रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 27 अगस्त 2025 – भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में नया तूफ़ान उठने वाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कई प्रमुख निर्यात उत्पादों पर 50% तक का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की तैयारी कर ली है। यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक तनाव को और बढ़ा सकता है।
भारत पर सीधा असर
भारत से अमेरिका को सबसे ज़्यादा निर्यात टेक्सटाइल्स, दवाइयाँ, आईटी सेवाएँ, ऑटो कंपोनेंट्स और स्टील उत्पादों का होता है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह टैरिफ लागू होता है तो भारतीय निर्यातकों की लागत अचानक 50% तक बढ़ जाएगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता पर गहरा असर पड़ेगा।
👉 विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की दवा और टेक्सटाइल इंडस्ट्री सबसे अधिक प्रभावित होगी, क्योंकि अमेरिकी बाज़ार इनका सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क
अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि भारत “अनुचित व्यापार लाभ” उठा रहा है और घरेलू अमेरिकी उद्योगों को नुक़सान पहुँचा रहा है। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में बार-बार कहा है कि “अमेरिका अब किसी को मुफ़्त व्यापार का फायदा नहीं लेने देगा।”
भारत की रणनीति
भारत सरकार ने इस कदम को “गंभीर चुनौती” बताया है और संकेत दिए हैं कि वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) का दरवाज़ा खटखटा सकती है। साथ ही, भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि “आवश्यक होने पर हम भी अमेरिका से आयातित सामान पर जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं।”
बाज़ार और निवेशकों की प्रतिक्रिया
घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाज़ार में हलचल देखी गई। निर्यात-आधारित कंपनियों के शेयर गिरे, जबकि घरेलू उद्योगों पर सकारात्मक असर की उम्मीद जताई जा रही है।
👉 आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव भारत की विदेश नीति और वैश्विक निवेश माहौल पर भी दबाव डाल सकता है।
निष्कर्ष:-
भारत और अमेरिका दोनों ही बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, लेकिन यह टैरिफ विवाद आने वाले महीनों में उनके रिश्तों की दिशा तय करेगा। अगर बातचीत से समाधान नहीं निकला तो इसका असर सिर्फ़ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि भूराजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ेगा।
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