दिल्ली 8 नवंबर 2025: रिपोर्ट: Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि — जब दिल्ली “रेड ज़ोन” में प्रवेश कर चुकी है, तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण अब तक लागू क्यों नहीं हुआ?
दिल्ली की हवा ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुँची
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 361 दर्ज किया गया। कई इलाकों में यह स्तर 400 से भी ऊपर रहा —
-
वज़ीरपुर: 420
-
बुराड़ी: 418
-
विवेक विहार: 411
दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहर भी इससे अछूते नहीं रहे —
-
नोएडा: 354
-
ग्रेटर नोएडा: 336
-
गाज़ियाबाद: 339
इन सभी जगहों पर हवा में सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुँच गई है।
दीवाली के बाद लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में हवा
दीवाली के दो दिन बाद से दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ (Very Poor) और ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी के बीच झूल रही है। प्रदूषण चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक राहत की कोई संभावना नहीं है।
GRAP-3 लागू क्यों नहीं किया गया?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) का कहना है कि अभी तक GRAP-3 (Stage 3) लागू नहीं किया गया क्योंकि इस साल नवंबर की हवा पिछले साल की तुलना में “थोड़ी बेहतर” है।
अधिकारियों के मुताबिक़, पिछले वर्ष 13 नवंबर 2024 को GRAP-3 लागू किया गया था, जबकि इस बार कुछ सुधार दिखाई दे रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
“पिछले सात में से छह दिन पिछले साल की तुलना में बेहतर एयर क्वालिटी वाले रहे हैं। यह संभव हुआ है विभागों के बीच समय पर समन्वित कार्रवाई और जनता के सहयोग से।”
क्या है GRAP Stage 3?
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए चार चरणों में लागू किया जाता है —
-
Stage 1 (Poor): सड़क की सफाई, कचरे पर प्रतिबंध
-
Stage 2 (Very Poor): जेनरेटर पर रोक, निर्माण कार्य सीमित
-
Stage 3 (Severe): निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध, डीज़ल वाहनों की रोक, औद्योगिक गतिविधियों पर सख्ती
-
Stage 4 (Severe+): स्कूलों की छुट्टियाँ, ट्रक प्रवेश पर रोक, कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम
Stage 3 लागू होते ही निर्माण कार्यों, ईंट भट्टों और डीज़ल जेनरेटर के संचालन पर रोक लग जाती है। लेकिन इस साल अब तक यह चरण सक्रिय नहीं हुआ।
सरकार का दावा: समन्वित कदमों से सुधार
अधिकारियों के अनुसार, प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं —
-
सड़कों की मशीनरी से सफाई
-
निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और वॉटर स्प्रे
-
डीज़ल वाहनों पर सख्त निगरानी
-
औद्योगिक इकाइयों पर प्रदूषण जांच
इन सबके कारण हवा की गुणवत्ता में अस्थायी सुधार देखने को मिला है।
जनता का दर्द: ‘सांस लेना भी मुश्किल’
राजधानी के कई हिस्सों में लोगों ने सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश की शिकायत की।
मॉडल टाउन निवासी रीना मल्होत्रा ने कहा —
“सुबह पार्क में टहलना अब खतरे से खाली नहीं। मास्क लगाकर भी दम घुटता है।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी जारी
सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं —
कुछ ने केंद्र सरकार पर “नीतिगत असफलता” का आरोप लगाया, तो कुछ ने दिल्ली सरकार की “लापरवाही” को जिम्मेदार बताया।
टिप्पणीकारों ने कहा कि जब तक सरकारें पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर ठोस कार्रवाई नहीं करतीं, तब तक यह संकट हर साल दोहराया जाएगा।
आगे की राह: सख्त कदमों की जरूरत
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली को अब आपातकालीन पर्यावरणीय नीति की आवश्यकता है।
-
स्कूलों और दफ्तरों में वैकल्पिक कार्य व्यवस्था
-
इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता
-
हरित बफर ज़ोन विकसित करने की आवश्यकता
-
NCR राज्यों के बीच एकीकृत निगरानी तंत्र
.png)