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भारत बनाम चीन: UBS का सतर्क रुख और इसके पीछे की कहानी

 

UBS की भारत को लेकर चिंता: क्या हैं कारण?

जब एक बड़ी वित्तीय संस्था भारत के बाजार को लेकर सतर्क रुख अपनाती है, तो यह सोचने पर मजबूर करता है। UBS, जो वैश्विक निवेश में अग्रणी है, ने भारतीय बाजार को "अंडरवेट" मानते हुए फिलहाल चीन को प्राथमिकता दी है। UBS का कहना है कि भारत की कमजोर आय वृद्धि और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता इसे निवेश के लिए महंगा बनाती है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। UBS के GEM इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट सुनील तिरुमलाई का मानना है कि भारत में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इनका लाभ उठाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की जरूरत है।



चीन क्यों बन रहा है निवेशकों की पसंद?

UBS ने चीन को "ओवरवेट" रेटिंग दी है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:

  1. सरकार का समर्थन:
    चीन की सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज और नीतिगत घोषणाएं की हैं। इससे निवेशकों को विश्वास मिला है।

  2. सस्ता बाजार:
    चीन में शेयर की कीमतें आकर्षक हैं, जिससे निवेशकों को बेहतर रिटर्न की उम्मीद है।

  3. स्पष्ट रणनीति:
    चीन की उत्पादन क्षमता और वैश्विक व्यापार में उसकी भूमिका उसे एक मजबूत विकल्प बनाती है।


भारत: चुनौतियां और अवसर

भारत की कहानी थोड़ी अलग है। यहां अभी भी कई सेक्टर, जैसे IT सेवाएं और उपभोक्ता वस्तुएं, निवेश के लिए आकर्षक माने जा रहे हैं। लेकिन व्यापक सुधार के बिना भारत अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच सकता।

भारत को किन चीजों की जरूरत है?

  1. रोजगार और आय में वृद्धि:
    भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत करने के लिए लोगों की आय बढ़ानी होगी। इससे खपत और मांग में इजाफा होगा।

  2. प्रोत्साहन नीति:
    उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार को अतिरिक्त कदम उठाने होंगे।

  3. टेक्नोलॉजी कंपनियों की सार्वजनिक लिस्टिंग:
    देश की बड़ी ई-कॉमर्स और तकनीकी कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में लाना होगा ताकि निवेशकों का भरोसा बढ़े।


2025: एक अनिश्चित भविष्य

UBS का कहना है कि 2025 वैश्विक बाजारों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  • अमेरिका की बढ़ती ब्याज दरें और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियां, खासकर टैरिफ में बदलाव, निवेश को प्रभावित कर सकती हैं।
  • उभरते बाजारों में मूल्यांकन ऊंचे स्तर पर है, जो निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ाता है।

भारत और चीन की तुलना

UBS ने चीन को प्राथमिकता दी है, लेकिन भारत की क्षमता को भी पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।

  • भारत:
    UBS का कहना है कि रोजगार और आय में सुधार के बाद भारतीय बाजार निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन सकता है।
  • चीन:
    प्रोत्साहन पैकेज और नीतिगत स्थिरता चीन को निवेश के लिए अभी बेहतर विकल्प बनाते हैं।

आशा की किरण

तिरुमलाई ने साफ कहा कि भारत की संभावनाएं उज्ज्वल हैं। जैसे ही नौकरियां बढ़ेंगी और आय में सुधार होगा, बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होना होगा, और सरकार को उद्योगों को समर्थन देने की दिशा में मजबूत कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष:
UBS का भारत को लेकर सतर्क रुख एक चेतावनी जरूर है, लेकिन इसे एक अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है। यह भारत के लिए सुधार और नई संभावनाओं को खोजने का समय है। सही नीतियों और रणनीतियों के साथ भारत फिर से वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद बन सकता है।

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