दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का विवादित घटनाक्रम: राष्ट्रपति यूं सुक योल की ऐतिहासिक और विवादास्पद कार्रवाई
4 दिसंबर 2024 की रात, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक योल ने अप्रत्याशित रूप से मार्शल लॉ लागू कर दिया। उन्होंने विपक्ष पर "राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों" का आरोप लगाते हुए इसे सरकार और लोकतंत्र को अस्थिर करने की साजिश करार दिया। यह कदम देश के लोकतंत्रीकरण के बाद पहली बार लिया गया, जिसने देश और विदेश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी।
क्या है मार्शल लॉ का प्रावधान?
दक्षिण कोरियाई संविधान के अनुसार, युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति को मार्शल लॉ लागू करने का अधिकार है। इसके तहत प्रेस की स्वतंत्रता, सभाओं और राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लग सकता है। हालांकि, संसद को इसे रद्द करने का अधिकार भी है, जो इस मामले में तत्काल प्रभाव से प्रयोग किया गया।
घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण
- मार्शल लॉ का ऐलान:
राष्ट्रपति यूं ने इसे "स्वतंत्रता और राष्ट्रीय स्थिरता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम" बताते हुए लागू किया। - सेना का हस्तक्षेप:
नेशनल असेंबली में सैनिक घुस गए, लेकिन कर्मचारियों ने उनका सामना करने के लिए आग बुझाने वाले यंत्रों का उपयोग किया। - विरोध और प्रतिक्रिया:
विपक्ष ने इसे "तख्तापलट की कोशिश" करार दिया। 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से इसे रद्द करने के लिए मतदान किया। - जनता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
देशभर में प्रदर्शन हुए, और अमेरिका व यूरोपीय देशों ने इस कदम पर चिंता जताई। रूस ने इसे "चिंताजनक" कहा।
यूं सुक योल की स्थिति पर सवाल
घटना के छह घंटे बाद मार्शल लॉ हटा दिया गया, लेकिन राष्ट्रपति यूं पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है। विपक्ष और श्रमिक संघों ने उनकी कार्रवाई को "लोकतंत्र-विरोधी" बताया और अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह घटना उस समय हुई जब राष्ट्रपति और विपक्ष के बीच अगले वर्ष के बजट को लेकर तीखा विवाद चल रहा था। विपक्ष ने सरकार पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
क्या होगा आगे?
इस नाटकीय घटनाक्रम ने यूं की सरकार की स्थिति कमजोर कर दी है। उनकी आलोचना न केवल विपक्ष बल्कि उनकी पार्टी के भीतर भी हो रही है। इस कदम ने दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर गहरी छाप छोड़ी है।
दक्षिण कोरियाई लोकतंत्र के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व घटना है, जिसने दुनिया भर का ध्यान खींचा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रपति यूं इस संकट से कैसे निपटते हैं।