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संभल में वक्फ की जमीन पर अवैध चौकी निर्माण: पुलिस और प्रशासन पर सवाल

 संभल में शाही जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी के निर्माण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। वक्फ बोर्ड की जमीन पर अवैध निर्माण और एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की मंजूरी के बिना हो रहे निर्माण पर न केवल स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने बल्कि प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने भी प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और संभल के सांसद ज़िया उर रहमान दोनों ने इस मामले में पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।


असदुद्दीन ओवैसी का बयान

असदुद्दीन ओवैसी ने अपने बयान में कहा, "संभल में शाही जामा मस्जिद के सामने वक्फ की जमीन पर पुलिस चौकी का निर्माण न केवल एएसआई अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग भी है। पुलिस को साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के बजाय कानून का पालन करना चाहिए। प्रशासन को तुरंत इस अवैध निर्माण को रोकना चाहिए।"

सांसद ज़िया उर रहमान का बयान

सांसद ज़िया उर रहमान ने भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "पुलिस अवैध रूप से वक्फ की जमीन पर कब्जा कर रही है। यह निर्माण कानून के सभी नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। इससे समाज में बहुत गलत संदेश जा रहा है। प्रशासन को तुरंत इस कार्य को रोकना चाहिए और निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।"

विवाद के प्रमुख मुद्दे

  1. वक्फ की जमीन पर कब्जे का आरोप
    वक्फ बोर्ड की जमीन पर बिना किसी वैध अनुमति के पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है। मुस्लिम समुदाय और नेताओं का कहना है कि यह उनके धार्मिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है।

  2. एएसआई की मंजूरी का अभाव
    भारतीय पुरातत्व अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर के दायरे में किसी भी नए निर्माण के लिए एएसआई की मंजूरी आवश्यक होती है। लेकिन संभल में निर्माण कार्य बिना किसी स्वीकृति के हो रहा है।

  3. पुलिस की त्वरित कार्रवाई
    पुलिस तेजी से निर्माण कार्य करवा रही है, जबकि स्थानीय लोगों के विरोध और कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी हो रही है।

साम्प्रदायिक सौहार्द पर खतरा

यह विवाद जामा मस्जिद टारगेट किलिंग के बाद पहले से ही तनावग्रस्त माहौल में और अधिक तनाव पैदा कर रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की कार्रवाइयों से साम्प्रदायिक सौहार्द पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

राजनीतिक और कानूनी सवाल

2025 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

  • साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का खतरा
    असदुद्दीन ओवैसी और ज़िया उर रहमान दोनों ने चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों से समाज में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।
  • न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
    दोनों नेताओं ने इस मामले में निष्पक्ष जांच और न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

संभल की घटनाओं ने प्रशासनिक पारदर्शिता और पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • अतिक्रमण और बिजली चेकिंग विवाद
    पहले भी पुलिस ने अतिक्रमण और बिजली चेकिंग के नाम पर विवादास्पद कार्रवाइयां की हैं।
  • मंदिर विवाद
    एक मंदिर विवाद में भी पुलिस और मीडिया पर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने के आरोप लगे थे।

निष्कर्ष

संभल में पुलिस चौकी निर्माण विवाद न केवल प्रशासन की कार्यशैली बल्कि समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द को भी प्रभावित कर रहा है। असदुद्दीन ओवैसी और ज़िया उर रहमान जैसे नेताओं के बयान इस बात को उजागर करते हैं कि प्रशासनिक पक्षपात और कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी किसी भी समाज में विश्वास का संकट पैदा कर सकती है।

जरूरत है कि प्रशासन अविलंब इस विवाद को सुलझाने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच करवाए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह मामला राष्ट्रीय राजनीति में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का एक और उदाहरण बन सकता है।

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