दक्षिण अफ्रीका की आर्थिक राजधानी जोहान्सबर्ग इस सप्ताहांत विश्व की सुर्ख़ियों में है, जहाँ G20 शिखर सम्मेलन 2025 आयोजित हो रहा है। यह पहली बार है जब G20 की मेजबानी किसी अफ्रीकी देश को मिली है—लेकिन इसके साथ ही यह आयोजन तीखे राजनीतिक विवादों और अमेरिकी बहिष्कार के कारण और भी अधिक चर्चित हो गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बहिष्कार – एक बड़ी राजनीतिक हलचल
अमेरिका, जो G20 का संस्थापक सदस्य है और अगले वर्ष इस समूह की अध्यक्षता सँभालने वाला है, इस बार पूरी तरह अनुपस्थित रहेगा। राष्ट्रपति ट्रम्प ने दक्षिण अफ्रीका पर श्वेत अल्पसंख्यक के “उत्पीड़न” का आरोप लगाते हुए सम्मेलन में शामिल न होने का ऐलान किया है—हालाँकि इन दावों को दुनिया भर में असत्य और निराधार माना गया है।
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने खुलासा किया कि अमेरिका ने अंतिम क्षण में किसी प्रकार की भागीदारी पर बातचीत की, लेकिन जल्द ही व्हाइट हाउस ने उनके बयान का खंडन करते हुए कहा कि यह “राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए अस्वीकार्य” है। फिर भी अमेरिका संभवतः केवल औपचारिक “हैंडओवर समारोह” के लिए अपना एक अधिकारी भेज सकता है।
जोहान्सबर्ग में सुरक्षा, सजावट और विरोध—शहर तैयार
सम्मेलन से पहले पूरे सप्ताह जोहान्सबर्ग गतिविधियों से गुलज़ार रहा। सड़कों की सफ़ाई, सजावट और G20 के रंगीन बैनर लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। राष्ट्रपति रामाफोसा ने स्वयं बुनियादी सफाई अभियान में भाग लेकर सबको चौंकाया।
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3,500 अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात
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सेना सतर्क मोड पर
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हवाई अड्डे से लेकर सम्मेलन स्थल तक सड़कों पर सुरक्षा का कड़ा पहरा
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जलवायु समूहों, महिलाओं के अधिकार संगठनों और अन्य नागरिक समूहों के कई विरोध प्रदर्शन भी तय
स्थानीय लोगों में सम्मेलन की भारी लागत को लेकर बहस भी जारी है, खासकर ऐसे समय में जब देश आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
G20 क्या है और यह सम्मेलन क्यों महत्वपूर्ण है?
G20 का गठन 1999 में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के अनौपचारिक समूह के रूप में हुआ था।
2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी ने इस समूह को अधिक प्रभावशाली बना दिया और तब से हर वर्ष इसका नेताओं का सम्मेलन आयोजित होता है।
G20 के सदस्य
19 देश + यूरोपीय संघ + 2023 से अफ्रीकी संघ
ये मिलकर—
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वैश्विक GDP का 85%
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विश्व जनसंख्या का दो-तिहाई
का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2025 सम्मेलन स्थल
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स्थान: जोहान्सबर्ग का NASREC एक्सपो सेंटर
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क्षेत्रफल: 1,50,000 वर्ग मीटर
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तारीख: 22–23 नवंबर
दक्षिण अफ्रीका नवंबर 2024 से G20 का अध्यक्ष है और 30 नवंबर 2025 को अमेरिका को जिम्मेदारी सौंपेगा।
कौन-कौन शामिल हो रहा है?
दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों के अनुसार कम से कम 42 देश और संस्थाएँ भाग लेंगी। छह देशों के राष्ट्राध्यक्ष नहीं आ रहे हैं, लेकिन वे उच्चस्तरीय प्रतिनिधि भेज रहे हैं।
प्रमुख नेता जो शामिल होंगे:
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भारत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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चीन: प्रीमियर ली क़ियांग
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फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
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जर्मनी: चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़
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ब्रिटेन: प्रधानमंत्री कीर स्टारमर
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ब्राज़ील: राष्ट्रपति लूइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा
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तुर्किये: राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन
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इटली: प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी
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जापान: प्रधानमंत्री साने ताकाइची
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कनाडा: प्रधानमंत्री मार्क कार्नी
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ऑस्ट्रेलिया: प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़
साथ ही—
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस
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यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ के शीर्ष नेता
भी भाग ले रहे हैं।
कौन-कौन नहीं आएगा और क्यों?
1. अमेरिका – राजनीतिक विवाद और आरोप
ट्रम्प ने “श्वेत किसानों के खिलाफ कथित हिंसा” के आधार पर बहिष्कार की घोषणा की, जिसे विश्व भर में तथ्यहीन माना जाता है।
2. चीन – शी जिनपिंग अनुपस्थित
राष्ट्रपति शी की जगह प्रीमियर ली कियांग आएंगे। आधिकारिक कारण नहीं बताया गया।
3. रूस – पुतिन नहीं आएंगे
ICC की गिरफ्तारी वारंट के कारण दक्षिण अफ्रीका उन्हें कानूनी रूप से गिरफ्तार करने के लिए बाध्य होता।
4. अर्जेंटीना – राष्ट्रपति मिलेई अनुपस्थित
5. नाइजीरिया – सुरक्षा संकट
6. मैक्सिको – घरेलू कार्यक्रम
सम्मेलन का मुख्य एजेंडा: दक्षिण अफ्रीका ने उठाए वैश्विक दक्षिण के मुद्दे
दक्षिण अफ्रीका इस सम्मेलन को केवल एक प्रतिष्ठित आयोजन नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देख रहा है।
मुख्य मुद्दे जिन पर चर्चा होगी:
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वैश्विक आर्थिक असमानताओं को कम करना
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विकासशील देशों के लिए विकास वित्त में सुधार
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जलवायु आपदा राहत और जलवायु फंडिंग बढ़ाना
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गरीब देशों के लिए बेहतर ऋण पुनर्गठन और ऋण राहत
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अफ्रीका के महत्वपूर्ण खनिजों पर वैश्विक रस्साकशी के बीच स्थानीय समुदायों के हितों को प्राथमिकता देना
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क्लाइमेट-रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर पर वैश्विक प्रतिबद्धता
यह सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका की 2010 फीफा विश्व कप के बाद की सबसे बड़ी मेजबानी है। अमेरिकी बहिष्कार के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि अफ्रीका के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है।
निष्कर्ष:-
अमेरिकी बहिष्कार के बीच अफ्रीका का बड़ा अवसर
G20 का यह शिखर सम्मेलन राजनीतिक विवादों से घिरा भले हो, पर यह अफ्रीकी महाद्वीप के लिए असाधारण क्षण है। दक्षिण अफ्रीका ने एजेंडा में ऐसे मुद्दे शामिल किए हैं जिनका दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं—विशेषकर अफ्रीका—पर सीधा प्रभाव है। अमेरिकी अनुपस्थिति इस सम्मेलन की चमक को थोड़ा कम कर सकती है, लेकिन वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को केंद्र में लाने का यह अवसर पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
