भारत में कुपोषण न केवल एक स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और सूचना की कमी से उपजा एक बहुआयामी संकट है। विज्ञान और तकनीक में अभूतपूर्व प्रगति के बावजूद देश का एक बड़ा हिस्सा अब भी मूलभूत पोषण सुरक्षा से वंचित है। इस जटिल परिदृश्य को देखते हुए, वर्ष 2018 में शुरू किया गया ‘राष्ट्रीय पोषण अभियान’ (Poshan Abhiyaan) आज भारत सरकार की सबसे प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में से एक बन चुका है।
इसी अभियान की एक सशक्त कड़ी है—पोषण पखवाड़ा, जो हर साल एक थीम आधारित, सामुदायिक भागीदारी से चलाया जाने वाला राष्ट्रव्यापी जन-जागरूकता कार्यक्रम है। इस वर्ष 8 अप्रैल से 23 अप्रैल 2025 तक इसका सातवां संस्करण आयोजित किया जा रहा है।
🔎 पोषण पखवाड़ा 2025: उद्देश्य और प्राथमिकताएँ
इस वर्ष का पोषण पखवाड़ा मातृ और शिशु पोषण, डिजिटल समावेशन और बचपन में बढ़ते मोटापे जैसे उभरते स्वास्थ्य मुद्दों पर केंद्रित है। इसका प्रमुख उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रचार नहीं, बल्कि व्यवहार परिवर्तन, तकनीकी सहयोग और जमीनी स्तर पर मापन योग्य परिणामों की प्राप्ति है।
मुख्य फोकस क्षेत्र:
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मातृ एवं शिशु पोषण: गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए समुचित आहार और देखभाल।
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डिजिटल पहुंच: पोषण सेवाओं को तकनीक के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना।
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बचपन का मोटापा: अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की प्रवृत्तियों पर रोक और स्वास्थ्यवर्धक आदतों को बढ़ावा।
👶 पहले 1,000 दिन: जीवन की नींव को सशक्त करने का काल
शिशु के जन्म से पहले 9 महीने और उसके बाद के पहले दो वर्षों को मिलाकर कुल 1,000 दिन, बच्चे के शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास की नींव रखते हैं। ये दिन मस्तिष्क विकास, प्रतिरोधक क्षमता और भावनात्मक संतुलन के लिए अत्यंत निर्णायक होते हैं।
राष्ट्रीय पोषण अभियान इन दिनों को 'जादुई काल' (Critical Window) मानते हुए, इस दौरान संतुलित आहार, स्तनपान, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और माँ की मानसिक स्थिति जैसे कारकों पर विशेष बल देता है।
🖥️ डिजिटल टेक्नोलॉजी से पोषण क्रांति: ट्रैकर से ट्रांसफॉर्मेशन तक
आज के दौर में तकनीक केवल सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा वितरण का शक्तिशाली औज़ार बन चुकी है। पोषण पखवाड़ा 2025 में डिजिटल नवाचार को प्रमुखता दी गई है।
प्रमुख तकनीकी उपकरण:
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पोषण ट्रैकर ऐप और वेब पोर्टल:
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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों की ग्रोथ मॉनिटरिंग, टीकाकरण, फूड सप्लाई और स्वास्थ्य डेटा रियल टाइम में दर्ज करने की सुविधा।
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लाभार्थियों को स्वयं रजिस्ट्रेशन और सेवाओं की ट्रैकिंग की सुविधा।
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डेटा इंटीग्रेशन और एनालिटिक्स:
स्वास्थ्य और पोषण डेटा का विश्लेषण कर नीतिगत हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन।
फरवरी 2025 तक, देश के सभी आंगनवाड़ी केंद्र इस ऐप से जुड़ चुके हैं, जिससे टारगेटेड और ट्रांसपेरेंट सेवा वितरण संभव हुआ है।
🩺 सीएमएएम (CMAM) प्रोटोकॉल: गंभीर कुपोषण से जमीनी स्तर पर लड़ाई
वर्ष 2023 में शुरू किया गया CMAM – Community-Based Management of Acute Malnutrition Protocol, पोषण सेवाओं को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाता है।
प्रोटोकॉल की मुख्य विशेषताएं:
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पहचान: गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों (SAM/MAM) की शुरुआती पहचान।
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रेफरल: चिकित्सा हस्तक्षेप हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को रेफर करना।
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रिकवरी: समुदाय आधारित सपोर्ट सिस्टम के ज़रिए पोषण पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना।
पोषण पखवाड़ा 2025 में, इसे सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में लागू कर "पोषण क्लिनिक मॉडल" को सशक्त किया जा रहा है।
⚠️ बचपन में बढ़ता मोटापा: एक नया खतरा
कुपोषण अब केवल अल्पपोषण तक सीमित नहीं। बढ़ता बचपन का मोटापा एक नई महामारी बनता जा रहा है।
📊 NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या 2.1% (2015-16) से बढ़कर 3.4% हो चुकी है।
प्रमुख हस्तक्षेप:
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HFSS (High Fat, Sugar, Salt) खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण
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स्कूलों में हेल्दी कैंटीन नीति
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शारीरिक गतिविधियों को शैक्षणिक ढांचे में शामिल करना
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माता-पिता व शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम
🤝 सामुदायिक भागीदारी और जन-जागरूकता: आंदोलन का रूप
पोषण पखवाड़ा केवल सरकारी स्तर पर चलाया जाने वाला कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है, जिसमें हर नागरिक की भूमिका अहम है। जब शिक्षक, आशा कार्यकर्ता, पंचायतें, एनजीओ, मीडिया और नागरिक एकजुट होकर पोषण की बात करते हैं, तभी स्थायी और समावेशी बदलाव संभव होता है।
इस वर्ष की थीम को सार्थक बनाने के लिए जरूरी है कि:
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हर नागरिक स्वस्थ जीवनशैली अपनाए
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जरूरतमंद परिवारों को पोषण सेवाओं से जोड़ने में सहयोग करें
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स्थानीय स्तर पर पोषण आधारित आयोजनों में भागीदारी निभाएं
ZZZ
✅ संक्षिप्त तथ्य और आँकड़े:
बिंदु |
विवरण |
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कार्यक्रम |
पोषण पखवाड़ा 2025 |
अवधि |
8 अप्रैल से 23 अप्रैल |
उद्देश्य |
मातृ-शिशु पोषण, डिजिटल समावेशन, मोटापा नियंत्रण |
डिजिटल उपकरण |
पोषण ट्रैकर ऐप, वेब रजिस्ट्रेशन |
प्रमुख रणनीति |
CMAM प्रोटोकॉल, स्कूल पोषण नीति, समुदाय भागीदारी |
डेटा स्रोत |
NFHS-5, WCD Ministry |
🧭 निष्कर्ष: 'सशक्त भारत' की नींव, 'सुपोषित भारत' से ही संभव
पोषण केवल एक स्वास्थ्य सूचकांक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास की आधारशिला है। जब एक बच्चा सही पोषण पाता है, तब वह न केवल स्कूल में अच्छा करता है, बल्कि एक सशक्त, उत्पादक और आत्मनिर्भर नागरिक बनता है।
पोषण पखवाड़ा 2025 एक अवसर है—जहाँ सरकार, समाज और नागरिक मिलकर "हर माँ, हर बच्चे और हर घर तक पोषण पहुंचाने" का संकल्प लें।
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