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भारत समय के दबाव में कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि” — अमेरिका के साथ FTA पर पीयूष गोयल का बयान

 ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

नई दिल्ली, जुलाई 2025: भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत किसी भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (FTA) को समय की जल्दबाज़ी में अंतिम रूप नहीं देगा, चाहे वह अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के साथ ही क्यों न हो। उनका यह बयान वैश्विक व्यापार जगत में भारत की नीति और रणनीति को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

गोयल ने कहा,

“हम कोई भी व्यापार समझौता जल्दबाज़ी में नहीं करेंगे। हमारे लिए राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। हर पहलू पर गहराई से बातचीत और रणनीतिक सोच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।”

 


❖ भारत की वैश्विक FTA रणनीति: अमेरिका ही नहीं, यूरोपीय संघ से लेकर पेरू तक बातचीत

पीयूष गोयल ने जानकारी दी कि भारत इस समय कई देशों और समूहों के साथ स्वतंत्र व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements - FTAs) को लेकर वार्ता कर रहा है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • अमेरिका (US)

  • यूरोपीय संघ (EU)

  • न्यूज़ीलैंड

  • ओमान

  • चिली

  • पेरू

उन्होंने यह भी बताया कि हर देश के साथ भारत की रणनीति अलग है क्योंकि हर देश की अर्थव्यवस्था, श्रम कानून, बाज़ार पहुंच और उत्पाद प्रतिस्पर्धा की स्थितियाँ अलग-अलग होती हैं


❖ अमेरिका के साथ FTA पर विशेष ज़ोर, लेकिन “शर्तों पर सहमति जरूरी”

अमेरिका के साथ FTA को लेकर काफी समय से चर्चाएं चल रही हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाज़ार में अमेरिकी कृषि उत्पादों, मेडिकल उपकरणों और डेटा नीति में कुछ रियायतें दे, जबकि भारत श्रमशीलता, डिजिटल अधिकारों, टैरिफ और घरेलू विनिर्माण के पक्ष में ठोस सुरक्षा चाहता है।

गोयल ने दो टूक कहा:

“हम अमेरिका के साथ सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत कर रहे हैं, लेकिन जब तक हर पहलू पर संतुलन नहीं बनता, हम किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।”


❖ राष्ट्रीय हित: व्यापार से बढ़कर

पीयूष गोयल ने यह रेखांकित किया कि किसी भी व्यापार समझौते में राष्ट्रीय सुरक्षा, रोजगार, MSME सेक्टर की रक्षा और स्थानीय उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को ध्यान में रखा जाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि भारत अब “शर्तों पर झुकने वाला देश नहीं, बल्कि साझेदारी की शर्तें तय करने वाला राष्ट्र” बन गया है।

“हम विश्व स्तर पर व्यापार सहयोग के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सहयोग सम्मान, समानता और पारस्परिक लाभ के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए।”

 


❖ भारत की FTA नीति: आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक साझेदारी का संतुलन

मोदी सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के अंतर्गत भारत ऐसी व्यापार नीतियाँ बना रहा है जो:

  • देश की उद्योगिक क्षमता को बढ़ाएं

  • विदेशी निवेश आकर्षित करें

  • और भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बनाएं

वहीं दूसरी ओर, भारत चाहता है कि उसके उत्पादों — जैसे कपड़ा, फार्मा, आईटी और कृषि — को विदेशों में बिना टैरिफ बाधा के पहुंच मिल सके। यह तभी संभव है जब FTA पारदर्शिता और संतुलन के आधार पर हो।


❖ निष्कर्ष: भारत की नीति स्पष्ट है — “ना जल्दबाज़ी, ना झुकाव; सिर्फ राष्ट्रीय लाभ”

पीयूष गोयल के इस बयान ने साफ कर दिया है कि भारत अब वैश्विक मंच पर मजबूत और आत्मविश्वासी आवाज़ बन चुका है। व्यापार, निवेश और रणनीतिक संबंधों में भारत किसी भी दबाव में समझौता नहीं करेगा।

यह बयान अमेरिका सहित अन्य साझेदार देशों को भी संकेत देता है कि अब भारत को सम्मानजनक, दीर्घकालिक और संतुलित व्यापारिक समझौते ही स्वीकार्य हैं।


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