कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के परिसीमन पर दिए गए बयानों को "भरोसेमंद नहीं" बताया है और भाजपा पर दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
अमित शाह का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि "परिसीमन के कारण दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट नहीं घटेगी।" यह बयान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा 5 मार्च को अखिल दल बैठक बुलाने की घोषणा के ठीक एक दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने परिसीमन पर राष्ट्रीय सहमति बनाने की अपील की थी।
सिद्धारमैया ने शाह के दावे को खारिज करते हुए कहा कि "भाजपा जानबूझकर दक्षिणी राज्यों में भ्रम फैला रही है।" उन्होंने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से यह बताने की मांग की कि परिसीमन प्रक्रिया 2021 या 2031 की जनगणना के आधार पर होगी या मौजूदा लोकसभा सीटों के अनुपात को बरकरार रखा जाएगा।
"नवीनतम जनसंख्या अनुपात पर परिसीमन दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय होगा"
मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि यदि परिसीमन नवीनतम जनगणना (2021 या 2031) के आधार पर किया जाता है, तो दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा, जबकि उत्तर भारतीय राज्यों को अधिक सीटें मिलेंगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि:
✔ कर्नाटक की लोकसभा सीटें 28 से घटकर 26 हो सकती हैं।
✔ आंध्र प्रदेश की सीटें 42 से 34 हो सकती हैं।
✔ केरल की सीटें 20 से 12 और तमिलनाडु की सीटें 39 से 31 हो सकती हैं।
✔ वहीं, उत्तर प्रदेश की सीटें 80 से बढ़कर 91, बिहार की 40 से 50, और मध्य प्रदेश की 29 से 33 हो सकती हैं।
उन्होंने सवाल उठाया, "अगर यह अन्याय नहीं है, तो और क्या है?"
"परिसीमन पर दक्षिणी राज्यों को एकजुट होना होगा"
सिद्धारमैया ने कहा कि "यह केवल कर्नाटक या तमिलनाडु का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे दक्षिण भारत के हितों से जुड़ा मामला है। हमें इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होना होगा।"
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी कहा था कि "परिसीमन प्रक्रिया दक्षिणी राज्यों के लिए नुकसानदायक हो सकती है और केंद्र सरकार को इस पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।"
राजनीतिक माहौल गरमाया, विपक्षी दलों का केंद्र पर हमला
परिसीमन पर अमित शाह के बयान के बाद दक्षिणी राज्यों में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
➡ विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा दक्षिण भारत को कमजोर करने के लिए परिसीमन का इस्तेमाल कर रही है।
➡ सरकार का कहना है कि परिसीमन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होगी।
अब तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है और केंद्र सरकार से न्याय की मांग की है।
क्या होगा अगला कदम?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि परिसीमन प्रक्रिया पर बहस आने वाले महीनों में और तेज होगी, क्योंकि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने की तैयारी कर रही है।
क्या दक्षिणी राज्य परिसीमन के खिलाफ एकजुट होंगे? क्या भाजपा की रणनीति 2024 के चुनावों को ध्यान में रखकर बनाई गई है? यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का भविष्य क्या होगा।
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