8 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
दारफुर में भयावह हिंसा और मानवता पर हमला
प्रधानमंत्री इदरीस ने अल जज़ीरा को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा —
“आरएसएफ भाड़े के सैनिकों और बागी मिलिशिया का समूह है, जिन्होंने मानवता के इतिहास में अभूतपूर्व अपराध किए हैं। विश्वभर में उनकी निंदा हुई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। अब समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उन्हें आतंकी मिलिशिया घोषित करे।”
इदरीस की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब आरएसएफ ने दारफुर की राजधानी एल-फ़ाशेर (El-Fasher) पर नियंत्रण कर लिया है — यह सूडानी सेना (SAF) का अंतिम गढ़ था। 18 महीने से जारी घेराबंदी के बाद इस शहर के पतन ने मानवीय संकट को चरम पर पहुँचा दिया है।
नरसंहार, बलात्कार और नागरिकों पर हमले
एल-फ़ाशेर में बचे हुए लोगों के अनुसार, आरएसएफ ने कब्ज़े के बाद सामूहिक हत्याएँ, बलात्कार, और नागरिकों की यातनाएँ शुरू कर दीं।
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सूडान डॉक्टर्स नेटवर्क के अनुसार, केवल शुरुआती दिनों में 1,500 लोगों की मौत हुई।
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उपग्रह चित्रों (Satellite Images) से स्पष्ट हुआ है कि शहर में सामूहिक कब्रें बनाई जा रही हैं।
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आईओएम (IOM) के अनुसार, अब तक 80,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लाखों नागरिक अब भी फँसे हुए हैं।
एक शरणार्थी महिला नजवा ने बताया —
“हम एल-फ़ाशेर से भाग रहे थे। उन्होंने मेरे पति को पकड़ लिया, उसे पीटा और खून से लथपथ कर दिया। वह बेहोश था… हमें नहीं पता वह जीवित है या नहीं।”
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की कार्रवाई
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने कहा है कि वह साक्ष्य एकत्र करने और भविष्य के मुकदमों के लिए संरक्षित करने की तत्काल प्रक्रिया शुरू कर चुका है।
हालाँकि, आरएसएफ इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है। उसने कहा कि वह केवल “क्षेत्रों को मुक्त” कर रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर फैले वीडियो और चश्मदीदों की गवाही इसके विपरीत साबित करती हैं।
दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों के आरोप
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने सितंबर 2025 की अपनी रिपोर्ट में आरएसएफ और सूडानी सेना (SAF) दोनों पर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया —
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दोनों पक्षों ने न्यायेतर हत्याएँ (Extrajudicial Killings) कीं।
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नागरिकों पर बड़े पैमाने पर हमले हुए।
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यौन हिंसा (Sexual Violence) की घटनाएँ अधिकतर आरएसएफ से जुड़ी पाई गईं।
संघर्ष की जड़: सत्ता संघर्ष और जातीय विभाजन
यह भी उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2023 में सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और आरएसएफ कमांडर मोहम्मद हमदान दागालो (हेमदती) के बीच सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आया, जिसने देश को गृहयुद्ध में झोंक दिया।
ख़ार्तूम से लेकर दारफुर तक यह संघर्ष जातीय रूप ले चुका है — अरब सशस्त्र समूहों और मसालत समुदाय के बीच हिंसक टकराव अब जनसंहार में बदल गया है।
दारफुर पर नियंत्रण और सेना की ‘रणनीतिक वापसी’
आरएसएफ ने धीरे-धीरे दारफुर के अधिकांश शहरों पर कब्ज़ा कर लिया। एल-फ़ाशेर आख़िरी बचा हुआ शहर था। इदरीस ने सेना की वापसी को “रणनीतिक कदम” बताया और कहा कि यह कोई स्थायी हार नहीं है —
“हमारी सेना फिर से शहर को मुक्त कराएगी।”
भुखमरी और मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र की तीन प्रमुख एजेंसियों — FAO, WFP और UNICEF — ने चेतावनी दी है कि दारफुर और सूडान के अन्य हिस्सों में अकाल फैल चुका है।
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परिवार पत्तियाँ, पशुओं का चारा और घास खाकर जीवित हैं।
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21 मिलियन से अधिक लोग तीव्र खाद्य संकट से जूझ रहे हैं — यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट बन चुका है।
प्रधानमंत्री इदरीस ने अकाल की ख़बरों को “प्रचार” बताते हुए खारिज किया, परंतु राहत एजेंसियों के आंकड़े कुछ और ही कहानी कह रहे हैं।
वैश्विक सुरक्षा पर मंडराता खतरा
प्रधानमंत्री इदरीस का संदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए स्पष्ट है —
“यह संघर्ष केवल सूडान का नहीं रहा। यदि आरएसएफ जैसी ताकतों को रोका नहीं गया, तो यह आतंकवाद पूरे अफ्रीका और विश्व की स्थिरता को प्रभावित करेगा।”
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