JCB चली, टेंट उखड़े, तख्त गिरे—शंभू बॉर्डर पर किसानों की सालभर की मेहनत चंद घंटों में तबाह!
शंभू बॉर्डर पर जहां एक साल से अधिक समय से किसानों का आंदोलन चल रहा था, वहां अब सन्नाटा पसरा है। बुधवार को पंजाब पुलिस की बड़ी कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र को खाली करा दिया गया। विरोध कर रहे किसानों की अस्थायी झोपड़ियों, ट्रॉलियों और अन्य ढांचों को JCB मशीनों की मदद से हटा दिया गया, जिससे अंबाला-शंभू हाईवे पर यातायात दोबारा शुरू किया जा सके।
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“अब यहां कुछ भी नहीं बचा”— बिखरे पड़े सिलेंडर, बर्तन, चारपाई और टूटी ट्रॉलियाँ!
गुरुवार को शंभू बॉर्डर का मंजर पूरी तरह बदल चुका था। जहां कभी किसान चाय की चुस्कियों के साथ बैठकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे, वहां अब सिर्फ टूटी हुई चारपाइयाँ, गैस सिलेंडर, बर्तन, कपड़े और फ्रीज बिखरे पड़े थे। आंदोलनकारियों द्वारा बनाए गए रसोईघर में सब्जियाँ, दूध, दाल और अन्य जरूरी सामान यूं ही छोड़ दिया गया।
किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने धरनास्थल को किया साफ़!
बुधवार को किसान नेताओं सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा जमाए किसानों को हटाने की कार्रवाई तेज कर दी। आंदोलन खत्म करने की सरकारी योजना के तहत पंजाब पुलिस ने विरोध कर रहे किसानों के टेंट, तख्त और मंच को गिरा दिया। हालांकि, अब भी कुछ ट्रॉलियाँ सड़क पर खड़ी नजर आ रही हैं, जिन्हें हटाने के लिए किसानों को निर्देश दिया गया है।
JCB के पंजों ने मिटा दिया किसानों का संघर्ष, सोशल मीडिया पर उबाल!
जब JCB मशीनों ने किसानों के तंबू गिराने शुरू किए, तो सोशल मीडिया पर विरोध की लहर दौड़ गई। किसान संगठनों ने इसे "तानाशाही रवैया" करार देते हुए पंजाब सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
किसानों के अनुसार, “यह सिर्फ टेंट नहीं थे, यह हमारा संघर्ष था, जिसे पुलिस ने बेरहमी से कुचल दिया”।
पंजाब सरकार की सफाई: ‘हमें मजबूरी में उठाने पड़े कदम!’
किसानों की बेदखली पर पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य सरकार ने यह कदम आर्थिक और व्यावसायिक कारणों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। उन्होंने कहा, “हम किसानों के साथ हैं, लेकिन बॉर्डर बंद रहने से पंजाब की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो रहा था। हमने किसानों से कई बार अपील की, लेकिन कोई हल नहीं निकला।”
‘फांसी लगा लेंगे, लेकिन पीछे नहीं हटेंगे’—किसानों की दो टूक!
किसानों ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की और आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी। किसान संगठनों का कहना है कि “हमारी मांगे पूरी होने तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। MSP की गारंटी हमारी सबसे बड़ी जरूरत है, और इसके लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।”
दिल्ली कूच की योजना—अब क्या होगा आंदोलन का भविष्य?
हालांकि शंभू बॉर्डर अब खाली हो चुका है, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि वे इस आंदोलन को किसी और रणनीति के साथ फिर से तेज करेंगे। किसान संगठनों ने दिल्ली कूच की संभावना भी जताई है।
अब देखना होगा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच क्या नया मोड़ आता है। क्या MSP की गारंटी के बिना किसान आंदोलन खत्म करेंगे? या फिर यह संघर्ष और तेज होगा?
समय ही बताएगा!
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