रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 30 अगस्त 2025 – अमेरिका की संघीय अपीली अदालत (US Court of Appeals for the Federal Circuit) ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ़्स को ग़ैरक़ानूनी करार दे दिया है। हालांकि अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि ये टैरिफ़ 14 अक्टूबर 2025 तक लागू रहेंगे ताकि ट्रंप प्रशासन को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अवसर मिल सके।
ट्रंप ने इस फ़ैसले को राजनीतिक करार देते हुए कहा कि यह “बेहद पक्षपाती अदालत” का फैसला है और उन्होंने साफ़ किया कि उनके लगाए गए सभी टैरिफ़्स लागू रहेंगे।
अदालत का फैसला: क्या कहा गया?
पहले के आदेश की पुष्टि – अदालत ने निचली अदालत (Court of International Trade) के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें कहा गया था कि ट्रंप ने एक आपातकालीन क़ानून का ग़लत इस्तेमाल कर टैरिफ़्स लगाए थे। हालांकि मामला फिर से निचली अदालत को भेजा गया है ताकि यह तय किया जा सके कि यह निर्णय केवल संबंधित पक्षों पर लागू होगा या सभी प्रभावित देशों पर।
क़ानून का दुरुपयोग – अदालत ने कहा कि ट्रंप को 1970 के दशक के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) का इस्तेमाल करके टैरिफ़ लगाने का अधिकार नहीं था। यानी कानूनी तौर पर ट्रंप के अधिकांश टैरिफ़्स अमान्य हैं।
फैसले का असर स्थगित – अदालत का फैसला तुरंत लागू नहीं होगा। इसे 14 अक्टूबर तक टाल दिया गया है, ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सके।
भारत पर असर: अनिश्चितता बरकरार
ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल 2025 को “Liberation Day” घोषित करते हुए हर देश पर 10% का बेसलाइन टैरिफ़ लगाया था। इसके अलावा जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा था, उन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया।
भारत को इस नीति से सबसे बड़ा झटका लगा, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर 50% तक टैरिफ़ लगाया था।
इसमें से 25% “पेनल्टी टैक्स” सिर्फ़ रूस से ऊर्जा ख़रीदने के कारण जोड़ा गया।
अब अदालत के इस फ़ैसले ने भारत समेत कई देशों के लिए अनिश्चितता बढ़ा दी है। नई दिल्ली पहले ही वॉशिंगटन से राहत की उम्मीद में बातचीत कर रहा था, लेकिन यह कानूनी पेच अमेरिकी रुख़ को और उलझा सकता है।
ट्रंप की प्रतिक्रिया: सुप्रीम कोर्ट की तैयारी
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Truth Social पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“अपीली अदालत ने ग़लत कहा कि हमारे टैरिफ़ हटाए जाने चाहिए। लेकिन वे जानते हैं कि अंत में अमेरिका ही जीतेगा।”
उन्होंने साफ़ किया कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे और वहां से “न्याय” की उम्मीद रखते हैं।
आगे क्या?
यह मामला अब सीधे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है, जहाँ जजों का रुख़ अब तक कई मौकों पर ट्रंप के पक्ष में रहा है।
हालांकि एक विकल्प यह भी है कि Court of International Trade इस पर दोबारा सुनवाई करे।
कानूनी उलझनों के बावजूद ट्रंप के पास टैरिफ़ लगाने के लिए अन्य वैकल्पिक कानून मौजूद हैं। मगर इनका इस्तेमाल करने से उनकी गति और कार्रवाई की सीमा पहले जैसी कठोर नहीं रह पाएगी।
निष्कर्ष:-
ट्रंप का यह टैरिफ़ विवाद सिर्फ़ अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ रहा है। अदालत के इस फ़ैसले ने वैश्विक व्यापार पर गहरी छाया डाल दी है। आने वाले हफ्तों में यह तय होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ट्रंप की नीतियों को संवैधानिक ठहराता है या उन्हें पूरी तरह खारिज कर देता है।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग
