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इतिहास रचने वाली भारतीय महिला योद्धा: कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं?

नई दिल्ली। भारतीय सशस्त्र बलों की इतिहास-निर्माताओं की सूची में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम विशेष स्थान रखता है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत आयोजित रक्षा मंत्रालय की प्रेस वार्ता में उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर जिस प्रकार आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की रणनीति प्रस्तुत की, उसने न केवल उनके सैन्य नेतृत्व को रेखांकित किया, बल्कि महिला अधिकारियों की निर्णायक भागीदारी को भी नया आयाम दिया।


इस ब्रीफिंग में उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के नौ आतंकवादी ठिकानों को सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर निशाना बनाया गया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि ऑपरेशन की योजना में नागरिक हानि से बचने की पूरी सतर्कता बरती गई।

सेना में एक ऐतिहासिक पहली: बहुराष्ट्रीय अभ्यास में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व

कर्नल कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी हैं और 2016 में उन्होंने इतिहास रचते हुए एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘फोर्स 18’ में 40 सदस्यीय भारतीय दल का नेतृत्व किया था। यह अभ्यास भारत में आयोजित अब तक की सबसे बड़ी ज़मीनी सैन्य कवायद थी, जिसमें ASEAN प्लस देशों की सेनाएं शामिल थीं। उस समय वह 35 वर्ष की थीं और लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत थीं।

यह अभ्यास 'ह्यूमेनिटेरियन माइन एक्शन' और 'शांति स्थापना अभियानों' जैसे विषयों पर केंद्रित था। इस कार्यक्रम की समापन परेड में जब उनसे पूछा गया कि वह इस उपलब्धि को कैसे देखती हैं, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा था — “मुझे गर्व है। मेरी यही सलाह है कि देश के लिए मेहनत करें और सबका सिर ऊंचा करें।”

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अनुभव

कर्नल कुरैशी का सैन्य अनुभव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैला हुआ है। वर्ष 2006 में उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान में भाग लिया। इसके अलावा, अपने करियर के विभिन्न चरणों में उन्होंने कई पीसकीपिंग ऑपरेशनों में योगदान दिया है, जिससे उन्हें बहुपक्षीय सैन्य सहयोग और जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों में काम करने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

शैक्षणिक पृष्ठभूमि और पारिवारिक विरासत

कर्नल सोफिया कुरैशी जैव-रसायन (Biochemistry) में स्नातकोत्तर हैं। उनका सैन्य रुझान मात्र व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह एक पारिवारिक परंपरा का हिस्सा भी है — उनके दादा भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। यह पृष्ठभूमि उनके सैन्य कॅरियर के लिए आधारशिला बनी और उन्होंने इसे अपने आत्मबल और नेतृत्व क्षमता से नई ऊंचाई दी।

सेना में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा

भारतीय सेना ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कर्नल कुरैशी को “एक दुर्लभ उपलब्धि प्राप्त करने वाली अधिकारी” बताया। वह इतनी बड़ी बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। इतना ही नहीं, वह ASEAN प्लस देशों की सेनाओं में एकमात्र महिला कमांडर भी थीं।

सेना में समानता का उदाहरण

तत्कालीन दक्षिणी कमान के प्रमुख और भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कर्नल कुरैशी के चयन को लेकर स्पष्ट कहा था — “भारतीय सेना में महिला और पुरुष अधिकारियों में कोई भेद नहीं है। उन्हें महिला होने के कारण नहीं, बल्कि उनकी कुशलता और नेतृत्व क्षमता के कारण यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई।”

युवाओं के लिए संदेश

कर्नल कुरैशी का जीवन और योगदान भारतीय युवाओं, विशेष रूप से युवतियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका यह स्पष्ट संदेश है — “देश के लिए काम करें, मेहनत करें, और गौरव महसूस करें।” उन्होंने युवतियों से सेना में आने का आह्वान करते हुए कहा था, “भारतीय सेना में अवसर और जिम्मेदारी दोनों समान हैं। अगर आपके पास सामर्थ्य है, तो आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं।”


निष्कर्ष
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में महिला नेतृत्व की वह रौशनी हैं जो आने वाले वर्षों में न केवल सैन्य रणनीति में बल्कि सामाजिक चेतना में भी नई दिशा तय करेगी। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि साहस, परिश्रम और नेतृत्व किसी लिंग का मोहताज नहीं होता।

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