सरकार का बड़ा फैसला: बैंक डूबने पर भी मिलेगी सुरक्षा
नई दिल्ली: बैंकिंग सेक्टर में ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने "डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट" में एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है। इस संशोधन के तहत, यदि कोई बैंक दिवालिया होता है या उसका परिचालन बंद कर दिया जाता है, तो उस बैंक में पैसा जमा करने वाले ग्राहकों को अधिकतम 5 लाख रुपये की बीमित राशि 90 दिनों (3 महीने) के भीतर प्राप्त हो जाएगी।
यह कदम उन ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जिनका पैसा अचानक बैंकिंग संकट के कारण फंस जाता था और वे सालों तक अपनी जमाराशि के लिए संघर्ष करते थे। सरकार के इस फैसले से अब जमाकर्ताओं को अपनी राशि प्राप्त करने में अनावश्यक देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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DICGC क्या है और यह कैसे काम करता है?
DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक सहायक संस्था है, जो बैंकों में जमा राशि का बीमा करती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या किसी कारणवश कामकाज रोक देता है, तो जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि सुरक्षित रूप से और समय पर वापस मिल सके।
महत्वपूर्ण बातें:
- DICGC के अंतर्गत सभी वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks) और सहकारी बैंक (Cooperative Banks) आते हैं।
- यह योजना देश के लगभग 98.3% बैंक खातों को कवर करती है, जिससे करोड़ों ग्राहकों को सुरक्षा मिलेगी।
- इस योजना में बचत खाता (Saving Account), चालू खाता (Current Account), सावधि जमा (Fixed Deposit - FD) और आवर्ती जमा (Recurring Deposit - RD) जैसी सभी जमा योजनाओं को शामिल किया गया है।
- बैंक की विफलता की स्थिति में, ग्राहक अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि 90 दिनों के भीतर प्राप्त कर सकते हैं।
पहले और अब की स्थिति में अंतर
इससे पहले, यदि कोई बैंक संकट में आ जाता था या दिवालिया हो जाता था, तो जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस पाने के लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता था। कानूनी प्रक्रिया जटिल और लंबी होती थी, जिससे ग्राहकों को अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ती थी।
अब इस नए नियम के तहत:
✔ जमाकर्ताओं को मात्र 90 दिनों में ही अपनी अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि प्राप्त हो जाएगी।
✔ लंबे कानूनी झंझट से मुक्ति मिलेगी।
✔ बैंकिंग सिस्टम में ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा।
5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा: क्या इसका कोई असर पड़ेगा?
हालांकि यह योजना बैंकिंग ग्राहकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान करती है, लेकिन इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी जमाकर्ता की बैंक में जमा राशि 5 लाख रुपये से अधिक है, तो भी उसे अधिकतम 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे।
उदाहरण:
✔ यदि किसी ग्राहक के बैंक में 2 लाख रुपये जमा हैं, तो उसे पूरी राशि वापस मिल जाएगी।
✔ यदि किसी ग्राहक के बैंक में 7 लाख रुपये जमा हैं, तो भी उसे अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे।
इसलिए, जिन ग्राहकों के खातों में बड़ी धनराशि जमा होती है, उन्हें अपनी पूंजी को अलग-अलग बैंकों में वितरित करने की रणनीति अपनानी चाहिए, ताकि उनका संपूर्ण निवेश सुरक्षित रह सके।
ग्राहकों को मिलने वाले लाभ
सरकार के इस कदम से बैंकिंग ग्राहकों को कई तरह के लाभ मिलेंगे:
- तेजी से भुगतान: अब ग्राहकों को वर्षों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि 90 दिनों में उनका पैसा मिल जाएगा।
- छोटे निवेशकों को राहत: यह योजना विशेष रूप से छोटे जमाकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए फायदेमंद होगी, जो अपनी बचत बैंकों में सुरक्षित रखते हैं।
- बैंकिंग सेक्टर में विश्वास बढ़ेगा: जब ग्राहकों को यह भरोसा होगा कि उनका पैसा सुरक्षित है, तो वे बैंकिंग सेवाओं में अधिक रुचि दिखाएंगे।
- वित्तीय संकट से सुरक्षा: यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो भी ग्राहकों की पूंजी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी।
- नवाचार और प्रतिस्पर्धा: बैंक अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे बैंकिंग प्रणाली अधिक मजबूत और पारदर्शी बनेगी।
भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर प्रभाव
इस नए संशोधन से भारतीय बैंकिंग सेक्टर को भी बड़ा लाभ होगा:
✔ बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास बढ़ेगा: जब ग्राहकों को उनकी जमा राशि की सुरक्षा की गारंटी मिलेगी, तो वे बैंकों में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
✔ संकटग्रस्त बैंकों पर प्रभाव: यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो भी ग्राहकों को नुकसान नहीं होगा, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहेगी।
✔ बचत को बढ़ावा मिलेगा: जब जमाकर्ताओं को अपने धन की सुरक्षा की गारंटी मिलेगी, तो वे अधिक बचत करने के लिए प्रेरित होंगे।
✔ विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण: मजबूत बैंकिंग प्रणाली अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत को अधिक आकर्षक बनाएगी।
भविष्य की संभावनाएँ
सरकार इस दिशा में और भी सुधार कर सकती है, जिससे बैंकिंग सिस्टम और अधिक सुरक्षित और ग्राहक-केंद्रित बने। भविष्य में निम्नलिखित सुधार देखने को मिल सकते हैं:
- बीमा सीमा में वृद्धि: वर्तमान में 5 लाख रुपये की सीमा तय की गई है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसे और बढ़ाया जा सकता है।
- तेजी से भुगतान प्रक्रिया: सरकार और RBI यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जमाकर्ताओं को उनका पैसा और भी कम समय में मिले।
- अन्य वित्तीय उत्पादों का कवरेज: भविष्य में बीमा योजना को अन्य वित्तीय योजनाओं जैसे म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि तक विस्तारित किया जा सकता है।
निष्कर्ष:-
केंद्र सरकार द्वारा DICGC एक्ट में संशोधन एक क्रांतिकारी कदम है, जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाएगा। यह न केवल ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विश्वास को भी बढ़ावा देगा।
इससे बैंक ग्राहकों को निश्चिंत होकर अपनी बचत करने का अवसर मिलेगा और भविष्य में बैंकिंग प्रणाली और अधिक सुदृढ़ होगी। सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से भारतीय बैंकिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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