पश्चिम बंगाल में हाल ही में बांग्लादेश से जुड़े प्रतिबंधित चरमपंथी संगठनों के तीन संदिग्धों की गिरफ़्तारी के बाद राज्य की राजनीतिक और सुरक्षा स्थितियों पर गहन बहस छिड़ गई है। इन घटनाओं ने भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, इन घटनाओं ने भाजपा के पश्चिम बंगाल सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीतियों पर भी सवाल खड़े किए हैं।
गिरफ़्तारियां और आरोपों का विवरण
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22 दिसंबर 2024: असम पुलिस ने बंगाल में दो कथित चरमपंथियों को पकड़ा। इन पर फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और अवैध रूप से भारतीय पहचान पत्र जैसे पासपोर्ट और आधार कार्ड हासिल करने का आरोप है।
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19 दिसंबर 2024: असम और पश्चिम बंगाल की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ़) ने संयुक्त अभियान में दो अन्य संदिग्धों को गिरफ़्तार किया। पुलिस के अनुसार, इन गिरफ़्तारियों से एक बड़े आतंकवादी हमले को विफल किया गया।
गिरफ़्तार संदिग्धों के पास से कई जाली दस्तावेज़, मोबाइल फोन और संदिग्ध संपर्कों के विवरण बरामद हुए हैं। पुलिस ने दावा किया कि इनका संबंध बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन से है, और ये बंगाल को एक रणनीतिक ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे।
राजनीतिक घमासान और साजिश के आरोप
गिरफ़्तारियों के बाद भाजपा और टीएमसी के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
भाजपा का हमला
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि गिरफ़्तार बिचौलियों में से कुछ का सीधा संबंध टीएमसी से है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार चरमपंथी गतिविधियों के प्रति नरम रवैया अपनाती रही है और इससे राज्य की सुरक्षा खतरे में है। भाजपा ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार बार-बार राज्य सरकार को सीमा सुरक्षा मजबूत करने के लिए कहती रही है, लेकिन सत्तारूढ़ दल इस पर ध्यान नहीं देता।
टीएमसी की प्रतिक्रिया
टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में चरमपंथी गतिविधियों की शुरुआत वामपंथी सरकार के दौरान हुई थी, और टीएमसी के शासन में इस पर लगाम लगी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, खासतौर पर गृह मंत्रालय, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) की विफलता को छिपाने के लिए राज्य सरकार पर झूठे आरोप लगा रही है।
अमित शाह और भाजपा की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने लंबे समय से बंगाल को अपनी प्राथमिकता में रखा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पहले भी "चाणक्य" की उपाधि दी गई है, जो राज्यों की सरकारों को गिराने और नई सरकारें बनाने की रणनीतियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
टीएमसी का आरोप है कि भाजपा पश्चिम बंगाल सरकार को अस्थिर करने के लिए साजिश रच रही है। अमित शाह की बंगाल पर विशेष नजर होने की बात को विपक्ष लगातार उठाता रहा है। यह दावा किया जाता है कि भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल केवल राजनीतिक महत्व का राज्य नहीं, बल्कि एक रणनीतिक लक्ष्य है।
सीमा सुरक्षा और घुसपैठ का मुद्दा
भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर बीएसएफ़ को सीमावर्ती क्षेत्रों में कंटीले तार लगाने के लिए ज़मीन उपलब्ध न कराने का आरोप लगाया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि यह राज्य सरकार की जानबूझकर की गई लापरवाही है, जिससे घुसपैठ की समस्या बढ़ रही है।
इस पर टीएमसी ने पलटवार करते हुए कहा कि बीएसएफ़ सीधे केंद्र सरकार के अधीन है और उनकी विफलता के लिए राज्य सरकार को दोष देना तर्कहीन है।
फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों का संकट
पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक ने पासपोर्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया में गड़बड़ियों को स्वीकार किया है और इसे सख्त करने की घोषणा की है।
विदेश मंत्रालय को सिफारिशें
पश्चिम बंगाल पुलिस ने विदेश मंत्रालय को वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान अधिक सतर्कता बरतने का सुझाव दिया है। जिला स्तर पर भी दस्तावेज़ों की जांच को मजबूत किया जा रहा है।
निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल में संदिग्ध चरमपंथियों की हालिया गिरफ़्तारी ने सुरक्षा व्यवस्था की खामियों और राजनीतिक विरोधाभासों को उजागर किया है। भाजपा और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। यह स्पष्ट है कि अमित शाह और भाजपा की नजरें लंबे समय से बंगाल पर टिकी हुई हैं। यह भी सवाल उठता है कि क्या सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के बीच की खाई को पाटने के लिए दोनों दल आपसी समन्वय स्थापित कर पाएंगे, या यह विवाद इसी तरह जारी रहेगा।