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आउटहाउस: एक सरल लेकिन दिल छू लेने वाली फिल्म

आउटहाउस: एक सरल लेकिन दिल छू लेने वाली फिल्म

रेटिंग: ★★★☆☆

कहानी:
आउटहाउस एक पालतू कुत्ते, एक जिद्दी बुजुर्ग, और दादी-पोते की अनोखी दोस्ती की कहानी है। जब नील (जीहान होडार) अपने दादी अदिमा (शर्मिला टैगोर) के साथ कुछ समय बिताने पुणे आता है, तो उसका कुत्ता पाब्लो भागकर नाना मोडक (डॉ. मोहन आगाशे) के घर पहुंच जाता है। नाना, जो अपनी उम्र और स्वभाव के कारण अकेले और चिड़चिड़े हैं, पाब्लो को रखने का फैसला करते हैं। दूसरी तरफ, अदिमा और नील अपने प्यारे पाब्लो को वापस पाने के लिए एक मजेदार खोज पर निकल पड़ते हैं। यह सफर केवल पाब्लो को वापस लाने का नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक यात्रा है, जो रिश्तों में नई गर्माहट और बदलाव लाती है।



समीक्षा:
सुनिल सुकथनकर का निर्देशन दर्शकों को एक साधारण लेकिन संवेदनशील कहानी के माध्यम से जोड़ता है। फिल्म बुजुर्गों और बच्चों की जरूरतों और भावनाओं को बहुत ही बारीकी से प्रस्तुत करती है। अदिमा का अपने ग्राफिक उपन्यास में सकारात्मकता लाने का प्रयास और नाना का अपनी जिंदगी में नया दृष्टिकोण अपनाना फिल्म की मुख्यधारा है।

फिल्म का सबसे प्रभावशाली हिस्सा अदिमा और नाना के संवाद हैं। अदिमा का अपनी बेटी वासु (सोनाली कुलकर्णी) से कहना कि नील केवल एक जिम्मेदारी नहीं बल्कि एक स्वतंत्र व्यक्ति है, दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। नाना का अपने बेटे से यह कहना कि वह अभी भी आत्मनिर्भर हैं, बुजुर्गों की वास्तविकता को उजागर करता है।

संगीत और सिनेमैटोग्राफी फिल्म को और भी आकर्षक बनाते हैं। साकेत कानेटकर का जैज़-प्रेरित संगीत, विशेष रूप से जासूसी-थीम वाले दृश्यों में, कहानी में एक नया रंग भरता है।



कमियां:
फिल्म की कहानी में कुछ खामियां हैं। नील और अदिमा का पाब्लो की तलाश जल्दी छोड़ देना अस्वाभाविक लगता है। नाना का पाब्लो से लगाव और उनका व्यक्तित्व में बदलाव भी थोड़ा जल्दबाजी में दिखाया गया है। वासु और उनके पति दत्त (नीरज काबी) का उपकथानक अधूरा और कमजोर लगता है।

अभिनय:
शर्मिला टैगोर और डॉ. मोहन आगाशे ने अपने-अपने किरदारों को जीवंत कर दिया है। टैगोर एक सशक्त और संवेदनशील ग्राफिक डिज़ाइनर के रूप में छाप छोड़ती हैं, वहीं आगाशे का नाना, अपने चिड़चिड़ेपन के बावजूद, दर्शकों के दिल में जगह बना लेता है। सोनाली कुलकर्णी और नीरज काबी अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदारों में अच्छे लगते हैं।

निष्कर्ष:
आउटहाउस एक हल्की-फुल्की, दिल को छूने वाली फिल्म है, जो जीवन की छोटी-छोटी खुशियों और रिश्तों की खूबसूरती को उजागर करती है। हालांकि इसकी कहानी और गहराई में सुधार की गुंजाइश है, लेकिन यह फिल्म आपको मुस्कुराने और सोचने पर मजबूर जरूर करेगी।

क्या देखें:
यदि आप दिल को सुकून देने वाली, रिश्तों पर आधारित कहानियां पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।

अंतिम रेटिंग: ★★★☆☆

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