हाईकोर्ट ने अपने 133 पन्नों के फ़ैसले में कहा था:

  • “बिना सीमा के विरोध प्रदर्शन की इजाज़त देना संविधानिक ढांचे और क़ानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा।”

  • “दंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के समय जानबूझकर कराए गए प्रतीत होते हैं।”

इसलिए इसे “हल्के में नहीं लिया जा सकता”


सुप्रीम कोर्ट में उठे सवाल: ‘ट्रायल से पहले सज़ा?’

शरजील इमाम और उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि पांच साल से अधिक की कैद का मतलब बिना ट्रायल के ही सज़ा भुगतना है।

  • उमर खालिद की गिरफ्तारी – 13 सितंबर 2020

  • अभी तक दर्जनों गवाहों की गवाही लंबित है

  • ट्रायल के पूरा होने में और कई साल लग सकते हैं

याचिकाकर्ताओं ने नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इक़बाल तन्हा के मामलों का हवाला देते हुए समानता का अधिकार (Parity Principle) भी लागू करने की मांग की। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा था कि उनके मामले अलग हैं, क्योंकि खालिद और इमाम के खिलाफ गंभीर षड्यंत्र के आरोप हैं।


आगे की राह

अब यह मामला 7 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुना जाएगा। यह सुनवाई केवल व्यक्तिगत जमानत याचिकाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे लंबे प्री-ट्रायल कारावास, नागरिक स्वतंत्रताओं और न्यायपालिका की भूमिका जैसे बड़े सवाल भी जुड़े हुए हैं।

ये भी पढ़े 

1 -हिंदी उर्दू शायरी 

2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग 

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

ADS3

ADS4