10 दिसम्बर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
अमेरिकी विदेश विभाग (US State Department) द्वारा लागू किए गए नए सोशल मीडिया वेटिंग नियमों ने भारत में H-1B वीज़ा आवेदन प्रक्रिया को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हजारों भारतीय आवेदकों की वीज़ा अपॉइंटमेंट्स अचानक बदल दी गई हैं और दिसंबर 2025 के मध्य से लेकर अंत तक निर्धारित इंटरव्यू अब मार्च 2026 तक के लिए स्थगित कर दिए गए हैं।
इस अप्रत्याशित बदलाव ने उन पेशेवरों, टेक कर्मचारियों और कंपनियों में भी चिंता बढ़ा दी है, जिनका अमेरिकी नौकरियों से सीधा संबंध है।
अमेरिकी दूतावास की चेतावनी: पुरानी तारीख पर पहुंचने पर प्रवेश वर्जित
मंगलवार रात जारी एक आधिकारिक सलाह में अमेरिकी दूतावास (U.S. Embassy India) ने बेहद सख्त शब्दों में कहा:
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जिन आवेदकों को ईमेल के माध्यम से नई अपॉइंटमेंट तिथि भेजी गई है, उन्हें केवल उसी नई तारीख पर आना होगा।
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पहले वाली तारीख पर आने वाले किसी भी आवेदक को दूतावास/कॉन्सुलेट के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
दूतावास ने साफ लिखा:
“पुरानी अपॉइंटमेंट तिथि पर आने पर प्रवेश अस्वीकार कर दिया जाएगा।”
सोशल मीडिया पर दूतावास की यह चेतावनी व्यापक रूप से साझा की जा रही है और इससे स्पष्ट है कि यह निर्णय अचानक और बड़े पैमाने पर लागू किया गया है।
सोशल मीडिया वेटिंग के कारण कैंसिल हुए इंटरव्यू
Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर में होने वाले कई इंटरव्यू सीधे मार्च 2026 में धकेल दिए गए हैं।
हालाँकि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी अपॉइंटमेंट रद्द की गई हैं।
प्रसिद्ध इमीग्रेशन लॉ फर्म के वकील स्टीवन ब्राउन ने पुष्टि की:
“दूतावास ने आने वाले हफ्तों की अनेक अपॉइंटमेंट्स रद्द कर दी हैं और दिसंबर 15 से लागू होने वाली सोशल मीडिया वेटिंग प्रक्रिया को देखते हुए उन्हें मार्च तक के लिए रीस्ड्यूल किया है।”
इस बयान से साफ है कि समस्या सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़े प्रशासनिक बदलाव का हिस्सा है।
क्या है नया सोशल मीडिया नियम?
अमेरिका ने H-1B और H-4 वीज़ा आवेदकों के लिए अब अनिवार्य किया है कि:
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अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्राइवेसी सेटिंग को “Public” रखें।
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अधिकारी आवेदकों की ऑनलाइन गतिविधियों, पोस्ट्स, नेटवर्क और डिजिटल footprints का गहन विश्लेषण करेंगे।
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यह नियम 15 दिसंबर 2025 से लागू होगा।
स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए कहा:
“हर वीज़ा एडजुडिकेशन एक नेशनल सिक्योरिटी निर्णय है।”
पहले यह निगरानी केवल छात्रों और एक्सचेंज विज़िटर्स पर लागू होती थी, लेकिन अब टेक इंडस्ट्री के सबसे बड़े इमीग्रेशन प्रोग्राम H-1B को भी इसके दायरे में लाया गया है।
ट्रम्प प्रशासन की कड़ी नीतियों का सिलसिला जारी
यह परिवर्तन अकेला नहीं है। पिछले कुछ महीनों में ट्रम्प प्रशासन ने इमीग्रेशन पर लगातार कड़े कदम उठाए हैं:
1. नए H-1B वीज़ा पर एकमुश्त $100,000 शुल्क
सितंबर में राष्ट्रपति ट्रम्प ने हर नए H-1B वर्क वीज़ा पर 100,000 डॉलर का भारी शुल्क लगा दिया था, जिससे भारतीय IT पेशेवरों पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
2. 19 “Countries of Concern” के लिए इमीग्रेशन रोक
नेशनल गार्ड के सैनिकों पर अफ़ग़ान मूल के शूटर द्वारा हमला करने के बाद, अमेरिका ने 19 देशों के नागरिकों पर
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ग्रीन कार्ड
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नागरिकता
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अन्य इमीग्रेशन लाभ
अस्थायी रूप से रोक दिए हैं।
भारत में प्रभाव: कंपनियों और कर्मचारियों की योजनाएँ प्रभावित
H-1B भारत के लाखों तकनीकी पेशेवरों के लिए अमेरिकी सपने का मुख्य रास्ता है।
सोशल मीडिया वेटिंग के कारण:
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जॉइनिंग डेट्स आगे खिसक सकती हैं
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कंपनियों की ऑनबोर्डिंग टाइमलाइन प्रभावित होगी
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कई आवेदकों को फिर से डॉक्युमेंटेशन तैयार करना पड़ सकता है
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वीज़ा प्रोसेसिंग टाइम अब और लंबा होने का अनुमान है
IT सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत-अमेरिका टेक सहयोग की गति को धीमा कर सकता है।
क्या आने वाले महीनों में स्थितियाँ और कठिन होंगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
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यह वेटिंग प्रक्रिया केवल शुरुआत है
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आगे और कड़े डिजिटल स्कैनिंग नियम लागू हो सकते हैं
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वीज़ा आवेदकों को सोशल मीडिया पर किए गए पुराने पोस्ट्स तक की जांच का सामना करना पड़ सकता है
कुछ कमेंट्री के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन अब वीज़ा दिए जाने को एक व्यापक सुरक्षा प्रक्रिया के रूप में देख रहा है, न कि केवल रोजगार आधारित प्रवास के रूप में।
निष्कर्ष:-
स्थिति अभी भी विकसित हो रही है और आने वाले समय में अमेरिका की इमीग्रेशन पॉलिसी और भी सख्त होती दिख सकती है।
