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AIMPLB बनाम केंद्र सरकार: वक्फ संपत्तियों पर आंकड़ों की जंग, क्या सुप्रीम कोर्ट गुमराह किया जा रहा है?

नई दिल्ली — ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने केंद्र सरकार के उस हलफनामे पर तीखी आपत्ति दर्ज की है, जो सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संपत्तियों के संदर्भ में दाखिल किया गया था। AIMPLB का आरोप है कि केंद्र ने अदालत को “गुमराह करने की नीयत से” आंकड़ों में हेराफेरी की है और देश की न्यायपालिका के समक्ष वास्तविकता को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। यह विवाद उस समय और गहरा गया जब AIMPLB ने सरकारी दावे की "वस्तुनिष्ठता" और "डिजिटल सत्यता" दोनों पर गंभीर सवाल खड़े किए।

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❖ वक्फ संपत्तियों पर सरकार के आंकड़े गलत: AIMPLB का आरोप

AIMPLB की ओर से पेश अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने दावा किया कि सरकार द्वारा संचालित वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर जिन आंकड़ों को दर्ज किया गया है, वे न केवल भ्रामक हैं, बल्कि तथ्यात्मक रूप से भी त्रुटिपूर्ण हैं। शमशाद ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर एक विशेष कॉलम का प्रयोग करके ऐसा डाटा पेश किया जिससे यह आभास होता है कि 2013 से पहले पंजीकृत सभी वक्फ संपत्तियों को तुरंत डिजिटल पोर्टल पर दर्ज कर दिया गया था।

बोर्ड का तर्क है कि यह दावा वास्तविकता से कोसों दूर है, क्योंकि वक्फ बोर्डों के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार ऐसा कोई तत्काल और समावेशी डेटा माइग्रेशन कभी हुआ ही नहीं।


❖ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा संदेहास्पद: ‘चार्ट’ की विश्वसनीयता पर भी उठे सवाल

AIMPLB का कहना है कि सरकार द्वारा अदालत में दाखिल चार्ट और आंकड़ों की प्रस्तुति न केवल अधूरी है, बल्कि उसे जानबूझकर गढ़ा गया प्रतीत होता है। हलफनामे में यह कहीं स्पष्ट नहीं किया गया कि वक्फ संपत्तियों की जानकारी 2013 के बाद तक भी पूरी तरह WAMSI पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई थी। इससे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगता है।

बोर्ड ने संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि यह या तो ‘जानबूझकर’ की गई ‘चूक’ है या फिर 'गंभीर प्रशासनिक लापरवाही', जो कि न्यायालय की गरिमा के साथ न्यायिक प्रक्रिया का भी अपमान है।


❖ आंकड़ों में बड़ा अंतर: AIMPLB बनाम सरकार

AIMPLB द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2024 तक देशभर में वक्फ संपत्तियों की संख्या 3,30,008 है। इसके विपरीत, केंद्र सरकार ने 2025 के लिए जो आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किए हैं, उसमें वक्फ संपत्तियों की संख्या 6,65,476 बताई गई है।

यह लगभग दुगुनी वृद्धि दर्शाता है, जिसे AIMPLB "आंकड़ों में हेराफेरी" कहकर खारिज कर रहा है। बोर्ड ने आरोप लगाया है कि सरकार इन फर्जी आंकड़ों के आधार पर अदालत में न केवल खुद को सही ठहराना चाहती है, बल्कि वक्फ की स्वायत्तता और पारदर्शिता को भी खतरे में डाल रही है।

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❖ वक्फ संपत्तियों का सामाजिक और धार्मिक महत्व

वक्फ संपत्तियाँ इस्लामिक परंपरा के अनुसार वे संपत्तियाँ होती हैं, जिन्हें धार्मिक, शैक्षणिक या जनकल्याण के उद्देश्य से स्थायी रूप से दान कर दिया जाता है। इन संपत्तियों की देखरेख वक्फ बोर्डों द्वारा की जाती है, जो राज्य और केंद्र सरकार की निगरानी में कार्य करते हैं। इन संपत्तियों का सही रिकॉर्ड और प्रबंधन एक संवेदनशील विषय है, क्योंकि यह भारत के करोड़ों मुसलमानों की आस्था और हक़ से जुड़ा हुआ मामला है।


❖ निष्कर्ष: आंकड़ों का युद्ध या न्याय का मोड़?

AIMPLB और केंद्र सरकार के बीच यह विवाद केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या सरकारी संस्थाएं न्यायपालिका को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं? यदि AIMPLB के आरोप सही सिद्ध होते हैं, तो यह एक गंभीर संवैधानिक संकट को जन्म देगा — खासकर उस समय में जब डिजिटल पारदर्शिता और डेटा सटीकता को शासन की रीढ़ बताया जा रहा है।

यह मामला न केवल वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और वैधता से जुड़ा है, बल्कि इससे यह भी तय होगा कि न्यायपालिका कितनी सजग है, और नागरिक समाज की संस्थाएं कितनी मुखर। अदालत का रुख क्या होगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा, लेकिन इतना निश्चित है कि इस विवाद ने सरकार की डिजिटल गवर्नेंस प्रणाली की साख को एक गहरे सवाल के कटघरे में ला खड़ा किया है।

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