नई दिल्ली/न्यूयॉर्क:
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 25 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या अब केवल एक क्षेत्रीय त्रासदी नहीं रही — यह अब वैश्विक सुरक्षा के एजेंडे में शामिल हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की हालिया बंद-द्वार बैठक में पाकिस्तान के विरुद्ध जो प्रश्न उठे, वे न केवल उसकी प्रचलित रणनीतियों पर सवाल हैं, बल्कि उसकी भविष्य की वैश्विक वैधता पर भी।
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1. पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति: उल्टा दांव पड़ा भारी
पाकिस्तान ने जिस "क्लोज़्ड कंसल्टेशन" का अनुरोध भारत के साथ तनाव की आड़ में किया था, वही अब उसके लिए बूमरैंग बन गया। परिषद के सदस्यों ने उसके परमाणु बयानबाज़ी और हाल के मिसाइल परीक्षणों को उत्तेजक और अशांतकारी बताते हुए, एक स्पष्ट संदेश दे दिया — "परमाणु हथियारों की आड़ में आतंकवाद नहीं चलेगा।"
2. आतंकी हमले में जवाबदेही की मांग: सदस्य देशों का स्पष्ट रुख़
UNSC के सदस्यों ने पहलगाम हमले को लेकर लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता पर कड़े सवाल किए। भारत के खुफिया तंत्र द्वारा प्रस्तुत सबूतों को गंभीरता से लेते हुए, अधिकांश देशों ने यह स्वीकारा कि यह हमला धार्मिक पूर्वग्रह से प्रेरित था, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का घोर उल्लंघन है।
3. 'False Flag' का भ्रम टूटा: पाकिस्तान की पुरानी रणनीति खारिज
पाकिस्तान की ओर से प्रस्तुत किया गया 'False Flag Operation' का दावा — जिसमें उसने भारत को हमले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया — परिषद में कोई समर्थन नहीं पा सका। यह रणनीति, जो वर्षों से पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आज़माता आया है, अब शायद अपना प्रभाव खो चुकी है।
4. सिंधु जल संधि पर बयान: मुद्दे को भटकाने की कोशिश
बैठक के पश्चात पाकिस्तान के प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने मीडिया के समक्ष भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। लेकिन यह बयान मुख्य मुद्दे — आतंकवाद — से ध्यान भटकाने का एक कूटनीतिक प्रयास मात्र प्रतीत हुआ।
5. परिषद के स्वर: संवाद, लेकिन स्पष्ट चेतावनी के साथ
ट्यूनिशियाई प्रतिनिधि ख़ालिद मोहम्मद खियारी ने बैठक के बाद स्थिति को "संवेदनशील और ज्वलंत" बताते हुए, संवाद और संयम की अपील की। वहीं, रूसी और यूनानी राजनयिकों ने बैठक को "उपयोगी" बताते हुए तनाव कम करने की आशा जताई, लेकिन बिना पाकिस्तान का पक्ष लिए।
6. अंतरराष्ट्रीय संकेत: वैश्विक सहमति बन रही है
इस बैठक ने साफ़ कर दिया कि दुनिया अब आतंकवाद पर मौन नहीं रहने वाली। पाकिस्तान की "रणनीतिक गहराई की नीति" अब वैश्विक मंचों पर संदेह और जांच के घेरे में है। भारत के लिए यह एक कूटनीतिक जीत है, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है।
निष्कर्ष: वैश्विक मानचित्र पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता का संकट
UNSC में पाकिस्तान से हुई पूछताछ केवल एक औपचारिकता नहीं थी — यह एक चेतावनी है, एक कूटनीतिक अवरोध, और शायद उस पर आने वाले अंतरराष्ट्रीय दबावों का प्रारंभिक संकेत भी। यदि पाकिस्तान अपनी नीति और कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं करता, तो उसकी वैश्विक स्वीकार्यता को गहरा आघात पहुंच सकता है।