संभल में 46 साल बाद प्राचीन मंदिर खुला, लेकिन हालिया हिंसा ने प्रशासन और समाज को झकझोरा
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 साल से बंद पड़े एक प्राचीन शिव मंदिर को प्रशासन ने 14 दिसंबर 2024 को खोल दिया। 1978 के सांप्रदायिक दंगों के बाद बंद हुआ यह मंदिर खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जहां भगवान शिव, हनुमान और नंदी की मूर्तियां हैं। प्रशासन की इस पहल को सांस्कृतिक पुनरुत्थान के रूप में देखा जा रहा है।
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मदिर का काल्पनिक चित्र |
मंदिर खुलने की पृष्ठभूमि
मंदिर को खोलने की शुरुआत तब हुई जब प्रशासन बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रहा था। छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने एक घर के अंदर बंद मंदिर को देखा। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी के नेतृत्व में मंदिर का गेट खुलवाया गया, सफाई की गई, और इसे पूजा-अर्चना के लिए तैयार किया गया।
नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी ने कहा, "1978 के दंगों के बाद, हिंदू परिवार क्षेत्र से पलायन कर गए थे, जिसके कारण मंदिर उपेक्षित हो गया था। अब इसे प्रशासन ने खुलवाया है, और हम इसके पुनर्निर्माण में सहयोग करेंगे।"
हालिया हिंसा और प्रशासन की भूमिका
हालांकि, इस सांस्कृतिक पहल की पृष्ठभूमि में संभल हालिया सांप्रदायिक तनावों से जूझ रहा है। कुछ दिन पहले, जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव इतना गंभीर हो गया कि गोलियां चलानी पड़ीं।
हिंसा में मृतक और घायल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस घटना में पांच लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग पुलिस की गोलियों से घायल हो गए। घायलों में कई गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पुलिस ने अनावश्यक बल प्रयोग किया और भीड़ पर फायरिंग की।
प्रशासन की सफाई
पुलिस का दावा है कि उन्होंने हिंसा रोकने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया। एक अधिकारी ने कहा, "प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू की, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हुए। हमने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए जरूरी कार्रवाई की।"
मुस्लिम समुदाय का पक्ष
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के नेता इस घटना को लेकर प्रशासन के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं। एक स्थानीय नेता का कहना है, "हमने हमेशा शांति बनाए रखने का प्रयास किया है। लेकिन पुलिस ने हमारी बात सुने बिना कार्रवाई की।"
घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पुलिस पर पक्षपात के आरोप
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस का रवैया समुदाय विशेष के खिलाफ कठोर है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "पुलिस ने हालिया सर्वे का इस्तेमाल बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया। हिंसा को रोकने की जगह पुलिस ने तनाव बढ़ाया।"
प्रशासन का बयान
संभल के डीएम राजेंद्र पैंसिया ने इन आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, "हमने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाए। सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा। अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।"
क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव
संभल पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक तनाव का केंद्र बन गया है। क्षेत्रीय सामाजिक संगठनों का मानना है कि प्रशासन को ऐसे विवादित मुद्दों पर संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से निपटने के लिए प्रशासन को केवल कानून लागू करने के बजाय सामुदायिक वार्ता और भरोसा बहाल करने के प्रयास करने चाहिए।"
मंदिर और मस्जिद दोनों पर नजरें
खग्गू सराय के मंदिर के खुलने के बाद प्रशासन ने इसके आसपास के अवैध कब्जों पर कार्रवाई की योजना बनाई है। वहीं, जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुए विवाद ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को घटनाओं की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, सामाजिक संगठनों को तनाव कम करने के लिए पहल करनी चाहिए।
संभल में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी पक्षों को मिलकर प्रयास करना होगा।