सम्पूर्ण जीवन परिचय: एक विस्तृत अध्ययन
प्रस्तावना:
एक असाधारण विरासत का वाहक
भारतीय राजनीति के आकाश में राजीव गांधी एक ऐसे धूतकेतु की तरह उभरे जिन्होंने अपने संक्षिप्त किंतु प्रभावशाली कार्यकाल में देश को नई दिशा दी। नेहरू-गांधी परिवार की इस तीसरी पीढ़ी के नेता ने भारत को 21वीं सदी के लिए तैयार करने का साहसिक प्रयास किया। उनका जीवन दर्शन, राजनीतिक दृष्टि और अंतिम बलिदान - सभी उन्हें भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं।
प्रारंभिक जीवन: राजनीतिक विरासत में पलता बचपन (1944-1961)
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) के एक अस्पताल में हुआ था। उनके जन्म के समय उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ब्रिटिश जेलों में कैद थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई, जहाँ उन्होंने अपने सहपाठी मणिशंकर अय्यर के साथ गहरी मित्रता स्थापित की - जो बाद में उनके राजनीतिक सलाहकार बने।
विदेश में शिक्षा: एक भारतीय युवा का वैश्विक दृष्टिकोण (1961-1966)
1961 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गए। यहाँ उन्होंने केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी बोट क्लब में रोइंग की और ब्रिटिश संस्कृति को नजदीक से समझा। 1965 में ड्रॉप आउट करने के बाद उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में प्रवेश लिया, किंतु पढ़ाई पूरी नहीं की।
व्यक्तिगत जीवन: सोनिया गांधी से मुलाकात और विवाह (1965-1968)
कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान 1965 में एक ग्रीक रेस्तरां में इटालियन छात्रा एडविज एंटोनिया माइनो (सोनिया गांधी) से मुलाकात हुई। तीन साल के प्रेम प्रसंग के बाद 25 जनवरी 1968 को दिल्ली के एक साधारण समारोह में हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह हुआ। यह विवाह भारत-इटली के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बना।
विमानन कैरियर: इंडियन एयरलाइंस के पायलट (1968-1980)
दिल्ली स्थित फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण प्राप्त कर 1970 में इंडियन एयरलाइंस में वाणिज्यिक पायलट बने। उन्होंने एवरो HS-748 और फोकर F-27 विमान उड़ाए। सहकर्मियों के अनुसार वे अत्यंत अनुशासित और कर्तव्यनिष्ठ पायलट थे। इस दौरान उन्होंने जानबूझकर राजनीति से दूरी बनाए रखी।
राजनीति में प्रवेश: एक अनिच्छुक युवराज (1980-1984)
23 जून 1980 को भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद राजनीति में आने के लिए बाध्य हुए। 16 फरवरी 1981 को दिल्ली के किसान रैली में पहला सार्वजनिक भाषण दिया। 1981 में अमेठी से उपचुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य बने। 1983 में कांग्रेस के महासचिव पद पर नियुक्त हुए और 1982 एशियाई खेलों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री पद: अक्टूबर 1984 की ऐतिहासिक घटनाक्रम
31 अक्टूबर 1984 को सुबह 9:30 बजे जब वे पश्चिम बंगाल में थे, तभी इंदिरा गांधी की हत्या की खबर मिली। शाम 6:30 बजे राष्ट्रपति भवन में भारत के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 40 वर्ष की आयु में वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। 24-27 दिसंबर 1984 को हुए चुनावों में कांग्रेस को 542 में से 414 सीटें मिलीं - भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा जनादेश।
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अक्टूबर 1985 में भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से औपचारिक मुलाकात की। |
प्रशासनिक सुधार: नए भारत की नींव (1984-1989)
1. तकनीकी क्रांति
- दिसंबर 1984 में कंप्यूटर नीति की घोषणा
- अगस्त 1986 में MTNL की स्थापना
- सार्वजनिक टेलीफोन एक्सचेंजों का डिजिटलीकरण
- C-DOT (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) की स्थापना
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1984 में राजीव गांधी ने भारत के भविष्य में कंप्यूटर और आईटी की भूमिका को पहचाना और उसकी व्यापक जरूरत को समझा। |
2. आर्थिक उदारीकरण
- जनवरी 1985 में अंटी-डिफेक्शन लॉ पारित
- MRTP एक्ट में संशोधन
- कराधान सुधार (दिसंबर 1985)
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन
3. शिक्षा सुधार
- मई 1986: राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- नवोदय विद्यालयों की स्थापना
- इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (1985)
4. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- अगस्त 1987: IRS-1A उपग्रह प्रक्षेपण
- अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना
विदेश नीति: वैश्विक पटल पर भारत
- जुलाई 1985: अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा
- नवंबर 1986: चीन के साथ संबंध सुधार
- जुलाई 1987: श्रीलंका शांति समझौता (IPKF)
- नवंबर 1988: मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस
1989 के बाद: विपक्ष के नेता
2 दिसंबर 1989 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया। 18 दिसंबर 1989 को लोकसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 1990 में भारत यात्रा शुरू की जिसमें चंपारण से शुरुआत करते हुए पूरे देश का दौरा किया।
शहादत: 21 मई 1991 की काली रात
तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में चुनाव प्रचार के दौरान LTTE की आत्मघाती हमलावर धनु ने फूलों की माला पहनाते समय बम विस्फोट किया। रात 10:10 बजे उनकी मृत्यु की पुष्टि हुई। 24 मई 1991 को विराट भूमि पर अंतिम संस्कार किया गया।
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राजीव गांधी की हत्या के समय पहने गए कपड़ों के अवशेष (फ़ाइल चित्र) |
विरासत: एक अधूरी क्रांति
- 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न
- राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना
- तकनीकी भारत की नींव
- युवा राजनीति का नया अध्याय
निष्कर्ष:
21वीं सदी के भारत का सपना देखने वाला नेता
राजीव गांधी ने अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में भारत को जो दिशा दी, वह आज भी प्रासंगिक है। कंप्यूटर क्रांति से लेकर पंचायती राज तक, उनकी दूरदर्शिता ने आधुनिक भारत की रूपरेखा तैयार की। उनका जीवन संदेश स्पष्ट था - "भारत को 21वीं सदी की महाशक्ति बनाना है।"
(यह विस्तृत जीवनी राजीव गांधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का समग्र विवेचन प्रस्तुत करती है। शोधार्थियों, इतिहासकारों और राजनीति के विद्यार्थियों के लिए एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में उपयोगी।)
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