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अमित शाह के बयान पर बवाल: विपक्ष का हमला, भाजपा का बचाव

 

अमित शाह का विवादित बयान: दलित, ओबीसी और मुस्लिम समुदायों में गुस्सा, देशभर में उबाल

गृह मंत्री अमित शाह के डॉ. बीआर आंबेडकर पर दिए गए बयान ने देशभर में भारी नाराजगी और आक्रोश को जन्म दिया है। इस बयान ने न केवल आंबेडकरवादियों को गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों को भी एकजुट कर दिया है। यह बयान इन समुदायों के लिए एक अपमान की तरह देखा जा रहा है, और इसका विरोध अब जन आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है।



क्या कहा था अमित शाह ने?

राज्यसभा में "संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा:
"आजकल आंबेडकर का नाम लेना फैशन बन गया है। अगर भगवान का नाम इतना बार लिया होता, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।"

इस बयान को न केवल डॉ. आंबेडकर की विरासत, बल्कि उनके विचारों और दलित समुदायों के प्रति सम्मान पर सीधा हमला माना जा रहा है।


बयान से मचा राजनीतिक भूचाल

अमित शाह के इस बयान ने गहरी नाराजगी फैला दी है।

  • आंबेडकरवादी आंदोलनकारियों ने कहा कि यह बयान संविधान, दलित समाज और आंबेडकर के आदर्शों का अपमान है।
  • दलित और ओबीसी नेता इसे भाजपा की ‘मनुस्मृति समर्थक’ सोच का सबूत मान रहे हैं।
  • मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने भी इस बयान की निंदा करते हुए इसे सामाजिक न्याय और संविधान पर हमला बताया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा:
"गृह मंत्री ने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान करके यह साबित कर दिया है कि भाजपा और आरएसएस कभी भी दलितों और पिछड़े वर्गों का सम्मान नहीं कर सकते।"

राहुल गांधी ने शाह को आड़े हाथों लेते हुए कहा:
"जो लोग मनुस्मृति के पक्षधर हैं, वे कभी भी आंबेडकर के विचारों को नहीं समझ सकते।"


जनता का गुस्सा और संभावित जन आंदोलन

देशभर में शाह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।

  • प्रदर्शन: दलित और ओबीसी संगठनों ने इसे लेकर कई जगह प्रदर्शन किए हैं।
  • संवेदनशीलता: समाज का बड़ा वर्ग इसे एक गंभीर अपमान मानते हुए सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहा है।
  • आंदोलन की चेतावनी: विरोधियों ने साफ कहा है कि अगर शाह ने माफी नहीं मांगी और इस्तीफा नहीं दिया, तो यह मामला जन आंदोलन का रूप ले सकता है।

आंबेडकरवादी नेताओं का कहना है:
"यह देश आंबेडकर का है, और कोई भी उनके आदर्शों का अपमान सहन नहीं करेगा। अमित शाह को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना ही चाहिए, अन्यथा देश उन्हें माफ करने के मूड में नहीं है।"


शाह की छवि पर गहरा धक्का

अमित शाह का यह बयान उन्हें खलनायक के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।

  • यह आरोप लग रहा है कि शाह ने न केवल डॉ. आंबेडकर का अपमान किया, बल्कि सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का भी मजाक उड़ाया।
  • उनकी इस टिप्पणी ने भाजपा की दलित और ओबीसी समर्थक छवि को गहरा धक्का पहुंचाया है।

भाजपा का बचाव और विपक्ष की चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेताओं ने शाह का बचाव करने की कोशिश की है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा:
"शाह ने केवल कांग्रेस की पाखंडी राजनीति को उजागर किया है।"

लेकिन विपक्ष का कहना है कि शाह के इस बयान ने उनकी असली सोच को उजागर कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और अन्य दलों ने भी शाह के इस्तीफे की मांग की है।


निष्कर्ष: जनाक्रोश का संकेत

अमित शाह का बयान न केवल आंबेडकरवादियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरा सदमा है। ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों का गुस्सा अब जन आंदोलन की शक्ल ले सकता है।

अगर अमित शाह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं देते, तो यह विवाद भाजपा के लिए राजनीतिक संकट बन सकता है। देश अब किसी भी तरह के अपमान को माफ करने के मूड में नहीं है।

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